दिल्ली सरकार के इस फरमान से सदमें में डॉक्टर्स, कहा, मरीजों संग लगाओ ठुमके

दिल्ली सरकार केजरीवाल

ऐसा लग रहा है कि, दिल्ली की अड़ियल केजरीवाल सरकार सब कुछ करेगी लेकिन सुशासन नहीं देगी। अपने नए फरमान में दिल्ली सरकार ने डॉक्टरों से कहा है कि वे मरीजों के साथ डांस करें। सरकार का मानना है कि यह हैप्पीनेस थैरेपी का काम करेगा और इससे मरीजों का मूड अच्छा रहेगा। आप सरकार ने पूर्वी दिल्ली के सबसे बड़े अस्पताल गुरु तेगबहादुर (जीटीबी) में गुरुवार को इसका प्रदर्शन भी किया। जहां स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने फाल्गुनी पाठक के गाने पर नवजात शिशु के साथ डांस किया। बॉलीवुड के कई चर्चित गानों पर वार्ड में मरीजों के साथ नाचते हुए सत्येंद्र जैन काफी उत्सुक नजर आए। अस्पताल के जच्चा-बच्चा वार्ड में उन्होंने नवजात शिशुओं को गोद में ले-लेकर नाच-गाना किया। बता दें कि दिल्ली सरकार की यह पहल ब्राजील की चिकित्सा पद्दति से प्रेरित है।

मीडिया से बात करते हुए सत्येंद्र ने कहा, “डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ और रोगी एक दिन में आधे घंटे तक एक साथ नृत्य कर सकते हैं। अभी ये पहल जीटीबी के एक ही वार्ड में शुरू हुई है, लेकिन दिल्ली सरकार इसे जल्द ही अन्य अस्पतालों में भी शुरू करना चाहती है। यह एक सराहनीय कदम है। दिल्ली के अस्पतालों में लड़ाई-झगड़ों की घटनाओं के बाद डॉक्टर और मरीजों के बीच विश्वास बनाए रखने के लिए यह बेहद आवश्यक है।”

एक बारगी देखने में तो यह एक अच्छा कदम मालूम होता है। लेकिन, दूसरी तरफ यह अपने आप में एक तानाशाही और बेतुका फरमान नजर आता है। जीटीबी अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार, न तो उन्हें इस कदम के बारे में बताया गया, न ही उनसे सलाह ली गई।

दरअसल, दिल्ली के डॉक्टर्स इस हैप्पीनेस थैरेपी के कदम के उतने खिलाफ नहीं हैं जितने कि वे केजरीवाल सरकार के पाखंड के खिलाफ हैं। जीटीबी अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ आनंद चौपड़ा ने कहा, “संसाधनों की कमी और बहुत ज्यादा काम होने से, मरीजों के साथ डांस करना संभव नहीं होगा। पहली बात तो यह कि, हमारे यहां झुग्गी बस्तियों सहित पूर्वी दिल्ली के सभी क्षेत्रों से मरीज आते हैं, और यदि हमारी महिला रेजिडेंट्स इन सभी के साथ डांस करती हैं, तो वे अपने आप को असुरक्षित महसूस करेंगी और इससे उनका काम प्रभावित हो सकता है। दूसरी बात, हमारे पास मरीजों की लंबी कतारें होतीं हैं जिससे हमारे काम के बीच डांस को शामिल करना संभव नहीं है। मैं सभी रेजिडेंट डॉक्टरों की ओर से कहता हूं कि हम वार्डों में डांस नहीं कर पाएंगे।”

इस तरह पूर्वी दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में स्वास्थ्य मंत्री ने बृहस्पतिवार को नाचते हुए हैपिनेस थैरेपी को शुरू किया और शाम होते-होते अस्पताल के ही डॉक्टरों ने इसका विरोध कर दिया। इनका कहना है कि वे वार्ड में खड़ा होकर डांस नहीं करेंगे। न ही इस योजना को अन्य अस्पतालों में लागू होने देंगे।

जीटीबी और दिल्ली के अन्य सरकारी अस्पतालों के रेजीडेंट डॉक्टरों का कहना है कि इस तरह नाचने से अस्पताल का माहौल खराब होगा क्योंकि अस्पताल सायलेंट जोन में आता है। इन डॉक्टरों का मानना है कि डांस को छोड़ योग और मेडिटेशन जैसे अन्य सभी विकल्प वार्ड में मरीजों के लिए शुरू किए जा सकते हैं, लेकिन डॉक्टरों के लिए वार्ड में नाचना गलत है। डॉक्टर बनने के लिए एक स्टूडेंट को कई सालों तक मेहनत करनी पड़ती है। वह मरीजों के इलाज करने के लिए डॉक्टर बनता है न कि दिल्ली सरकार के अनुसार अस्पताल में नाचने के लिए।

जीटीबी के अलावा दिल्ली गेट स्थित लोकनायक अस्पताल, जीबी पंत व डीडीयू सहित कई अस्पतालों के रेजीडेंट्स व डॉक्टरों ने इस पर विरोध जताया है। इन डॉक्टर्स का कहना है कि, जिस तरह से अस्पताल के कुछ अधिकारियों ने स्वास्थ्य मंत्री की नजर में आने के लिए तेज आवाज में गाने बजाए और डांस किया, वह बेहद शर्मनाक है।

दरअसल, केजरीवाल की नेतृत्व वाली आप सरकार के कार्यकाल में दिल्ली-एनसीआर की स्वास्थ्य सुविधाएं केवल नाममात्र की ही रही हैं। 2015-16 में डेंगू से मरने वाले लोगों की संख्या इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। वहीं पिछले तीन सालों से स्मॉग के कारण दिल्ली की हवा बीमार है और इससे लोगों के स्वास्थ्य पर  बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उधर केजरीवाल सरकार ने जिन मोहल्ला क्लीनिक्स की बड़ी-बड़ी बातें की थीं वे कागजों पर ही धूल फांक रहे हैं। केजरीवाल सरकार को चाहिए की वो लोगों के स्वास्थ्य के लिए कुछ बड़ा कदम उठाए ना कि, डॉक्टर्स को नाचने का फरनाम दे।

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