मीटू कैपेन जिस समय चला था, उसी समय इस बात का अंदेशा लगाया जा रहा था कि, इसमें कई निर्दोश लोगों को फंसाए जाने की संभावना है। अब धीरे-धीरे वह अंदेशा सच होते हुए भी दिखाई दे रहा है। ऐसा ही कुछ बॉलीवुड के अभिनता आलोक नाथ के केस में मालूम पड़ रहा है। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि, इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि, यह मामला एकतरफा प्यार से प्रेरित हो।
बता दें कि, बॉलीवुड के जाने-माने अभिनेता आलोक नाथ के खिलाफ लेखक और प्रोड्यूसर विंता नंदा ने आरोप लगाया था कि, आलोक नाथ ने उनका रेप किया था। लेकिन जज द्वारा की गए इस टिप्पणी से उनका केस कमजोर पड़ता दिख रहा है। दरअसल, इस मामले में मुंबई कोर्ट ने कहा कि, विंता नंदा अपने साथ हुए कथित अपराध की तारीख या महीना नहीं बता सकी है।
खबरों की मानें तो मुंबई की सेशन कोर्ट ने आलोक नाथ की गिरफ्तारी से पहले जमानत की अनुमति देते हुए कहा कि, इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि, उसे अपराध में झूठा ठहराया गया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि, विंता नंदा को पूरी घटना याद है लेकिन घटना की तारीख और महीना याद नहीं है। यह सब देखते हुए इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि, आरोपी को अपराध में झूठा फंसाया गया।
बता दें कि, सेशन कोर्ट के जज एसएस ओझा ने 15 पेज वाले अपने ऑर्डर में कहा कि, आलोक नाथ को 5 लाख रुपए के मुचलके पर जमानत दी गई है। उन्हें कई फिल्मों और टेलीविजन शो में संस्कारी भूमिकाओं के लिए जाना जाता है। इससे पहले मंगलवार को कोर्ट की वेबसाइट पर आलोक नाथ से संबंधित जो ऑर्डर अपलोड किया गया है उसमें जज का स्टेटमेंट था। जज एसएस ओझा ने कहा था कि, नंदा द्वारा लगाए गए आरोप आलोक नाथ के लिए उनके एकतरफा प्यार से प्रेरित हो सकते हैं।
इसके अलावा कोर्ट ने कहा, “मिस नंदा और आलोक नाथ की पत्नी आशू चंडीगढ़ कॉलेज में दोस्त थीं। यह 1980 की बात है। यह दोनों एक प्रोडक्शन यूनिट में काम कर रही थीं जहां उनकी मुलाकात आलोक नाथ से हुई। यहां तीनों ही लोग अच्छे दोस्त बने। आलोक नाथ ने आशू को 1987 में प्रपोज किया और शादी कर ली।”
कोर्ट ने आगे कहा कि, उस दौरान शिकायतकर्ता को लगा कि वह अकेली हो गई हैं क्योंकि उसने अपना सबसे अच्छा दोस्त खो दिया था। जज एसएस ओझा ने कहा, “शायद आलोकनाथ के खिलाफ शिकायतकर्ता का आरोप उनके एकतरफा प्यार से प्रेरित हो सकता है।” जज ने यह भी कहा कि “इस मामले में एक बात ध्यान देने लायक है कि शिकायतकर्ता को पूरा वाकया याद है, लेकिन तारीख और महीना याद नहीं है। सभी तथ्यों को देखते हुए इस बात की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता कि, अभिनेता को झूठे अपराध में फंसाया गया।” इसके बाद अतिरिक्त सत्र न्यायालय के न्यायाधीश एसएस ओझा ने आलोक नाथ को 5 लाख के मुचलके पर जमानत दे दी। जज की इन टिप्पणियों से वर्तिका द्वारा लगाए गए आरोप कमजोर होते दिख रहे हैं।
बता दें कि, देश में हुए मीटू आंदोलन के दौरान कई बड़ी हस्तियों पर ऐसे आरोप लगे थे। जिसकी चपेट में आलोक नाथ भी आए थे। विंता नंदा 1990 के दशक के टीवी सीरियल ‘तारा’ की प्रोड्यूसर थीं। इसमें आलोक नाथ दीपक सेठ की मुख्य भूमिका में थे। विंता ने एक फेसबुक पोस्ट में आलोक नाथ पर रेप के आरोप लगाए थे। विंता नंदा का आरोप है कि, 19 साल पहले एक दिन आलोक नाथ उन्हें घर छोड़ने गए थे। उस दौरान उन्होंने उन्हें शराब पिलाकर दुष्कर्म किया था। इसके बाद उन्होंने 21 नवंबर को एफआईआर दर्ज करवाई थी। उसके बाद से देश में मानों भूचाल सा आ गया था। अब कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद मामला ठंडा होता दिख रहा है।