राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा भले ही एनडीए से अलग होने का निर्णय ले चुके हों लेकिन उनके पार्टी के विधायक उनकी सुनने को तैयार ही नहीं हैं। पार्टी विधायकों का कहना है कि रालोसपा अब भी एनडीए में है और रहेगी। उपेन्द्र कुशवाहा ने अकेले एनडीए से अलग होने का फैसला किया है। पार्टी विधायकों के इस बयान के बाद उपेन्द्र कुशवाहा अपनों में ही अलग-थलग पड़ चुके हैं। अभी तक एनडीए पर हमलावर नजर आ रहे उपेन्द्र कुशवाहा अब बैकफुट पर दिख रहे हैं।
दरअसल, पार्टी के दोनों विधायक ललन पासवान और सुधांशु शेखर के साथ इकलौते विधान परिषद सद्स्य संजीव श्याम सिंह ने शनिवार को साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बिहार सरकार में अपनी हिस्सेदारी मांगी है। यही नहीं विधायकों ने पार्टी के सिम्बल ‘सिलिंग फैन’ पर दावा ठोकने के लिए चुनाव आयोग में जाने का फैसला किया है। विधायकों ने कहा कि पार्टी प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा व्यक्तिवादी राजनीति करते हैं। उनके साथ न तो कोई जनप्रतिनिधि है और न ही कोई कार्यकर्ता। वह हमेशा अपने स्वार्थ के लिए दल बदलते रहे हैं। विधायकों ने कहा कि, उपेन्द्र कुशवाहा ने सिर्फ अपने हितों का ख्याल रखा, लिहाजा एनडीए नेतृत्व के सामने वह अपनी बात नहीं रख सके।
विधायकों के ऐसे बयानों के बाद अब पार्टी टूटती हुई नजर आ रही है। बता दें कि, 2013 में जेडीयू से अलग होने के बाद कुशवाहा ने अपनी अलग पार्टी बनाई थी। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस समय कुशवाहा अहमद पटेल के संपर्क में हैं। वे महागठबंधन ज्वाइन करना चाहते हैं। हालांकि, अब जबकि पार्टी ही उनके साथ नहीं है तो क्या कुशवाहा एक अकेले उम्मीदवार के रुप में ही महागठबंधन में शामिल होंगे, यह देखने वाली बात होगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अहमद पटेल ने रालोसपा प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा से उनके नई दिल्ली स्थित आवास पर शनिवार को मुलाकात की है। दोनों दलों के नेताओं के मिलने के बाद यह तय हो गया कि, रालोसपा अब महागठबंधन का हिस्सा होगी। संभव है 19 या 20 दिसम्बर को रालोसपा प्रमुख इसकी घोषणा कर दें। वहीं दूसरी ओर एनडीए से आरएलएसपी के बाहर होने के बाद पासवान की एलजेपी को छह सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही है।
बता दें कि, रालोसपा प्रमुख ने दस दिसम्बर को एनडीए छोड़ने की घोषणा की थी तथा केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। उसी दिन घोषणा के पहले उनकी मुलाकात कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से भी हुई थी। रविवार को कांग्रेस नेताओं का उनके घर जाने से यह तय हो गया कि अब उनका साथ उसी गठबंधन को मिलेगा, जिसमें कांग्रेस रहेगी। रालोसपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता माधव आनंद ने बताया कि, कुशवाहा के आवास पर दोनों दलों के नेताओं के बीच लगभग आधे घंटे तक बात हुई। उन्होंने भी आशा व्यक्त की कि, सोमवार के बाद किसी भी दिन नई रणनीति का खुलासा हो जाएगा।
हालांकि, अब एक बाद तो तय है कि, बिहार की राजनीति बहुत बदल चुकी है। इसलिए अब यह देखना रोचक होगा कि, रालोसपा के चुनाव निशान का क्या होगा। यह कुशवाहा के हिस्से में जाएगा या विधायकों के बहुमत के हिस्से में जाएगा। वहीं सवाल यह भी है कि, क्या उपेन्द्र कुशवाहा अकेले पार्टी बनकर महागठबंधन में हिस्सा मांगेगे तो उन्हें महागठबंधन में कितनी सीटें मिलेंगी!