NBT के पत्रकार को भारतीय रेलवे पर झूठा हमला पड़ा महंगा, सोशल मीडिया में हो गई फजीहत

तेजिंदर पाल सिंह बग्गा नवभारत टाइम्स भारतीय रेलवे

रविवार को बीजेपी के भाजपा दिल्ली इकाई के प्रवक्ता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा के एक ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए नवभारत टाइम्स (एनबीटी) के एक संवाददाता, दामोदर व्यास ने जो कहा उससे वो खुद ही मजाक का पात्र बनकर रह गये। दरअसल, 20 जनवरी को बीजेपी प्रवक्ता ने एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने रेलवे के खानपान सेवाओं की सराहना की थी इसके बाद नवभारत टाइम्स (एनबीटी) के एक संवाददाता, दामोदर व्यास ने रेलवे की खान-पान की व्यवस्था पर ही हमला शुरू कर दिया।

दामोदर व्यास ने ट्वीट करते हुए कहा, “तेजिंदर बग्गा ये सही में एक अच्छा काम हुआ है इसकी सराहना होनी चाहिए। मेरा बस आपसे और रेल मंत्रालय से एक ही सवाल है। ये 20 जनवरी का नाश्ता 19 जनवरी की शाम में ही यात्री को कैसे दिया गया। या फिर यही नाश्ता 20 जनवरी को दिया जाना है? तो ऑमलेट बासी नहीं हो जाएगा?”

इसके बाद  rightlog।in ने पत्रकार के ट्वीट के बाद तेजिंदर पाल सिंह बग्गा के ट्वीट के समय को क्रॉस-चेक किया। भारत के समय के अनुसार हमने कई डिवाइस से बग्गा के ट्वीट को चेक किया और पाया कि बग्गा ने 20 जनवरी की सुबह ट्वीट किया था और जो तारीख पैकिंग पर मौजूद थी ऑमलेट भी उसी दिन के नाश्ते के लिए था। इसका मतलब साफ़ है कि पत्रकार ने भारत के समय अनुसार ट्वीट नहीं किया है। ये बात ट्विटर के यूजर भी समझ गये लेकिन पत्रकार को समझ नहीं इसके बाद तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने नवभारत टाइम्स (एनबीटी) के एक संवाददाता, दामोदर व्यास को ट्वीट कर अपने जवाब में कहा, “बड़े भाई क्योंकि आज 20 ही है। अपने मोबाइल की टाइम जोन में इंडिया कर दीजिए आपको भी 20 ही दिखाई देगा।”

सिंह वरुण ने भी अपने ट्वीट में तेजिंदर पाल सिंह बग्गा के ट्वीट का स्क्रीन शॉट लेकर नवभारत टाइम्स (एनबीटी) के इस पत्रकार को जवाब दिया,

इसके बाद भी नवभारत टाइम्स (एनबीटी) के इस संवाददाता को पानी गलती का एहसास नहीं हुआ। इसके बाद दामोदर व्यास ने ट्वीट करते हुए कहा, “छोटे भाई… स्नैपशॉट आपके फोन का है।। मेरे फोन का नहीं। वैसे ये कौनसी ट्रेन थी, जिसमें आपने यात्रा की थी। मुझे उम्मीद है कि भारतीय रेलवे के सर्कुलर के अनुसार और आप जागरुक नागरिक हैं इसलिए बिल तो लिया ही होगा। कृपया बिल की तस्वीर भी पोस्ट करेंगे, तो मार्गदर्शन होगा।“

हालांकि, इसके बाद दामोदर व्यास को अपनी गलती का एहसास हो गया लेकिन अब ट्विटर यूजर उन्हें माफ़ करने के मूड में नहीं थे। इसके बाद एक और यूजर ने लिखा, “उम्मीद है कि अगली बार अपनी उंगअलियों को दूरभाष के कुंजीपटल पर नचाने से पहले अपने दिमाग के कछुओं को खोल मे से बाहर निकल लोगे। वैसे, काहे की उम्मीद और वो भी किस से।

इसके बाद कई और यूजर ने व्यास के इस ट्वीट पर चुटकी ली और नवभारत टाइम्स पर तंज कस दिया।

इस तरह के तत्व बिना पूरी जानकारी के भारतीय रेलवे के कार्यों पर हमले करने के लिए तैयार हो जताए हैं। यही नहीं जबसे मोदी सरकार साल 2014 से सत्ता में आई है तबसे रेलवे व्यवस्था में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं इसके बावजूद रेल मंत्रालय की छवि पर हमले करने के बहाने विपक्ष और कुछ मीडिया हाउस तलाशते रहते हैं। साल 2018 में भारतीय रेलवे ने स्वचालित ट्रेनों के अलावा पहला रेलवे विश्वविद्यालय खोला, डीजल इंजनों को इलेक्ट्रिक इंजन में बदला और बोगीबील ब्रिज का उद्घाटन किया यही नहीं इसके अलावा और भी कई बेंचमार्क स्थापित किये हैं।

फिर भी बार बार लेफ्ट लिबरल मीडिया झूठे आरोप लगाकर बीजेपी सरकार की छवि को धूमिल करने का प्रयास करती है। बाकि मामलों की तरह ही इस मामले में भी भारतीय रेलवे पर हमले का गंदा प्रयास सामने आ गया है।

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