राहुल व प्रियंका गांधी ने पांच हजार करोड़ के घोटालेबाज को रेंट पर दिया फार्महाउस, बीजेपी ने लगाए गंभीर आरोप

राहुल प्रियंका जिग्नेश शाह

PC: Aaj Tak

कांग्रेस का भ्रष्टाचार से कितना गहरा नाता है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरकार में रहने के दौरान से लेकर सरकार से जाने के लगभग 5 साल बाद तक भी उसके दामन पर लगातार भ्रष्टाचार के छीटें पड़ रहे हैं। कांग्रेस से जुड़ा भ्रष्टाचार का एक मामला फिर से प्रकाश में आया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी व प्रियंका गांधी की दिल्ली में मौजूद एक संपत्ति के लीज पर दिये जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस लीज में राहुल गांधी व प्रियंका का नाम करोड़ों के घोटालेबाज जिग्नेश शाह के साथ जोड़ा जा रहा है।

दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 29 नवंबर को राहुल और प्रियंका को एक पत्र भेजा था। ईडी ने भेजे गए अपने पत्र में फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज (इंडिया) लिमिटेड, जिसे अब 63 मून्स टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के नाम से जाना जाता है, के गांधी परिवार के साथ किए समझौते का पूरा ब्योरा मांगा था। अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने इस बात की पुष्टि की है।

अब बीजेपी नेताओं ने अंग्रेजी अखबार की खबर ट्वीट करते हुए लिखा है, “राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा ने फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज (इंडिया) लिमिटेड के जिग्नेश शाह को करीब 4.69 एकड़ की जमीन लीज पर थी, जबकि 2013 की यूपीए सरकार के दौरान उनके खिलाफ जांच चल रही थी।” इस मुद्दे पर अब काफी विवाद हो रहा है।

बताया जा रहा है कि, जिग्नेश शाह की कंपनी एफटीआईएल ने दिल्ली के महरौली स्थित इंदिरा गांधी फार्म हाउस को किराए पर लिया था। किराए पर लेने के लिए एफटीआईएल ने 11 महीने का लीज एग्रीमेंट साइन किया था। करार के मुताबिक प्रति महीने इसके लिए 6.7 लाख रुपए चुकाने की बात तय हुई थी। इसके लिए एफटीआईएल ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को ब्याज रहित दो अलग-अलग क्रमश: 40.20 लाख और 20.10 लाख रुपए के चेक भी दिए थे। इस करार के मुताबिक, कंपनी इस फार्म हाउस का उपयोग अपने अतिथियों और अधिकारियों के रुकने के लिए गेस्ट हाउस के रूप में करना चाहती थी।

मामले के प्रकाश में आने के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है। संबित पात्रा ने कहा कि, राहुल गांधी न केवल किराया लेते थे, बल्कि उनके अकाउंट में पैसे भी पहुंचते थे। साल 2005 के आस-पास NSEL नाम की कंपनी आई थी। 5 जून 2007 को यूपीए ने इस कंपनी को किसी भी रेगुलेशन से छूट दे दी थी। इस वजह से ही 5600 करोड़ का घोटाला हुआ। FCA ने सरकार को एक चिट्टी लिखी थी कि, आपने जिस संपत्ति को छूट दी है उसमें घोटाला हो रहा है। सरकार ने 2012 में नोटिस भी जारी किया था।

संबित पात्रा ने यह भी कहा कि, सोनिया गांधी के कहने पर NSEL पर ढेड साल तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने कहा कि, फरवरी 2013 में यूपीए सरकार के नोटिस के कुछ महीने बाद रेंट एग्रीमेंट हुआ जो राहुल गांधी और जिग्नेश शाह के बीच  था।

इस तरह से एक बार फिर से कांग्रेस पर घोटालों की आंच आती दिख रही है, जो यह बताने को पर्याप्त है कि कांग्रेस और भ्रष्टाचार का चोली-दामन का साथ रहा है। देखने वाली बात यह है कि, इस चुनावी समय में कांग्रेस के दामन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से कांग्रेस कितना बच पाती है और चुनावों में इसका कितना असर पड़ेगा।

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