प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जहां भी जाते हैं, वहां की जनता को कुछ न कुछ विशेष उपहार या सौगात जरुर देकर आते हैं। प्रधानमंत्री इस बार आस्था की नगरी प्रयागराज में थे। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी प्रयागराज वासियों को उपहार देना भला कैसे भूल सकते थे। इस दौरे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संगम तट पर स्थित अक्षय वट को आम लोगों के दर्शनाथ खुलवा दिया। बता दें कि, अक्षयवट को आम श्रद्धालुओं के दर्शन की इजाजत के लिए लंबे समय से मांग उठाई जा रही थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने यहां अंदावा के संत निरंकारी मैदान में जनसभा को संबोधित करने के दौरान कहा “आज जब अर्धकुंभ से पहले मैं यहां आया हूं, आप सभी को, देश के हर जन को एक खुशखबरी भी देना चाहता हूं। इस कुंभ में सभी श्रद्धालु अक्षयवट का दर्शन कर सकेंगे। कई पीढ़ियों से अक्षयवट किले में बंद था, लेकिन इस बार यहां आने वाला हर श्रद्धालु प्रयागराज की त्रिवेणी में स्नान करने के बाद अक्षयवट के दर्शन का सौभाग्य भी प्राप्त कर सकेगा। इतना ही नहीं, सरस्वती कूप दर्शन भी संभव हो पाएगा। अक्षयवट अपनी गहरी जड़ों की वजह से बार-बार पल्लवित होकर हमें भी जीवन के प्रति ऐसा ही जीवट रवैया अपनाने की प्रेरणा देता है।” उन्होंने बताया कि वे भी संबोधन करने से पहले अक्षयवट के दर्शन किये थे और कुछ देर अक्षयवट के नीचे चबूतरे पर बैठे भी थे।
प्रयागराज में संगम तट पर बने अकबर किले के भीतर स्थित पौराणिक अक्षयवट वृक्ष का संबंध सृष्टि की रचना से जुड़ा हुआ माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं की मानें तो पृथ्वी पर प्रलय के दौरान जब पूरी धरती जलमग्न हो जाती है, उस समय अक्षय वट वृक्ष को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। माना जाता हैं कि, इसी अक्षय वट के एक पत्ते पर परमात्मा बालरूप में विराजमान होकर सृष्टि के अनादि रहस्य का अवलोकन करते हैं। अक्षय शब्द का अर्थ ही होता है, जिसका कभी क्षय ना हो। यानी जो कभी नष्ट न हो। वहीं दूसरी ओर वट का अर्थ होता है बरगद। अक्षयवट वृक्ष को मनोरथ और मोक्षदायक वृक्ष भी कहा गया है।
ऐसी पौराणिक मान्यता है कि, सृष्टि की रचना को सुरक्षित रखने के लिए भगवान ब्रह्मा जी ने किले के प्रांगण में स्थित पातालपुरी मंदिर में बहुत बड़ा यज्ञ किया था। इस यज्ञ में पुरोहित के रूप में भगवान विष्णु और यजमान के रूप में भगवान शिव शामिल हुए थे। यज्ञ हो जाने के बाद इन तीनों देवताओं की शक्ति पुंज से एक वृक्ष उत्पन्न हुआ। उसी वृक्ष को अक्षय वट कहते हैं। लेकिन, बाद में यहां के दर्शन के लिए रोक लगा दी गई। अब सवाल यह उठता है कि, आखिर इसके दर्शन कि लिए रोक क्यों लगी। आइए जानने का प्रयास करते हैं। इतिहास के पन्नों को पलटें तो संगम तट पर स्थित इस अक्षय वट वृक्ष का सबसे पहले चीनी यात्री ह्वेनसांग ने 644 ई में वर्णन किया था। बताया जाता है कि, किसी कारणवश अकबर ने अक्षयवट पर रोक लगा दी थी।
अब श्रद्धालुओं की आस्था को ध्यान में देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अक्षय वट को आम लोगों के दर्शन के लिए खुलवा दिया है। अब प्रयागराज आने वाले सभी श्रद्धालू वट वृक्ष का दर्शन कर सकेंगे। बता दें कि, इस समय प्रयागराज में कुंभ मेले का आयोजन भी होने वाला है। इसमें भारी संख्या में श्रद्धालू आने वाले हैं। इसे लेकर योगी सरकार पहले से ही प्रयागराज में चाक-चौबंद व्यवस्था कर चुकी है। सड़कों से लेकर चौराहों तक की स्थिति बदल चुकी है। कुभ मेले के लिए कई स्पेशल ट्रेने चलवाई जाने वाली हैं। पूरे कुंभ मेले में जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे, एलईडी लाइट और स्क्रीन के साथ पुलिसकर्मी लगे होंगे। इस तरह की खास सुविधाओं के चलते कुंभ मेले में भारी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी का प्रयागवासियों को दिया गया यह उपहार देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर के लोगों को प्रयागराज में आने के लिए आकर्षित करेगा।