मीडिया के झूठ का पर्दाफाश, मोदी के ओडिशा दौरे के दौरान नहीं कटा था एक भी पेड़

मोदी पेड़ मीडिया

हाल के समय में पत्रकारिता के जरिये एजेंडा साधना आम बात हो गयी है। या यूं कहें इसने  ऐसी जगह बना ली है जिससे वो बड़ी आसानी से फेक न्यूज़ व जनता को भ्रमित करने वाली खबरों को फैला रही है। आज के समय में इस तरह की खबरों की भरमार है और इस तरह की पत्रकारिता के लिए प्रधानमंत्री मोदी मीडिया के पसंदीदा नाम है जिनपर आये दिन मीडिया हमले करती है। आये दिन एजेंडा साधने के लिए झूठी व गुमराह करने वाली खबरें प्रकाशित की जा रही हैं और एक बार फिर से ऐसा ही कुछ देखने को मिला है। इस बार न सिर्फ ऑनलाइन मीडिया पोर्टल्स बल्कि मुख्यधारा की मीडिया भी इसमें कूद पड़ी है। दरअसल, प्रधनामंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा दौरे के दौरान बलांगीर रेलवे लाइन के साथ-सतह कई परियोजनाओं का उद्घाटन किया था। इसके बाद मुख्यधारा की मीडिया समेत कई मशहूर मीडिया पोर्टल्स ने ये खबर फैलाई की पीएम मोदी के लिए बनाये गये हेलीपैड के लिए हजारों पेड़ काटे गये हैं।

द हिंदू ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, “शहरी वृक्षारोपण कार्यक्रम के तहत 2016 में भारतीय रेलवे की 2.25 हेक्टेयर पर पौधे लगाए गए थे। चूंकि हेलीपैड के लिए खाली जमीन की आवश्यकता थी, इसलिए अधिकारियों को 1.25 हेक्टेयर जमीन खाली करनी पड़ी।”

इसके बाद द लॉजिकल इंडियन ने भी यही किया जब सभी इस खबर को प्रकाशित कर रहे हैं तो द वायर कैसे पीछे रहता। फिर एक के बाद एक कई न्यूज़ पोर्टल्स ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया।

स्थानीय मीडिया ने तो दावा किया कि कि लगभग 3,500 पेड़ों को काटा गया था।

हालांकि, अब ये सामने आया है कि पेड़ों को नहीं काटा गया है, सिर्फ कुछ झाड़ियों को हटाया गया था  जिनसे हेलीपैड बनाने में समस्या हो रही थी। टाइम्स ऑफ़ इंडिया भुवनेश्वर ने ट्वीट करते हुए एक वीडियो भी शेयर किया जिसमें हेलीपैड के बनने से पहले की तस्वीर सामने आई। इस वीडियो से साफ हो गया कि वहां पहले से ही कोई पेड़ ही नहीं था।

https://twitter.com/TOIBhubaneswar/status/1084815313546268673

वैसे भी झाड़ियों को पेड़ नहीं कहा जा सकता और न ही आप उसे खींच कर पेड़ बना सकते हैं। बायोलॉजी की डिक्शनरी में झाड़ियों या बुश एक लकड़ी का पौधा होता हो जो आमतौर पर 8 मीटर से भी कम की ऊंचाई के होते हैं।

इससे पहले केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मीडिया की इस रिपोर्ट को बेतुका बताया था। फर्स्ट पोस्ट के अनुसार, प्रधान ने दावा किया कि “जो लोग प्रधानमंत्री की यात्रा से डरे हुए हैं वे वन अधिकारियों का ‘गलत इस्तेमाल’ करते हुए झूठा अभियान चला रहे हैं।“ उन्होंने आगे कहा कि ‘प्रधानमंत्री का हेलिकॉप्टर कहां उतरेगा ये स्थानीय प्रशासन तय करता है।

सोशल मीडिया पर कई लोगों ने ये भी आरोप लगाया कि पेड़ों के काटे जाने की खबर जिन स्थानीय अखबारों द्वारा फैलाई गयी थीं वो ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के सहयोगियों द्वारा चलाए जाते हैं। ऐसा करने के पीछे पटनायक के पास कई कारण हैं। शायद वो ओडिशा में बीजेपी की मजबूत होती पकड़ से डर रहे हैं। हाल के समय में ओडिशा में बीजेडी के लिय बीजेपी की मजबूत होती पकड़ चुनौती बनती जा रही है।

इस फेक न्यूज़ ने एक बार फिर से लिबरल गैंग और न्यूज़ ट्रेडर्स के असली चेहरे को सामने रखा है। ऐसा लगता है कि लेफ्टिस्ट गैंग राजनीतिक रूप से इतने हताश हैं कि मोदी सरकार की छवि को गंदा करने और अपने एजेंडा को साधने के लिए निम्न स्तर पर चले गये है।

बता दें कि पिछले साला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के प्रतिष्ठित ‘चैंपियन ऑफ द अर्थ’ अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। उन्हें ये अवॉर्ड अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के संबंध में प्रयासों और पर्यावरण कार्रवाई पर सहयोग बढ़ाने के लिए नीति नेतृत्व श्रेणी के तहत मिला था। यूएन एन्वायरमेंटल विंग के प्रमुख ने कहा था, प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2022 तक भारत को प्लास्टिक मुक्त करने के संकल्प और मैक्रां के पर्यावरण के क्षेत्र में वैश्विक समझौतों के लिए की गई मेहनत ने अहम भूमिका निभाई है।

वास्तव में पीएम मोदी पर्यावरण को लेकर ज्यादा ही चिंतित रहते हैं और स्वच्छता के लिए प्रयासरत हैं और ये चीज वामपंथियों को पसंद नहीं। इस फेक न्यूज़ को फ़ैलाने के प्रयास ने एक बार फिर से उनके झूठ का खुलासा कर दिया है।

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