लोकसभा में तीन तलाक विधेयक पारित लेकिन राज्य सभा में पारित होने में विपक्ष डाल सकता है रोड़ा

तीन तलाक लोकसभा विधेयक

PC: The Indian Express

मुस्लिम महिलाओं के उत्पीड़न को रोकने के लिए मोदी सरकार की पहल पर तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत पर लाया गया विधेयक कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों की अड़ंगे के बाद भी  पास हो गया है।  अब यह विधेयक संसद की उच्च सदन यानी राज्यसभा से पारित हो पाएगा नहीं, ये अभी तक स्पष्ट नहीं है। इसका कारण ये है कि लोकसभा में बीजेपी के पास पर्याप्त बहुमत है जबकि राज्यसभा में बीजेपी के पास बहुमत नहीं है।

बता दें कि तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को रोकने के लिए लाया गया मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2018 कल यानी गुरुवार को लोकसभा में पास हो गया। गुरुवार को इस मुद्दे पर लोकसभा में 5 घंटे की गर्मागर्मी के बीच नेताओं के बीच तीखी बहस हुई। 5 घंटे की इस चर्चा के बाद विधेयक के पक्ष में कुल 245 वोट पड़े जबकि दूसरी ओर विधेयक के विरोध में सिर्फ 11 वोट ही पड़े।

वोटिंग के दौरान कांग्रेस, एआईएडीएमके, डीएमके और समाजवादी पार्टी वॉक आउट कर गए। लेकिन विधेयक लोसकभा से पास हो गया। फिलहाल, संशय है कि संसद के उच्च सदन में मोदी सरकार इस विधेयक को पास करा पाएगी या नहीं क्योंकि लोकसभा में तो उसके पास पर्याप्त बहुमत था लेकिन राज्यसभा में उसके पास बहुमत नहीं है। लोकसभा में मोदी सरकार के पास स्पष्ट बहुमत होने के चलते यह पहले से ही लगभग तय था कि यह बिल लोकसभा में तो पास हो जाएगा। संशय तो राज्य सभा में है। वहीं दूसरी ओर लोकसभा में इस विधेयक के पास होने से राष्ट्रीय महिला आयोग ने खुशी जताई है।

दरअसल, लोकसभा में बहुमत न होने के कारण कांग्रेस, सपा, बसपा समेत अन्य विपक्षी दलों की दाल नहीं गली। वो विधेयक को रोक नहीं सके। यही कारण था कि वो वॉक ऑउट कर गए। अब सवाल राज्यसभा में पास होने का है,  क्या विपक्षी दल मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से मुक्ति दिलाने वाले इस विधेयक पर राजनीति से ऊपर उठकर मोदी सरकार का समर्थन करेंगे?

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त, 2017 में तलाक-ए-बिद्दत की प्रथा को असंवैधानिक करार दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में तीन तलाक को असंवैधानिक करार देते हुए सरकार को कानून बनाने के लिए कहा था। उसके बाद मोदी सरकार ने दिसंबर, 2017 में लोकसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक लोकसभा से तो पारित करा लिया, लेकिन जब ये बिल राज्यसभा में पहुंचा तो वहां विपक्षियों के राजनैतिक विरोधवश के कारण अटक गया। सरकार के पास उच्च सदन में पर्याप्त संख्या बल न होने के कारण सरकार राज्यसभा से इस बिल को पास नहीं करा पाई।

इसके बाद सरकार  सितंबर में अध्यादेश लेकर आई थी लेकिन विपक्ष ने इसपर सहमति की मुहर नहीं लगाई। चूंकि, अध्यादेश की अवधि अधिकतम 6 महीने तक की ही होती है इसलिए ये बिल एक बार फिर संशोधन के साथ लोकसभा में लाया गाया। अब सरकार के सामने सबसे बड़ी अड़चन राज्यसभा में इसे पास करवाने की है।

राजनैतिक जानकारों की मानें तो कांग्रेस का वॉकआउट करना सरकार के लिए इतना बड़ा मसला नहीं है क्योंकि कांग्रेस तो कभी भी सरकार के साथ थी ही नहीं। इस बार सदन से एआईएडीएमके के वॉकआउट करने पर सरकार के सामने समस्या आ सकती है। दरअसल एआईडीएमके अक्सर सरकार का समर्थन करती रही है। कई बार कठिन परिस्थितियों एआईएडीएमके ने सरकार का साथ दिया है लेकिन इस बार एआईडीएमके के लोकसभा से वॉकआउट कर जाने के कारण सरकार के सामने समस्या दिख रही है।

तीन तलाक बिल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक अहम विधेयक है जिसे वो तमाम रैलियों में केंद्र सरकार की उपलब्धि और नारी सशक्तिकरण की दिशा में इसे बहुत बड़ा कदम बताते रहे हैं। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी मुस्लिम महिलाओं की समस्या को सुलझाकर उन्हें न्याय दिलाने का प्रयास कर रही है। अब पहली समस्या ये है कि मौजूदा संसद सत्र 8 जनवरी तक ही चलना है और अगर इस बार भी बिल राज्यसभा में अटक जाता है तो सरकार को दोबारा अध्यादेश लाना पड़ेगा। चूंकि, ये अंतिम सत्र है लिहाजा नई सरकार और नई संसद के समक्ष ही इस बिल को दोबारा लाया जा सकेगा। 

ऐसा माना जा रहा है कि तीन तलाक पर कांग्रेस का अड़ंगा लगाना उसकी चुनावी सीजन को देखते हुए राजनैतिक फितरत है। दरअसल, तीन तलाक से अनगिनत मुस्लिम महिलाओं का जीवन नर्क बना हुआ है। इससे वो मुक्ति पाना चाहती हैं। कई महिलाएं आज भी घुट-धुट कर जी रही हैं। इस बिल का नाम सुनकर उनके चेहरे चहक उठते हैं। वो खिल उठती हैं। ऐसे में ये कानून महिलाओं के जीवन में उम्मीदों की एक नई किरण लेकर आएगा। इससे मुस्लिम महिलाओं के जीवन में अभूतपूर्व सुधार होंगे। मुस्लिम महिलाओं के मन में हर पल पल रहे डर और अनिश्चितता का माहौल खात्म होगा। इसलिए कांग्रेस को पता है कि इस विधेयक के पास हो जाने से मोदी सरकार की महिला सशक्तिकरण की दिशा में अभूतपूर्व सुधार होंगे। यही कारण है कि कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल नहीं चाहते हैं कि मोदी सरकार इस कानून को पारित कर मुस्लिम महिलाओं का मसीहा कहलाये। कांग्रेस को डर है कि कहीं मुस्लिम महिलाएं 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की समर्थक न बन जाएं। बस, इसीलिए किसी भी तरह से कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल इस बिल को रोकने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। 

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