कमल नाथ को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाये जाने पर बग्गा का बड़ा ऐलान

तेजिंदर पाल सिंह बग्गा कमलनाथ

PC: Aajtak

मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की तरफ से कमलनाथ होंगे प्रदेश के नए मुख्यमंत्री। भोपाल में कमलनाथ के नाम पर मुहर लगा दी गयी इसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को कई मैराथन बैठकों के दौरे करने पड़े। हालांकि, इसमें अहम भूमिका सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी की रही। इस खबर के सामने आने के बाद से कमलनाथ के नाम पर ट्विटर पर कई विरोधी ट्वीटस आने लगे जिसमें कांग्रेस के इस कथित फैसले की चारों तरफ से आलोचना की जाने लगी। कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनाने के फैसले का बीजेपी भी आलोचना कर रही है और इसके पीछे की वजह है कमल नाथ का 1984 के दंगों में हाथ होना। दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा शुरू से ही कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाये जाने का शुरू से ही विरोध कर रहे हैं। अब उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से एक वीडियो शेयर किया है जिसमें उन्होंने कमलनाथ के सीएम बनाये जाने पर आमरण अनशन की घोषणा कर दी है।

तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने अपने ट्विटर पर वीडियो पोस्ट करते हुए कहा, “अगर राहुल गांधी सिखों के कातिल,गुरुद्वारा रकाबगंज को जलाने वाले कमलनाथ को CM घोषित करते है तो मैं आमरण अनशन पर बैठूंगा। ये लड़ाई मेरे सिख बहनो की है जिनकी इज्जत लूटने, माताओं की जिनके बेटो को जिंदा जलाने का काम कांग्रेस ने किया और जिसके लिए मुझे जान भी देनी पड़ी तो मैं देने को तैयार हूं।”

तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने अपने अगले ट्वीट में कहा है, “जिस दिन हत्यारा कमलनाथ शपथ लेगा उसी दिन, उसी समय से मैं अनशन पर बैठूंगा। तिलक नगर के तिलक विहार इलाके जहां 1984 नरसंहार के हज़ारों पीड़ित परिवार रहते है, अनशन स्थल भी वहीं होगा।“

इससे पहले कमलनाथ के नाम पर दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने गुस्से में ट्वीट कर कहा था कि, “सुना है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 84 में हुए सिख नरसंहार के हत्यारे कमलनाथ को बतौर सीएम नियुक्त करने की घोषणा कर दी है। ये वही शख्स हैं, जिन्होंने गुरुद्वारा रकाबगंज (हिंद दी चादर गुरु तेग बहादुर जी का दाह संस्कार स्थल) में तब आग लगा दी थी। ये चीज एक बार फिर से दर्शाती है कि कांग्रेस सिख विरोधी पार्टी है।” इसके अलावा कपिल मिश्रा ने भी कांग्रेस के इस फैसले की आलोचना की यहां तक कि कई यूजर्स ने तो कांग्रेस को ‘सिख विरोधी पार्टी’ तक कह दिया था।

बता दें कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जो सिख दंगे हुए थे उसमें किसी न किसी तरह से कांग्रेस नेताओं का हाथ शामिल था और उन नेताओं में से एक कमलनाथ भी थे। उस दंगे में एक सिख परिवार के पिता और बेटे को जिंदा जलाया गया था। सूरी नाम के एक प्रत्यक्षदर्शी ने कमीशन को बताया था कि उस दंगे का नेतृत्व कमल नाथ कर रहे थे। सूरी के अलावा कमल नाथ की उपस्तिथि की पुष्टि दो वरिष्ठ अधिकारियों, आयुक्त सुभाष टंडन और अतिरिक्त आयुक्त गौतम कौल और एक स्वतंत्र स्रोत, द इंडियन एक्सप्रेस रिपोर्टर भी की थी। कमल नाथ की उपस्थिति की पुष्टि भी हो गयी लेकिन फिर भी कमल नाथ को उनके किये की सजा नहीं मिली। आज भी सिख दंगे से पीड़ितों का कहना है कि कमल नाथ को उनके किये की सजा नहीं मिली है। हद तो तब हो गयी जब साल 2016 में कमलनाथ को पंजाब का पार्टी प्रभारी बनाया था। इस कदम से कांग्रेस ने सिखों के ज़ख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया था। उस समय कांग्रेस को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। इसके बाद कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा था। आज भी सिख दंगे के पीड़ित उस दर्द को नहीं भुला पाएं हैं। अब सजा की बजाय कांग्रेस पार्टी ने कमलनाथ को तोहफे के तौर मध्य प्रदेश की सत्ता ही दे दी।  

Exit mobile version