आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के लिए मोदी सरकार द्वारा 10% आरक्षण का प्रस्ताव कल यानी मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया। इस दौरान लोकसभा में काफी गहमा-गहमी, उठापटक और तमाम वाद-विवाद के बाद ये बिल बहुमत से पास हो गया। कुल 326 मौजूद सांसदों में से 323 सांसदों ने इस 124वें संविधान संशोधन बिल के समर्थन में वोट किए। इस दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 1992 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आरक्षण की सीमा निर्धारित किए जाने समेत तमाम सवालों और संशयों पर बेबाकी से अपनी राय रखी। अरुण जेटली ने बाताया कि आखिर क्यों इस बिल की जरूरत पड़ी। इस बिल के क्या महत्व हैं।
इस बहस के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि सवर्ण आरक्षण पर अभी तक सही प्रयास नहीं हुए है और पिछली सरकारों ने सही कोशिश नहीं की। उनकी इस बात पर संसद में गुफ्तगू और हलचल शुरू हो गई। इस बीच अरुण जेटली ने आगे कहा कि सभी राजनीतिक दलों ने अपने घोषणा पत्र में अनारक्षित आरक्षण की बात की है। किसी ने भी सवर्ण आरक्षण पर कुछ नहीं कहा है। अरुण जेटली की बातें विपक्ष को चुभ रही थीं लेकिन ऐसा मालूम पड़ रहा था मानों वित्तमंत्री पूरे मूड में थे। वो लगातार विपक्ष की करतूतों को भरी संसद में बताते जा रहे थे। आगे वित्तमंत्री ने बताया कि इस बिल के जरिए बराबरी लाने की कोशिश है और इसका फायदा आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को मिलेगा। उन्होंने बताया कि सरकार से सहायता पाने वाले और ना पाने वाले संस्थानों में भी इसका फायदा मिलेगा।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 1992 में आरक्षण की अधिकतम सीमा 50% निर्धारित किए जाने के सवाल पर वित्तमंत्री ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 50 फीसदी आरक्षण की सीमा केवल पिछड़े समुदायों के लिए कही थी। सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया था वो सिर्फ 16 (4 ) के आरक्षण के संबंध में था। जो ये सवाल कर रहे हैं आज हम ये बिल क्यों लेकर आये तो वो पटेल समाज को आरक्षण आपकी पार्टी ने साल 2016-17 से पहले तो कभी नहीं कहा था। समाज में कई वर्ग ऐसे हैं जो आर्थिक परिवर्तन से आगे निकल गये। कुछ अन्य वर्गों में भी आर्थिक रूप से कमजोर होंगे, ऐसे इन सभी को सोशल और इकोनॉमिक्स जस्टिस के लिए ये आरक्षण लाया जाए और मुझे लगता है आज वो वक्त आ गया है। उन्होंने बताया कि इससे पहले नोटिफिकेशन के माध्यम से या फिर एक्ट के माध्यम से कानून बनाने की कोशिश की गई थी, लेकिन वैसे कानूनों के लिए सोर्स ऑफ पावर नहीं था, इसलिए इन्हें लागू नहीं किया जा सका। जेटली ने कहा, ‘पहला आरक्षण एससी/एसटी के लिए था और उसमें कोई विवाद नहीं था।’ इस दौरान जेटली ने अंबेडकर के इस वक्तव्य का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि कोई एससी/एसटी तरक्की कर लें और सोचे की मेरी जात बदल जाए लेकिन ऐसा नहीं हो सकता है। इस दौरान अरुण जेटली ने अन्य पार्टियों के घोषणापत्रों का भी जिक्र किया जिन्होंने पहले भी आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के लिए आरक्षण की बात कही थी।जेटली ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस ने 2014 के अपने घोषणापत्र में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का समर्थन करने की बात कही थी। आज परीक्षा है और वो बड़े दिल से उसका सहयोग करे। उन्होंने कम्युनिस्टों पर चुटकी लेते हुए ये भी कहा कि इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि गरीबों को कुछ दिया जा रहा है और कम्युनिस्ट उसका विरोध कर रहे हैं।
अब इसकी असली परीक्षा राज्यसभा में होगी। इसका कारण ये है कि लोकसभा में विपक्ष बहुमत में नहीं थी इसलिए उसे इस बिल को रोक पाना संभव नहीं था लेकिन राज्यसभा में विपक्ष बहुमत में है, वहां मोदी सरकार को दो तिहाई बहुमत जुटा पाना आसान नहीं होगा। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पहले ही इस बिल को सिलेक्ट कमेटी को भेजने की बात कह चुके हैं। इसलिए वहां पर विपक्ष इस संविधान संशोधन बिल को रोकने में अपनी शक्तिप्रदर्शन करे तो कोई नई बात नहीं होगी क्योंकि इससे पहले तीन तलाक जैसे मुद्दों पर विपक्ष ऐसी हरकतें कर चुका है।