सरकारी कर्मचारियों के संघ की शाखा जाने पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही कांग्रेस

आरएसएस कमलनाथ

PC: AajTak

चुनाव से पहले की बात करें या चुनाव के बाद की बात करें, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं। कई बार विवादित बयान देकर पूरे कांग्रेस की थू-थू कराने वाले कमलनाथ ने एक बार फिर से कुछ ऐसा ही किया है। चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में आरएसएस की शाखाओं पर कार्रवाई करने और  उनसे निपट लेने की बात कही थी और अब इसी पर काम करने की योजना बना रहे हैं कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार।

बता दें कि कांग्रेस ऐसा कदम सिर्फ और सिर्फ बीजेपी और संघ को दबाने के लिए उठा रही है। जबकि लोकतंत्र और संविधान में सभी को अपने विचार और अपनी बात रखने का हक है। इसके बावजूद कांग्रेस सत्ता में आते ही दमन की गंदी राजनीति शुरु कर दी है। ये बताता है कि कांग्रेस आरएसएस से कितनी डरी हुई है। कांग्रेस ऐसा कदम केवल बीजेपी समर्थकों से निपटने के लिए कर रही है। जो ये दर्शाता कि कांग्रेस कितनी ओछी हद तक गिरती जा रही है।

दरअसल कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में कहा था कि सत्ता में आते ही हम सरकारी कर्मचारियों के संघ की शाखाओं में शामिल होने पर रोक लगाएंगे। खबरों की मानें तो सामान्य प्रशासन विभाग आलाकमान के इशारे पर इसकी तैयारा भी शुरु हो गयी है। खबरों की मानें तो इसके लिए मप्र में कर्मचारियों पर संघ की शाखा में बैन लगाने के लिए केंद्र सरकार के आदेश को आधार बनाने का प्रयास किया जा रहा है। यही नहीं, सरकारी परिसरों में संघ की शाखा लगाने पर भी बैन लगाया जाएगा।

बता दें कि इससे पहले जब कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में इन दोनों कार्यों का उल्लेख किया था, उस समय भी कांग्रेस को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।  इस पर खूब बवाल मचा था। जिसके कारण कांग्रेस बैकफुट पर आ गई थी। अब इस वचन पत्र पर अमल करने के लिए मंत्रालय में तैयारियां तेज हो गई हैं।

दरअसल, वर्ष 2000 में दिग्विजय सरकार में आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। बाद में शिवराज सिंह चौहान ने सितंबर 2006 में यह प्रतिबंध हटा दिया गया था। इस तरह से दिग्विजय सरकार के आदेश को शिथिल कर दिया गया था लेकिन अब कांग्रेस की सरकार बनते ही कमलनाथ ने फिर से बीजेपी कार्यकर्ताओं और विचारधार विशेष के दमन के लिए फिर से ऐसी घटिया हरकत की है।

बता दें कि चुनाव से पहले एक रैली में भी कमलनाथ ने कहा, “कमलनाथ की चक्की चलती है देर से, पर बहुत बारीक पीसती है।” उन्होंने आगे कहा, “याद रखना, 11 के बाद 12 दिसंबर भी आता है।” कमलनाथ का ये बयान पूरे मध्यप्रेदश के सरकारी कर्मचारियों के लिए सीधी धमकी है। लोकतंत्र में इस तरह की धमकियों का कोई स्थान नहीं है। संविधान से भारत के हर एक नागरिक को अपने विचार रखने की स्वतंत्रता मिली है। कमलनाथ का पार्टी के सत्ता में आने के बाद कोपभाजन बनने के लिए तैयार रहने की धमकी एक लोकतांत्रिक देश में कहीं से भी स्वीकार्य नहीं लगती। ये पहली बार नहीं है जब उन्होंने कोई विवादित बयान दिया हो। इससे पहले उन्होंने महिलाओं और संघ के बारे में भी विवादित बयान दिए हैं। यही नहीं, कमलनाथ को एक वीडियो में ये कहते हुए पाया गया था कि गुंडा, बदमाश, केस वाला, या ऐसा कोई भी चलेगा, मुझे जीतने वाला व्यक्ति चाहिए। जो ये बताता है कि चुनाव जीतने और सत्ता पाने के लिए कांग्रेस किस हद तक गिर गई थी।

अब, जबकि कांग्रेस सत्ता में आ गई है, तब वो विपक्ष की विचारधारा को दबाने के लिए ओछी हरकत पर आ गई है। कांग्रेस की ये हरकत बताती है कि आरएसएस से लोकतंत्र को नहीं बल्कि कांग्रेस को आरएसएस से खतरा है। तभी कांग्रेस इतनी परेशान है।                

 

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