राहुल गांधी को सिंधिया बता रहे हैं मीडिया के सवालों पर जवाबी क्या देना है

राहुल गांधी सिंधिया मीडिया

PC: Patrika

बड़े पद पर होने से कुछ नहीं होता अनुभव जरुरी है हर समय नयी चुनौतियों के लिए तत्पर रहना जरुरी है लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो जाहिर है आपका मजाक बनना तय है। कुछ ऐसा ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ हो रहा है। वो गांधी वंशज है तो अध्यक्ष पद मिल गया लेकिन न उन्हें राजनीति अनुभव है और न सियासी दांव-पेंच आते हैं बस जो कहा जाता है वही सुनते और बोलते हैं। हिंदी बेल्ट के तीन बड़े राज्यों में सरकार बनने के बाद पार्टी के नेतृत्व वाली सरकारों ने बड़े फैसले लेने शुरू कर दिए हैं। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में किसानों के कर्ज माफ़ी का ऐलान भी हो चुका है। इस खबर के चर्चा में आने के बाद राहुल गांधी को देखते ही मीडिया ने उन्हें घेर लिया लेकिन उनसे जब सवाल किये गये तो सवालों के जवाब के लिए वो ज्योतिरादित्य सिंधिया और अहमद पटेल से पूछते नजर आये कि उन्हें बोलना क्या है। इससे जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हो रहा है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने ट्विटर पर इस वीडियो को शेयर करते हुए तंज भी कसा है और कहा, “आजकल सपना दिखाने के लिए भी ट्यूशन लेनी पड़ती है ???”

इस वीडियो में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल और ज्योतिरादित्य सिंधिया नजर आ रहे हैं। मीडिया ने जब इन तीनों नेताओं के साथ राहुल गांधी पर भी सवाल पर सवाल दागना शुरू किया तो पार्टी अध्यक्ष के होश फाख्ते हो गये। सवालों के जवाब क्या देने हैं इसके लिए वो नेताओं से बातचीत करने लगे जैसे उन्हें पता ही नहीं है कि मुद्दा क्या है, मुद्दे से जुड़े सवालों के जवाब क्या होने चाहिए, कहीं वो फिर से कुछ उल्टा सीधा न बोल जायें। वीडियो को देखकर ऐसा लगता है कि राहुल गांधी से मीडिया के सवालों पर ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे उन्हें बता रहे हैं कि पत्रकारों से क्या बात करनी है। जब राहुल गांधी पीछे मुड़कर अहमद पटेल से समझने लगे कि उन्हें किसानों की कर्जमाफी पर क्या बोलना है तब अहमद पटेल ने राहुल से कहा, “आई एग्री।” इस दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया को वीडियो में साफ़ सुना जा सकता ये कहते हुए कि “जो मोदी नहीं कर पाए, वो मैं करके दिखा चुका हूं।“

इससे साफ़ है कि वो जो भी बोलते हैं वो पहले से ही पढ़कर तैयार करके आते हैं और पर्ची भी साथ रखते हैं। ऐसा लगता है कि उन्हें खुद इस बात की समझ नहीं है कि वो बोल क्या रहे हैं और क्यों और किस मुद्दे पर बोल रहे हैं। ऐसा पहली बार देखने को नहीं मिला है। वो खुद पार्टी के अध्यक्ष होते हुए भी सही निर्णय लेने में कितने अयोग्य हैं ये मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में ही नहीं बल्कि कर्नाटक में भी देखने को मिला था। सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी के हस्तक्षेप से ही बड़े फैसले लिए गए हैं क्योंकि पार्टी के नेता भी राहुल गांधी की नहीं सुनते हैं। पार्टी के कार्यकर्ता हो या नेता सभी राहुल गांधी की नब्ज जानते हैं लेकिन कोई खुलकर नहीं बोलता। अब ऐसे में एक अयोग्य नेता को पार्टी प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बताये तो इसपर क्या कहा जाए? आप खुद ही विचार करिए कि एक ऐसे नेता को देश का प्रधानमंत्री कैसे बनाये जाने की बात हो रही है जिसे राजनीति ही समझ नहीं आती।

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