सबरीमाला मंदिर एक बार फिर से चर्चा में है और इस बार चर्चा की वजह है मंदिर में 10-50 वर्ष की महिला कार्यकर्ताओं का प्रवेश करने का प्रयास करना। हालांकि, उन्हें अयप्पा के भक्तों के विरोध प्रदर्शन के आगे झुकना पड़ा। जबसे से सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर मामले में अपने फैसले में 10-50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश से प्रतिबंध को हटाया है तबसे आये दिन कोई न कोई महिला कार्यकर्ता मंदिर में प्रवेश करने का प्रयास कर रही हैं और ये महिलाएं वो हैं जो न तो अयप्पा की भक्त हैं और न ही इन्हें भक्तों की आस्था से कोई मतलब है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भारी संख्या में महिला श्रद्धालु ही विरोध में शामिल थीं फिर भी केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन कोर्ट के फैसले को लागू करने पर अड़े थे। इसके बाद ये मामला और गरमा गया जब मंदिर की पवित्रता को खंडित करने के लिए कुछ महिला कार्यकर्ताओं ने मंदिर में प्रवेश करने का प्रयास किया था तब इन्हें केरल सरकार की तरफ से संरक्षण भी मिला था। ये प्रयास तब किया गया था जब सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गयी थी जिसपर कोर्ट ने सुनवाई के लिए अगले साल 22 जनवरी की तारीख तय की है।
अब सेल्वी मानो के नेतृत्व वाले एक और महिला समूह ने मंदिर में प्रवेश करने का प्रयास कर मामले को एक बार फिर से बढ़ा दिया है। ऐसा लगता है कि केरल सरकार को अंदाजा नहीं था कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश करने के प्रयास से परिणाम इतने भारी होंगे। या फिर केरल सराकर ने सेल्वी मानो द्वारा उठाये गये विवादस्पद कदम को अनदेखा कर दिया। स्वराज ने अपनी रिपोर्ट में कई घटनाक्रम का विवरण दिया है जो ये साबित करता है कि सेल्वी मानो के इरादे नेक नहीं थे। सेल्वी के फेसबुक को देखें तो सेल्वी की विचारधारा, इरादे और उद्देश्य साफ झलकता है। 17 दिसंबर को सेल्वी मानो ने अपने फेसबुक पर एक स्टेटस अपडेट किया था जिसमें सेल्वी ने घोषणा की है कि उनकी संस्था फिर से तूतीकोरिन में वेदांत स्टरलाइट कॉपर प्लांट को फिर से खोलने नहीं देगी और उन लोगों का संस्था समर्थन करेगी जो इस प्लांट के खिलाफ थे। यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि सेल्वी ने ये घोषणा तब की है जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने तूतीकोरिन में वेदांता ग्रुप की स्टरलाइट कॉपर प्लांट को बंद करने के तमिलनाडु सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया था।
वो यही नहीं रुकी इसके बाद एक और स्टेटस अपडेट किया और ‘गाजा’ चक्रवात से प्रभावित लोगों को उकसाते हुए उन्हें स्टरलाइट द्वारा दी गई राहत सामग्री को न स्वीकारने के लिए कहा। ये सेल्वी के लेफ्ट की कट्टरपंथी विचारधारा को दर्शाता है और ये भी साफ़ करता है कि अपनी विचारधारा को लागू करने के लिए वो लोगों की भावनाओं की भी कदर नहीं करती हैं। हालांकि, यहां चौंकाने वाला तथ्य ये है कि सेल्वी मानो अलगाववादी तत्वों की समर्थक रही हैं। पिछले कुछ महीनों से महिला कार्यकर्ता एक अलग तमिल राज्य की मांग के लिए अभियान चला रही है। यहां तक कि 29 नवंबर को सेल्वी ने एक मैप भी पेश किया था जिसमें तमिल एक अलग राज्य के रूप में चित्रित था और दावा किया था कि राज्य की जीडीपी फ़िनलैंड की तुलना में ज्यादा है ऐसे में इसे एक अलग राष्ट्र कहा जा सकता है। ये सेल्वी की बेतुकी और अलगाववादी मानसिकता को दर्शाता है। सेल्वी अपनी भारत विरोधी और अलगाववादी मानसिकता को लेकर कभी खुलकर सामने नहीं आई। ट्विटर पर तो कुछ यूजर का दावा है कि सेल्वी मानो कट्टरपंथी इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक की समर्थक भी है जो नियमित रूप से किसी न सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाले उपदेश की वजह से चर्चा में रहते हैं। इन सभी घटनाओं से साफ़ है कि ये महिला कार्यकर्ता हिंदू विरोधी और भारत विरोधी तत्वों का समर्थन करती है।
केरल सरकार ने निश्चित रूप से सेल्वी मानो के नेतृत्व वाले महिला कार्यकर्ताओं के ग्रुप को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति देकर सही नहीं किया। कोर्ट में पुनर्विचार याचिका पहले ही दायर की जा चुकी हैं और जल्द ही इस मामले में कोर्ट का फैसला भी आ जायेगा। सीएम विजयन को भी इस मामले में किसी भी तरह की विवादित स्थिति को जन्म देने वाले तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। यही नहीं सबरीमाला मंदिर में प्रवेश कर मंदिर की पवित्रता को खंडित करने और एक नए विवाद को जन्म देने वाले तत्वों को अनुमति नहीं देनी चाहिए।