यूं तो धर्मांतरण दुनिया भर में कहीं न कहीं देखा गया है लेकिन भारत में विषय काफी विवादित रहा है। ईसाई मिशनरियों द्वारा गरीब और पिछड़े तबकों का धर्म परिवर्तन करवाने की खबरें अक्सर सुनने में आती हैं अब केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह राजनाथ सिंह धर्मांतरण के खिलाफ खुलकर सामने आये हैं। ईसाई संगठन के एक कार्यक्रम में सामूहिक धर्मांतरण पर न सिर्फ बोले बल्कि कड़ा संदेश भी दिया। उन्होंने साफ़ कहा कि कोई भी व्यक्ति अगर अपनी स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करता है तो वो स्वतंत्र है लेकिन यही धर्म परिवर्तन लालच देकर या जोर-जबरदस्ती से करवाया जाए तो ये चिंता का विषय बन जाता है और इसपर बहस जरुरी है।
Union Home Minister, Rajnath Singh: If someone accepts a religion on their own there shouldn't be objections but mass conversion is a matter of concern for any country. If you’re Hindu be Hindu, Muslim be Muslim, Christian be Christian. Why do you want to convert the whole world? pic.twitter.com/vIiSk7YgAU
— ANI (@ANI) January 15, 2019
दरअसल, मंगलवार को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह एक ईसाई संगठन के कार्यक्रम में पहुंचे। यहां उन्होंने बड़े पैमाने पर देश में हो रहे धर्म परिवर्तन पर खुलकर बोला और ईसाई मिशनरियों पर हमला किया। यही नहीं उन्होंने सभी को प्रेम का पाठ भी पढाया। उन्होंने कहा, “मैं ईसाई समुदाय को लेकर एक चीज और कहूंगा। हम किसी के खिलाफ आरोप नहीं लगाना चाहते। आपने भी सुना होगा। अगर कोई व्यक्ति किसी धर्म को अपनाना चाहता है तो उसे ऐसा करना चाहिए इस पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए ये उसका स्वतंत्र अधिकार है लेकिन, अगर सामूहिक धर्मांतरण शुरू होता है, तो बड़ी संख्या में लोग धर्म बदलना शुरू कर देते हैं, ऐसे में ये किसी भी देश के लिए चिंता की बात हो सकती है।” उन्होंने आगे कहा, “अगर आप हिंन्दू हैं तो हिन्दू रहें, मुस्मिल हैं तो मुस्लिम रहें, ईसाई हैं तो ईसाई रहें। आप पूरी दुनिया को क्यों बदल देना चाहते हैं।’”
Union Home Minister, Rajnath Singh: In Britain and America, minority community demands anti-conversion laws, but here the majority community asks for it, it’s a matter of concern. https://t.co/YBro9NrTnE
— ANI (@ANI) January 15, 2019
ये पहली बार है जब केंद्र सरकार के किसी मंत्री ने ईसाईयों के बीच जाकर इस मुद्दे को उठाया है। इससे वर्तमान सरकार को काफी आगामी लोकसभा चुनाव में नुकसान का सामना भी करना पड़ सकता है। ईसाई मोदी सरकार के खिलाफ जा सकते हैं। केंद्र सरकार के प्रति ईसाई समुदाय में नफरत की भावना भी हो सकती है लेकिन फिर भी देश की सुरक्षा को सबसे ऊपर रख केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों में अल्पसंख्यक धर्मांतरण के खिलाफ कानून की मांग करते हैं, लेकिन भारत में बहुसंख्यक मांग कर रहे हैं। ये अत्यंत चिंता का विषय है।” इस मंच से उन्होंने उन सभी को कड़ी चेतावनी दे दी है जो धर्म परिवर्तन करवाने में शामिल हैं।
वो यही नहीं रुके उन्होंने आगे कहा, “मैंने कभी अपने जीवन में जाति, वर्ण और धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया है। हमें वोट मिलें या नहीं मिलें, हम सरकार बनाएं या नहीं बनाएं। हम जीतें या हारें लेकिन हम लोगों के बीच भेदभाव नहीं करेंगे। यही हमारे प्रधानमंत्री का कहना है।” राजनाथ सिंह के ये शब्द ये बताने के लिए काफी हैं कि एनडीए सरकार किस तरह से देश हित के लिए प्रयासरत है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों की तरह बीजेपी तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति में लिप्त नहीं है।
बता दें कि धर्म परिवर्तन से जुड़े कई मामले सामने आते रहे हैं लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इस तरह के मामलों में बढ़ोतरी देखी गयी है। यही नहीं हिंदू धर्म के लोग सामूहिक धर्मांतरण के सबसे ज्यादा शिकार हुए हैं। ईसाई मिशनरियां कम पढ़े लिखे और मुख्यधारा से वंचित आदिवासी जनजाति समाज को लालच देकर या उनपर दबाव डालकर उनका धर्म परिवर्तन करवा रही हैं।
इस तरह के मामलों पर एक नजर डालने के लिए हमें ज्यादा दूर जाने की भी जरूरत नहीं पिछले साल के लिए कुछ मामलों पर नजर डाल लेते हैं। पिछले साल जुलाई में ही झारखंड के दुमका में आदिवासियों के बीच कथित तौर पर धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश में जुटे 16 ईसाई धर्म प्रचारकों को गिरफ़्तार किया गया था। ये सभी ग़ैरक़ानूनी ढंग से प्रचार करते हुए आदिवासियों को अपना धर्म बदलने के लिए ज़ोर दे रहे थे। जून 2018 में उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में एक शर्मनाक और चौंका देने वाली घटना सामने आई थी जहां एक दलित लड़की को चर्च के एक पादरी ने लालच देकर उसका धर्म बदला और फिर उसे उसे लुधियाना में बाजीगर बस्ती के रहने वाले फुलचंद्र नाम के एक व्यक्ति को 1 लाख रुपये में बेच दिया गया। उसे बेचने से पहले, पादरी ने ईसाई अनुष्ठानों के अनुसार फुलचंद्र के साथ उसकी शादी की व्यवस्था की थी। इसके बाद युवती के परिजनों ने पुलिस को इस मामले की सूचना दी जिसके बाद युवती को बचाया जा सका। दिसंबर 2018 में ही बरेली के एक युवक को फुरकान नाम के एक व्यक्ति ने पहले उसे बंधक बनाया गया फिर कई दिनों तक उससे न सिर्फ नमाज पढ़वाया गया बल्कि उसे भैंसे का मांस तक खाने को मजबूर किया गया। किसी तरह से युवक उनके चंगुल से छूटकर पुलिस के पास गया तब जाकर ये मामला सामने आ पाया था। इसी साल हैदराबाद से धर्मांतरण का एक मामला सामने आया था जहां एक अलग ही तरीका सामने आया था। जहां खुलेआम धर्म परिवर्तन के लिए प्रतियोगिता तक का ऐलान किया गया था।
इन मामलों से एक बात तो स्पष्ट है कि धर्मांतरण का मामला अब गंभीर होता जा रहा है ऐसे में अब समय आ गया है कि सरकार खुलकर इस विषय पर न सिर्फ बात करे बल्कि एक्शन भी ले। हालांकि, जिस तरह से केंद्रीय गृह मंत्री ने इस विषय को उठाया है उससे ये साफ़ हो गया है कि अब जल्द ही केंद्र सरकार इसके खिलाफ सख्त कदम उठा सकती है।