आम चुनाव नजदीक आते ही ममता बनर्जी को आई किसानों की याद

ममता बनर्जी किसान पश्चिम बंगाल

PC: Firstpost

भले ही किसानों के लिए कुछ करें न करें लेकिन उन्हें लुभाने के लिए चुनावी समय में राजनीतिक पार्टियां सक्रीय हो जाती हैं। राजनैतिक दलों को मानों चुनावी मौसम में कर्जमाफी की योजना रास आने लगती हैं। तभी तो कांग्रेस के बाद अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी आगामी चुनावी को देखते हुए किसानों की कर्जमाफी का निर्णय लिया है। ममता बनर्जी चुनाव जीतने की हर जद्दोजहद करने में लगी हुई हैं। इससे पहले ममता ने अपने राज में सालों से हिन्दुओ की उपेक्षा करती रही हैं चुनाव नजदीक देख उन्हें लुभाने के लिए हिंदू कार्ड खेला था और दुर्गा पूजा के लिए अनुदान दिया था। अब वो किसानों को लुभाने के लिए जुट गयी हैं।  

हमेशा से किसानों की उपेक्षा करने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2019 का चुनाव नजदीक देखते हुए अब किसानों को खुश करने की जद्दोजहद में लग गई हैं। किसानों को लुभाने के लिए ममता बनर्जी ने सोमवार को यहां राज्य के किसानों के लिए 5,000 रुपये प्रति एकड़ की वार्षिक वित्तीय सहायता की घोषणा की। यही नहीं, ममता बनर्जी ने कृषक बंधु नाम की योजना के तहत 18 से 60 साल उम्र के राज्य के हर किसान के लिए 2 लाख रुपये की जीवन बीमा की भी घोषणा की। ये योजना एक जनवरी 2019 से शुरू हो गई है।

बता दें कि हाल ही में संपन्न हुए मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस किसानों की कर्जमाफी का वादा करके सत्ता में कुर्सी वापस पाने में सफलता पाई है। धीरे-धीरे कर्जमाफी की योजना कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों को सत्ता वापस पाने में फायदेमंद साबित हुई है। इसे लेकर हर पार्टी अपनी सरकार बनाने के लिए किसानों की कर्जमाफी की योजना अपना रही है। जबकि विशेषज्ञों की मानें तो इस योजना से किसानों का भला नहीं हो सकता बल्कि किसान कर्जमाफी का आदी जरूर हो जाएगा। इसके अलावा इससे राज्य के कोष पर बुरा प्रभाव जरूर पड़ेगा।

बता दें कि इससे पहले साल 2009 में भी कांग्रेस ने किसानों की कर्जमाफी की घोषणा करके सत्ता में वापसी की थी। अब देखना रोचक होगा कि आगामी लोकसभा चुनाव में ममता को पश्चिम बंगाल में किसानों के लिए घोषित यह नई योजना से किस हद तक कितना फायदा होता है।

ममता बनर्जी ने कहा, “बंगाल में कृषि भूमि का बहुत बड़ा क्षेत्र है। हमारे पास 72 लाख परिवार हैं, जो खेती के माध्यम से अपनी आजीविका कमाते हैं। हमारी सरकार प्रत्येक परिवार को हर साल दो किश्तों में 5,000 रुपये प्रति एकड़ की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। इसमें किसान और खेतिहर मजदूर दोनों शामिल हैं।” उन्होंने आगे कहा, “18 से 60 वर्ष की आयु के सभी किसानों को राज्य सरकार द्वारा दो लाख रुपये का जीवन बीमा प्रदान किया जाएगा। उनकी मृत्यु के बाद, प्राकृतिक हो या अप्राकृतिक, उनके परिवारों को धन मुहैया कराया जाएगा।”  उन्होंने आगे कहा, “ये योजना 1 जनवरी से शुरू हो जाएगी। किसान 1 फरवरी 2019 से बीमा के लिए आवेदन कर सकेंगे। किसी भी किसान की मृत्यु के मामले में, राज्य कृषि विभाग उसके परिवार को धन प्रदान करेगा।” ये अच्छी बात है कि ममता बनर्जी को अपने राज्य के किसानों की चिंता है और अब वो उनके लिए नयी घोषणाएं कर रही हैं लेकिन अचानक लोकसभा चुनाव पास आते ही उन्हें किसानों की चिंता होने लगी है जो साफ़ जाहिर करता है कि उन्हें किसानों की नहीं बल्कि चुनाव में जीत की फ़िक्र है। इसके साथ ही वो देश की प्रधनमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा भी रखती हैं।

बता दें कि पश्चिम बंगाल में किसानों की स्थिति बहुत दयनीय है। आलू उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर आने वाला पश्चिम बंगाल के किसानों के सामने कई प्रकार की चुनौतियां होती हैं। वहां किसान फसलों के नष्ट होने, उचित मूल्य न मिलने, मौसम की मार खाने और प्रशासन से मदद न मिलने के कारण परेशान हैं और आत्महत्या करने के लिए विवश हो रहे हैं। यही नहीं, अक्सर किसानों द्वारा आत्महत्या की खबरें आती रही हैं। इस साल की एक रिपोर्ट के मुताबिक ममता बनर्जी के साढ़े सात साल के शासन में भारी कर्ज के शिकार 187 किसान आत्महत्या करने के लिए विवश हुए हैं। यही नहीं, साल 2015 में एक न्यूज चैनल सीएनएन-आईबीएन की रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल में सिर्फ दो महीनों में 22 किसान आत्महत्या की थी। ऐसे में सवाल उठने लाजमी हैं कि चुनाव नजदीक आते ही ममता बनर्जी को किसानों और हिंदुओं की सुध क्यों आती है। आखिर चुनाव नजदीक आने पर ही ममता को किसानों और हिंदुओं के प्रति ममता क्यों छलकती है। उसके पहले वो किसानों और हिंदुओं के प्रति सौतेला व्यवहार क्यों करती हैं। चुनाव से पहले तो वह खुलकर मुस्लिम तुष्टिकरण करती हैं। चुनाव समय नजदीक आते ही वह गरीबों, किसानों और हिंदुओं की हितैषी हो जाती हैं। ममता सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति में व्यस्त रही हैं कभी उन्हें किसानों की चिंता नहीं रही और अब वो किसानों के लिए वादे कर रही हैं जिसपर वो कितना अमल करने वाली हैं ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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