इंटरनेट और सोशल मीडिया की ताकत आज दुनिया भर की सरकारें और सत्ताएं जान चुकी हैं। यही वजह है जनता की अभिव्यक्ति की आजादी का माध्यम बनी इस डिजिटल दुनिया पर कई देशों में पहरे लगाए जाते हैं। चीन में इंटरनेट पर कड़ी नजर रहती है। ईरान ने भी ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है जो फेसबुक व ट्विटर जैसी साइटों पर कंटेंट की छटनी करता है। कुछ सालों से मुस्लिम देशों में हलाल इंटरनेट शब्द का खूब इस्तेमाल हो रहा है। हलाल इंटरनेट मुहैया कराने के लिए अब एक मलेशियाई स्टार्ट-अप ने सलामवेब नाम से एक ब्राउजर तैयार किया है। कंपनी के अनुसार यह ब्राउजर मुस्लिम समुदाय के अनुकूल वेब अनुभव देने के लिए तैयार किया गया है। सलाम वेब टेक्नोलॉजी की प्रबंध निदेशक हसनी जरीना मोहम्मद खान ने बताया है कि, सलामवेब में मैसेजिंग और न्यूज के साथ ही अन्य कई फीचर्स हैं। उन्होंने कहा है कि यह ब्राउजर मलेशिया और इंडोनेशिया के यूजर्स के लिए बनाया गया है। इस खबर के बाद हलाल इंटरनेट को लेकर सोशल मीडिया में चर्चाओं का दौर निकल पड़ा है। एक वर्ग है जो इसे अपने लिए फायदेमंद बता रहा है और साथ ही एक बड़ा वर्ग इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर पहरा बता रहा है।
हसनी जरीना ने कहा,”हम इंटरनेट को एक बेहतर जगह बनाना चाहते हैं। हम जानते हैं कि इंटरनेट में अच्छा और बुरा दोनों है, इसलिए सलामवेब आपके लिए एक विंडो का काम करेगा जिससे आप इंटरनेट पर जाकर सिर्फ अच्छा देख सकते हैं।” उन्होंने अपनी बात में इंटरनेट की कुछ चुनौतियों की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि गूगल से लेकर फेसबुक तक की दुनिया की सबसे बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों को हानिकारक सामग्री और गलत सूचनाओं को लेकर लगातार आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है।
उधर तथाकथित मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी एक तरह से हलाल इंटरनेट की तरफदारी करते हुए कहा है कि, ट्विटर महिलाओं के लिए एक विषाक्त स्थान है।
कंपनी ने दावा किया है कि यह नया ब्राउजर इस्लामिक सिद्दांतों पर खरा उतरेगा। यह लोगों की प्राइवेसी का ध्यान रखेगा और लोगों को इंटरनेट पर ऑऩलाइन दुरुपयोग से रोकेगा। कंपनी के अनुसार इस तरह के ब्राउजर की लंबे समय से मांग थी। सलामवेब ब्राउजर का लक्ष्य दुनिया की 1.8 बिलियन मुस्लिम आबादी के 10 फीसदी तक अपनी पहुंच बनाना है।
दरअसल, सलामवेब कम्युनिटी-वीटेड कंटेंट फिल्टर्स पर काम करता है। यह वेबपेजों को उचित, तटस्थ या अऩुचित के रूप में चिन्हित करेगा। यदि कोई यूजर जुआं या पोर्नोग्राफी से संबंधित साइटों पर क्लिक करेगा तो सलामवेब चेतावनी जारी करेगा। साथ ही सलामवेब खास तौर से मुस्लिम समुदाय से जुड़े भी कार्य करेगा जिसमें नमाज का समय बताना और किबला के लिए संकेत देना भी शामिल है। सलामवेब यह भी बताएगा कि किस दिशा में मुंह करके नमाज पढ़नी है।
बताया जा रहा है कि, सलामवेब को शरीयत बोर्ड द्वारा भी प्रमाणित किया गया है। यह ओपनसोर्स क्रोमियम सॉफ्टवेयर पर बनाया गया है जो गूगल क्रोम वेब ब्राउजर पर आधारित है।
शरिया कानून में मुस्लिम लोगों पर तरह-तरह की पाबंदियां लगाई जाती है। अब शरियत द्वारा सर्टिफाइड वेब ब्राउजर आ गया है। हलाल इंटरनेट के बाद अब और क्या-क्या हलाल होकर आएगा इसका इंतजार है।