केन्द्र की मोदी सरकार ने असम से रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस उनके देश भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस साल की शुरुआत में भारत सरकार ने कुल 1300 रोहिंग्याओं को वापस बांग्लादेश भेजा है। सूत्रों की मानें तो जल्द ही केन्द्र सरकार अन्य रोहिंग्याओं को भी वापस बांग्लादेश भेजेगी। वहीं भारत के इस कदम से यूएन नाराज हो गया है। यूनाइटेड नेशंस और कई मानवाधिकारी संगठनों ने इसकी आोलचना भी की है। इनका कहना है कि, भारत ने अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन नहीं किया है। इन संगठनों ने भारत पर आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि, म्यांमार में संभावित खतरे के बीच रोहिंग्या मुसलमानों को वापस उनके देश भेजना उनके लिए सही नहीं हैं।
बता दें कि, रोहिंग्या शरणार्थी भारत के लिए एक बड़ी मुसीबत बने हुए हैं। इन लोगों ने यहां अपने फर्जी पहचान पत्र बना लिए हैं और ये लोग यहां अवैध गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं।
इससे पहले 4 जनवरी को पांच रोहिंग्याओँ को म्यांमार वापस भेजा गया था। जबकि इससे तीन महीने पहले भी अधिकारियों ने 7 अन्य रोहिंग्या लोगों को पड़ोसी देश वापस भेजा था। अधिकारियों ने बताया कि, उन्होंने तीन महीने पहले यानी 2018 में भी 7 अन्य रोहिंग्या लोगों को पड़ोसी देश वापस भेजा था। ये सभी लोग 2012 से ही असम की जेल में बंद थे। असम के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीमा) भास्कर ज्योति महंत ने मीडिया से बताया कि, इन लोगों को मणिपुर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर म्यांमार के अधिकारियों को सौंप दिया गया।
महानिदेशक महंत ने बताया था कि, “इन्हें बिना यात्रा दस्तावेज के पांच साल पहले पकड़ा गया था और इन पर विदेशी कानून का उल्लंघन करने का मामला दर्ज किया गया था। ये जेल की सजा पूरी करने के बाद तेजपुर हिरासत केंद्र में बंद थे। इन्हें पुलिस एक बस से म्यांमार की सीमा तक लेकर गई।
बता दें कि, केंद्र की एनडीए सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को अवैध प्रवासी मानती है। मोदी सरकार का मानना है कि, उनसे देश की सुरक्षा के लिए खतरा है। सरकार ने आदेश दिया है कि, रोहिंग्या समुदाय के भारत में अवैध तरीके से रह रहे हजारों लोगों की पहचान की जाए और वापस भेजा जाए।
बताते चलें कि, पिछले साल अक्टूबर में भारत ने पहली बार सात रोहिंग्या मर्दों को वापस म्यांमार भेजा था, जो शरणार्थी शिविरों में रह रहे थे। यह पता नहीं चल पाया है कि, म्यांमार वापस भेजे गए लोग किस हालत में हैं। भारत सरकार का अनमुान है कि, यहां करीब 40,000 रोहिंग्या विभिन्न हिस्सों में शिविरों में रह रहे हैं।
खबरों की मानें तो पिछले बार जिस परिवार को वापस भेजा गया उसमें पति-पत्नी समेत उनके तीन बच्चे शामिल हैं। उन्हें साल 2014 में असम में गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने कहा कि, असम की जेलों में करीब 20 और ऐसे म्यांमार के नागरिक मौजूद हैं, जिन्हें भारत में अवैध प्रवेश के लिए गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, यह साफ नहीं है कि, वे सभी लोग रोहिंग्या ही हैं या नहीं। खबरों की मानें तो मोदी सरकार ने भारत में रह रहे 4.5 लाख रोहिंग्या शरणार्थियों के फर्जी दस्तावेजों के सहारे जुटाए गए आधार कार्ड और दूसरे पहचान पत्रों को रद्द करने का काम भी शुरू कर दिया है।
मोदी सरकार के इस कदम से एक बात तो स्पष्ट है कि, वह जल्द ही अवैध प्रवासियों को देश की सीमा से बाहर करने की तैयारियों में है। इस बात से कोई इन्कार नहीं कर सकता है कि अवैध प्रवासियों को देश की सीमा से बाहर करने के पीछे देश का ही हित है।