ऐसा प्रतीत होता है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को हिंदुत्व के एजेंडे पर कमजोर पड़ने की कीमत चुकानी पड़ रही है। दूसरी तरफ कांग्रेस द्वारा नर्म हिंदुत्व का रुख अपनाने से इस पार्टी को हिंदी बेल्ट वाले राज्यों में काफी मदद मिल रही है। राम मंदिर निर्माण के प्रति बीजेपी के ढुलमुल रवैये से इस पार्टी को काफी नुकसान होता दिख रहा है।
राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों के परिणाम बीजेपी और उसके लीडर्स के लिए एक सबक की तरह हैं। इस पार्टी के नेता मानते हैं कि एलपीजी कनेक्शन, घर, और बिजली बांटने व नक्सलियों का सफाया आदी कर देने से ही वह चुनावों में बढ़त पा लेगी। किंतु इस पार्टी के समर्थक कांग्रेस समर्थकों की तरह अंध भक्त नहीं हैं। वे चाहते हैं कि, उनकी पार्टी राम मंदिर, कश्मीरी पंडितों, अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए के लिए भी ठोस कदम उठाए। बीजपी समर्थको लग रहा है कि, हिंदुत्व के मुद्दे पर उनकी पार्टी नर्म पड़ रही है। उनके मन में सवाल है कि, लोकसभा में बीजेपी को बहुमत है और राज्यसभा में भी यह सबसे बड़ी पार्टी है, तो आखिर इस पार्टी को राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने से कौन रोक रहा है?
बीते 29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या केस की सुनवाई जनवरी 2019 तक टालने के बाद बीजेपी समर्थकों को उम्मीद थी कि, यह पार्टी अध्यादेश के लिए जाएगी। लेकिन उनकी उम्मीदें धरी की धरी रह गई। साल 2014 के आम चुनावों में बीजेपी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का वादा किया था और इसे वादे को अपने चुनावी घोषणापत्र में भी शामिल किया था। लेकिन ऐसा लगता है कि, बीजेपी अपने इस वादे पर नजर ही नहीं डालना चाहती। इस पार्टी के कुछ बड़े नेता मानते हैं कि, वे केवल विकास के मुद्दे पर ही 2019 का चुनाव जीत जाएंगे।
बता दें कि, राष्ट्रीय राजनीती में बीजेपी का पदार्पण राम मंदिर आंदोलन से ही हुआ है। साल 1988 में बीजेपी के दो सीटों से बढ़कर भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी हो जाने के पीछे के कारणों में एक महत्वपूर्ण कारण राम मंदिर का मुद्दा भी था। भारत की जनता इस पार्टी से राम मंदिर के निर्माण के इसके वादे के पूरा होने का सालों से इंतजार कर रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि, यही एक मुद्दा 2019 के आम चुनावों में बीजेपी के भाग्य का फैसला करेगा।
अयोध्या के बड़े आध्यात्मिक नेताओं ने तो यह स्पष्ट कर दिया है कि, यदि बीजेपी अपना वादा पूरा नहीं करती है, तो उसे चुनावों में अपने समर्थकों से भी कोई उम्मीद नहीं करनी चाहिए। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ मे बीजेपी को अपने इस खराब प्रदर्शन से सीख लेनी चाहिए। पार्टी को मतदाताओं के प्रति अपनी प्रतिबद्दता का सम्मान करना चाहिए। वहीं बीजेपी को अपनी मूल हिंदुत्व फिलॉसफी पर बरकरार रहना चाहिए वरना मतदाता कांग्रेस के नर्म हिंदुत्व की ओर जाने में जरा भी संकोच नहीं करेंगे। कांग्रेसी नेताओं ने तो राम मंदिर निर्माण के वादे भी करना शुरू कर दिये हैं। बीजेपी को जल्द ही अपने मूल मुद्दे पर वापस आना होगा वरना यह पार्टी दूसरी पार्टियों को अपना मूल हिंदुत्व वोट बैंक सौंप देगी।
राम मंदिर सिर्फ एक मंदिर नहीं है। यह हिंदुओं के विश्वास, संघर्ष और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। दूसरी ओर राम मंदिर बनने के बाद अयोध्या के विकास को भी बहुत बल मिलेगा। यह अयोध्या को पूरी तरह से बदल देगा और अयोध्या दुनिया भर के भारतीयों के मन में अपना सही स्थान वापस ले पाएगा। अयोध्या हिंदू पहचान का एक अभिन्न अंग है और लंबे समय से प्रतीक्षारत राम मंदिर का निर्माण हिन्दू एकता को मजबूत करेगा।