कमलनाथ सरकार ने मीसा बंदियों को दी जाने वाली पेंशन पर लगाई रोक

कमलनाथ आपातकाल मीसाबंदी

PC: India Today

राजस्थान में भामाशाह योजना बंद, मध्यप्रदेश में सर्किट हाउस से प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर हटाई गई, राजस्थान में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के ‘लोगो’ को सरकारी दस्तावेजों से हटाया, मध्यप्रदेश में मंत्रालय में राष्ट्रगीत बंद कराया, अब मध्यप्रदेश में आपातकाल में जबरन जुल्म झेलने वाले लोगों को मिलने वाला मीसाबंदी पेंशन भी बंद कर दी है। जी हां, आपने सही अंदाजा लगाया है। हम तीन राज्यों में नवनिर्वाचित कांग्रेस सरकार की एक के बाद एक की जाने वाली हरकतों की बात कर रहे हैं।

मध्यप्रेदश में शिवराज की अगुवाई वाली भाजपा सरकार द्वारा आपातकाल यानी इमरजेंसी के दौरान जेल में बंद रहे नेताओं को दी जा रही मीसाबंदी पेंशन पर कमलनाथ सरकार ने रोक लगा दी है। पेंशन रोके जाने के फैसले से लोकतंत्र सेनानी संघ, बीजेपी समेत आमजन नाराज हैं। 

लोकतंत्र सेनानी संघ की मानें तो मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में भी ये सम्मान निधि दी जाती है। बता दें कि इससे पहले उत्तरप्रदेश में भी मायावती सरकार के दौरान सम्मान निधि पर रोक लगायी गयी थी लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट की रोक के बाद ये फिर से शुरू की गयी थी। ऐसा ही आदेश राजस्थान में भी जयपुर हाईकोर्ट से खारिज कर दिया गया था। दरअसल, मध्यप्रदेश में जयप्रकाश नारायण लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि संबंधी अधिनियम भी विधानसभा से पारित है। इसे रोकना किसी भी तरह उचित नहीं है। 

वहीं इस मामले में लोकतंत्र सेनानी संघ का कहना है कि इस मामले में वो जबलपुर हाईकोर्ट में गुहार लगाएंगे। बता दें कि मध्यप्रदेश की जेल में लगभग 2600 लोकतंत्र सेनानी हैं। इनमें लोकतंत्र सेनानियों में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम भी शामिल है। शिवराज प्रदेश के सबसे कम उम्र (12 साल) में मीसाबंदी रहे लोगों में शामिल हैं।

बता दें कि मीसा बंदी पेंशन योजना के तहत 2000 से ज्यादा लोगों को 25 हजार रुपये मासिक पेंशन दी जाती है। शिवराज सरकार ने साल 2008 में ये योजना शुरू की थी। 2008 में 3000 रुपए से शुरू होकर धीरे-धीरे 2017 में ये राशि बढ़ाकर 25 हजार रुपए कर दी गई। मध्यप्रदेश में इस समय कुल 1600 मीसाबंदी और लगभग 1000 मीसाबंदियों की पत्नियों को ये सम्मान निधि मिलती है।

लोकतंत्र सेनानी संघ के प्रदेश अध्यक्ष तपन भौमिक ने कहा “प्रदेश की कमलनाथ सरकार बदले की भावना से काम कर रही है। पहले वंदेमातम बंद किया और अब लोकतंत्र सेनानियों की सम्मान निधि रोकने के आदेश कर दिए। इसका वितरण जांच के साथ भी किया जा सकता था। इतना ही नहीं भौतिक सत्यापन की कोई समयसीमा भी तय नहीं की गई है।”

ऐसे में कमलनाथ का ये निर्णय यह बताने को पर्याप्त है कि वो आपातकाल का समर्थन आज भी करते हैं। बता दें कि कमलनाथ हमेशा से आपातकाल का समर्थन करते रहे हैं। वो हमेशा संजय गांधी के पीछे खड़े होने वालों में शुमार थे। गांधी परिवार की वफादारी और इमरजेंसी का समर्थक रहे कमलनाथ को ये कुर्सी भी इसी कारण मिली है। इंदिरा के समय में लगाये गये आपातकाल की आज भी देश में आलोचना की जाती है लेकिन ऐसा लगता है कमलनाथ को वो दिन आज भी भाता है. ऐसे में उनके द्वारा लिया गया ये निर्णय किसी प्रकार का आश्चर्य पैदा नहीं करता है।    

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