राम मंदिर मामले में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि विवादित स्थल पर 2.77 एकड़ भूमि छोड़कर शेष भूमि को रामजन्मभूमि न्यास को दे दिया जाए। केंद्र सरकार का कहना है कि इस भूमि पर यथास्थिति बनाए रखने की कोई आवश्यकता नहीं है। मोदी सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दाखिल करने के बाद अयोध्या में राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद के मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी का बड़ा बयान आया है। इकबाल अंसारी ने कहा है कि उन्हें मोदी सरकार के इस कदम पर कोई एतराज नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस स्थान पर बाबरी मस्जिद मौजूद थी, उस जमीन को छोड़कर बाकी को सरकार चाहे जिसे दे दे, हमें कोई एतराज नहीं है।
खबरों के अनुसार, राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद के मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा, “इससे पहले भी जब हाईकोर्ट ने तीनों पक्षकारों को बराबर भूमि सौंपी थी, उस समय भी सबसे पहले निर्मोही अखाड़ा और विश्व हिंदू परिषद सुप्रीम कोर्ट गए थे। बाद में हमने अपना पक्ष कोर्ट में रखा। हम पहले भी विवाद नहीं चाहते थे और आज भी कोई विवाद नहीं चाहते हैं। हम अपना हक सिर्फ बाबरी मस्जिद की जमीन पर जता रहे हैं, बाकी जमीन से हमें कोई लेना देना नहीं है।” साथ ही अंसारी ने कोर्ट से जल्द से जल्द इस मुकदमे का फैसला देने की भी गुजारिश की।
बता दें कि अयोध्या विवाद को लेकर 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने फैसला सुनाया था। इस फैसले में जस्टिस सुधीर अग्रवाल, जस्टिस एस यू खान और जस्टिस डी वी शर्मा की बेंच ने अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को 3 टुकड़ों में बांट दिया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले में जिस जमीन पर राम लला विराजमान हैं उसे हिंदू महासभा, दूसरे हिस्से को निर्मोही अखाड़े और तीसरे हिस्से को सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया गया था।
गौरतलब है कि, आज ही सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर सुनवाई होनी थी, लेकिन जस्टिस बोबडे के छुट्टी पर जाने की वजह से सुनवाई टल गई। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई पांच जजों की पीठ कर रही है जिसमें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस एस. ए. बोबडे और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ शामिल हैं।
जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव पास आते जा रहे हैं, राम मंदिर का मुद्दा भी गर्माता जा रहा है। ऐसे में अब मोदी सरकार ने राम मंदिर मुद्दे को लेकर बड़ा फैसला लिया है और आगे भी इस मुद्दे से जुड़े कुछ बड़े फैसले आने की उम्मीद है। मोदी सरकार द्वारा दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट से कहा गया है कि अयोध्या में हिंदू पक्षकारों को जो हिस्सा दिया गया है, वह रामजन्म भूमि न्यास को दे दिया जाए। जबकि 2.77 एकड़ भूमि का कुछ हिस्सा भारत सरकार को लौटा दिया जाए। बता दें कि अयोध्या में रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद जमीन विवाद के आसपास की करीब 70 एकड़ जमीन केंद्र सरकार के पास है। इस जमीन में से 2.77 एकड़ की जमीन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था। जिस जमीन पर विवाद है वह तो सिर्फ 0.313 एकड़ ही है। मोदी सरकार का कहना है कि जिस जमीन पर विवाद नहीं है उसे वापस सौंपा जाए। केंद्र सरकार के इस निर्णय का यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने भी स्वागत किया है।
UP CM on Centre moves SC seeking permission for release of excess vacant land acquired around Ayodhya disputed site&be handed over to Ramjanambhoomi Nyas: We welcome the move by the Centre. We have been saying that we should get permission to use the undisputed land. pic.twitter.com/ZW1GPMadPf
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 29, 2019
राम मंदिर को लेकर केंद्र सरकार के इस बड़े निर्णय पर राम मंदिर-बाबरी मस्जिद केस के मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी का सकारात्मक रूख बहुत मायने रखता है।
बता दें कि ये पहला मौका नहीं है जब भारत के मुसलमान या उनके प्रतिनिधि राम मंदिर के समर्थन में बोले हैं। इससे पहले उत्तर प्रदेश शिया वक्फ़ बोर्ड के चैयरमैन वसीम रिज़वी ने भी मंदिर के समर्थन में खुलकर सामने आये थे। यही नहीं अयोध्या में राम मंदिर जन्मभूमि विवाद को सुलझाने हेतु साल 2017 में यूपी शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट में ये प्रस्ताव दिया था कि अयोध्या में वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज विवादित जमीन को राम मंदिर निर्माण के लिए दे दिया जाए और इसके बदले लखनऊ में ‘मस्जिद-ए-अमन’ बनवाई जाए। जिससे वर्षों से चला आ रहा ये विवाद सुलझ जाए। वसीम रिजवी ने कई बार अपने बयान में कहा है कि मंदिर निर्माण के लिए विवादित भूमि को दे कर सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देना चाहिए। तब पूरे भारत में उनके इस फैसले की सराहना की गयी थी। वसीम रिजवी ने कई बार अपने बयान से ये संकेत दिया है कि बोर्ड को अयोध्या के इस विवादित जमीन को राम मंदिर निर्माण के लिए दे देना चाहिए क्योंकि ये उन्हीं की विरासत हैं और इससे देश में अमन और शांति का पैगाम देना चाहिए।
ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट मोदी सरकार की याचिका पर सकारात्मक फैसला देती है तो जल्द ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की उम्मीद की जा सकती है।