हैदराबाद से धर्मांतरण का एक मामला सामने आया है जहां इसके लिए अब नए तरीके अपनाये जा रहे हैं वो तरीका है लालच का। दरअसल, इस्लामिक संगठन ‘जमात-ए-इस्लामी-हिंद’ 6 जनवरी गैर-मुस्लिमों के लिए एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता कराने का निर्णय लिया है जिसका उद्देश्य गैर-मुस्लिमों को इस्लाम में दीक्षित करना है। Hans India की रिपोर्ट के मुताबिक, ये संगठन मुहम्मद के जीवन पर गैर मुस्लिमों के लिए एक प्रश्नोत्तरी का आयोजना करेगा।
इस संस्था का मानना है कि गैर-मुस्लिमों को मुहम्मद के बारे में जो भी जानकारी है वो सही नहीं है उसे ही दुरुस्त करवाने के लिए इस प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया जायेगा जिसमें शीर्ष 10 विजेताओं को इनाम दिया जायेगा और शीर्ष 3 विजेताओं 10,000, 20000 दिए जायेंगे जबकि अन्य 7 विजेताओं को द हजार रुपये दिए जायेंगे।
जमात-ए-इस्लामी-हिंद संगठन के शहर अध्यक्ष ‘हाफिज रशदुद्दीन’ ने इस प्रतियोगिता की घोषाणा की। घोषणा करते हुए करते कहा कि “ये प्रश्नोत्तरी दो भाषाओं ‘अंग्रेजी’ और ‘तेलुगु’ में आयोजित की जाएगी। सवाल नईम सिद्दीकी द्वारा लिखित किताब ‘मुहम्मद- मानवता के दाता’ से पूछे जायेंगे।”
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘जमात-ए-इस्लामी-हिंद’ मिस्र के मुस्लिम ब्रदरहुड, ईरान के फिदायीन-ए-इस्लाम और इंडोनेशिया के दारुल-इस्लाम जैसे कट्टर इस्लामिक संगठनों से प्रेरणा लेता है बता दें कि मुस्लिम ब्रदरहुड को अरब के कई देशों में बैन किया गया है। यही नहीं मुस्लिम ब्रदरहुड को सऊदी अरब, यूनाइटेड अरब अमीरात (यूएई), बहरीन, रूस, मिस्र, कनाडा और सीरिया आतंकी संगठन मानते हैं। ऐसे में जमात-ए-इस्लामी-हिंद का एक आतंकी संगठन को अपना प्रेरणा स्त्रोत मानना उसके कट्टरपंथी विचारों को दर्शाता है। जमात-ए-इस्लामी-हिंद संगठन ‘जमात-ए-इस्लामी’ का ही हिस्सा है जिससे मौलाना अबुल आला मौदूदी ने शुरू किया था और इसका उद्देश्य इस्लाम का विस्तार करना है। आपातकाल के दौरान सांप्रदायिक तथा भड़काऊ राजनीति के लिए इस संगठन पर बैन लगा दिया गया था जिसके बाद इस संगठन ने शांतिपूर्ण रुख अपनाने का दिखावा शुरू कर दिया। एक बार फिर से वो अपने गंदे मकसद को पूरा करने के लिए काम कर रहा है। इस साल 6 जनवरी को आयोजित होने वाले प्रश्नोत्तरी भी उसी का हिस्सा है। इस संगठन ने लोगों को लालच देकर उनका धर्म परिवर्तन करने का ये नया तरीका अपनाया है और खुलेआम इसकी घोषणा भी की जा रही है।
बता दें कि धर्मांतरण किसी ऐसे नए धर्म को अपनाने का कार्य है, जो धर्मांतरित हो रहे व्यक्ति के पिछले धर्म से भिन्न हो लेकिन दूसरा धर्म अपनाना उस व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करता है। अगर उसके साथ छल-कपट या झूठ बोलकर धर्म परिवर्तन करवाया जाए तो वो अपराध की श्रेणी में आता है। संविधान में अनुच्छेद 25 (ए) के मुताबिक धर्म के आचरण की स्वतंत्रता और धर्म का प्रचार-प्रसार करने की स्वतंत्रता है। इसके अंतर्गत अंत:करण की स्वतंत्रता निहित है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि जबरदस्ती या छल या लालच से उसका धर्म परिवर्तन करवाओ। यदि कोई ऐसा करता है तो सविंधान में इसके लिए नियम भी बनाये गये हैं लेकिन आज भारत में जिस गति के साथ धर्मांतरण हो रहा है उसने कई सवाल उठा दिए हैं। बड़े पैमाने पर ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्म परिवर्तन का मामला सामने आता रहा है और मुस्लिम संगठन भी इसमें पीछे नहीं है।
धर्मांतरण का जब मुद्दा उठा था तब बेईमानी का पूर्वानुमान हमारे संविधान निर्माताओं को था। संविधान सभा के सदस्य श्री अनन्त शयनम् अयंगार (जो बाद में बिहार के राज्यपाल और लोकसभा के अध्यक्ष भी रहे) ने कहा भी था कि “भारत में धर्मांतरण की समस्या विकराल रूप धारण कर लेगी।‘‘ उनकी ये बात आज सच साबित होती नजर आ रही है। अगर इस तरह की संस्थाओं के खिलाफ जल्द कार्रवाई नहीं की गयी तो भविष्य में समस्या और विकराल होती जाएगी।