लोकसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में भी मोदी का जादू चलता दिख रहा है। वहां के नेताओं की सत्तारूढ़ दल टीएमसी से मोहभंग होने की खबरें बीच-बीच में आती रही हैं। इसी बीच टीएमसी के दो सांसदों ने खुद को पार्टी से लग कर लिया है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस को बुधवार को एक के बाद एक दो झटके लगे। ममता बनर्जी की पार्टी के एक सांसद ने बीजेपी जॉइन कर ली है। वहीं दूसरी ओर एक अन्य सांसद को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। बता दें कि, पार्टी सांसद सौमित्र खान ने पार्टी से इस्तीफा देखर बीजेपी जॉइन कर ली है। बीजेपी में जाने के बाद तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौमित्र खान ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार की जमकर आलोचना की है। उन्होंने मुख्यमंत्री पर जमकर आरोप लगाए। आरोप लगाते हुए टीएमसी सांसद खान ने कहा कि, पश्चिम बंगाल में कोई लोकतंत्र नहीं है। वहां बस पुलिस राज चलता है।
सौमित्र खान ने केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की मौजूदगी में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली है। खान को पार्टी की सदस्यता महासचिव अरुण सिंह ने दिलवाई। वहीं दूसरी ओर मुकुल रॉय ने भी टीएमसी छोड़कर बीजेपी जॉइन कर ली है। यही नहीं, उन्होंने दावा किया कि, ममता के पांच और सांसद उनके संपर्क में हैं। जल्द ही वे भी बीजेपी में आ सकते हैं। उनके इस बयान के बाद अंदेशा लगाया जा रहा है कि, आने वाले समय में ममता बनर्जी के लिए और भी कई समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। हालांकि, उन्होंने किसी सांसद का नाम उजागर नहीं किया है। सूत्रों की मानें तो अर्पिता घोष और शताब्दी रॉय भी जल्द ही ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी छोड़ भारतीय जनता पार्टी के रथ पर सवार हो सकती हैं। ऐसा बताया जाता है कि, ये दोनों ही सांसद मुकुल रॉय के करीबी हैं।
गौरतलब है कि, बीजेपी ज्वाइन करने से पहले खान केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की मौजूदगी में अमित शाह से मुलाकात कर चुके थे। सौमित्र के पार्टी में शामिल होने पर बंगाल बीजेपी का मानना है कि, सौमित्र के आने से पश्चिम बंगाल में पार्टी को काफी मजबूती मिलेगी। बता दें कि, बीजेपी को पश्चिम बंगाल में एक के बाद एक नए नेता मिल रहे हैं। हाल ही में अभिनेत्री मौसमी चटर्जी ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया था।
इन सारी घटनाओं से एक बात तो स्पष्ट है कि, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी से जनता ऊब चुकी है। टीएमसी के नातओं का भी ममता से मोहभंग हो चुका है। इससे यह भी साफ है कि, अब पश्चिम बंगाल में ममता का चेहरा धूमिल हो रहा है जबकि बीजेपी पश्चिम बंगाल में ही नहीं बल्कि पूरे दक्षिण के राज्यों में तेजी से उभर रही है। अब यह देखना रोचक होगा कि, आगामी लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी की कितनी सीटें कम होती हैं और दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी को कितनी नई सीटें मिलती हैं।