‘मामा’ के काम को अपना बता रही कांग्रेस हो गई ट्रोल, शिप्रा नदी पर ले रही थी क्रेडिट

शिप्रा नदी कांग्रेस मध्य प्रदेश

PC: Naidunia

मध्य प्रदेश की सरकार ने एक ऐसे काम के लिए अपनी पीठ थपथपाई जो बीजेपी के शासन में किया गया था। इसके बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स ने कांग्रेस पार्टी की सरकार को खूब लताड़ा और उसके झूठ का पर्दाफाश किया। दरअसल, मकर संक्रांति से एक दिन पहले शिप्रा नदी में पानी छोड़कर कांग्रेस ने बीजेपी पर तंज कसते हुए लिखा था, “गंगा सफाई का ढोंग करने वालों, एक नजर इस तरफ भी घुमा लो! कमलनाथ जी ने उज्जैन में क्षिप्रा नदी को स्वच्छ करने और नियमित जलप्रवाह का वादा किया और महज़ 5 दिन में परिणाम आपके सामने है। गंगा सफ़ाई के नाम पर जनता का हज़ारों करोड़ बर्बाद करने वाले उज्जैन आयें और देखें-सीखें।” इस ट्वीट में कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को भी टैग किया है। इसके बाद खुद यूजर्स ने कांग्रेस को ट्रोल करना शुरू कर दिया यहां तक कि शिवराज सिंह चौहान ने भी इसे रीट्वीट किया।

 हुआ यूं कि 5 जनवरी को शनिचरीअमावस्या पर शिप्रा के त्रिवेणी घाट पर स्नान के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंचे थे। इस दौरान शिप्रा नदी में पानी न देख श्रद्धालु मायूस हो गये थे और प्रशासन ने जो व्यवस्था की थी वो भी किसी काम की नहीं थी। इसके बाद मज़बूरी में श्रद्धालुओं ने शिप्रा नदी के कीचड़ युक्त पानी में स्नान किया और परंपरा का निर्वहन किया था। इसके बाद मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार की खूब फजीहत हुई थी। इस फजीहत के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उज्जैन कलेक्टर और संभागायुक्त को बदल दिया और नए अधिकारियों को मकर संक्रांति पर शिप्रा में पानी पहुंचाने का आदेश दिया। इसके बाद कांग्रेस ने शिप्रा नदी में पानी छोड़कर अपनी पीठ थपथपाई कि सिर्फ पांच दिनों में कैसे उनकी सरकार ने शिप्रा नदी को स्वच्छ और साफ़ कर दिया। बस फिर क्या था ट्विटर यूजर्स ने भी कमलनाथ सरकार के इस झूठ के खूब मजे लिए यहां तक कि मध्य प्रद्सेह के पूर्व मुख्यमंत्री भी इसमें पीछे नहीं रहे।

दरअसल, अपने उद्गम से सूख चुकी शिप्रा नदी को शिवराज सरकार के दौरान ही करीब 432 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजना के जरिये नर्मदा के सहयोग से जीवित किया गया था। तत्कालीन प्रदेश सरकार ने नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) ने दोनों नदियों को नर्मदा-शिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना के जरिये जोड़ा था। इसके बाद से पानी देवास होते हुए पानी करीब 115 किलोमीटर की दूरी तय करके उज्जैन शहर तक पहुँचता है। नदी की राह में आने वाले भी गांव भी नदी के लिए आवगमन के लिए रास्ता बनाकर इसका स्वागत करते हैं। नर्मदा-शिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना की शुरुवात 29 नवंबर, 2012 को की गयी थी। सिंहस्थ मेले के मद्देनजर इस परियोजना के चारों पंपिंग स्टेशनों को उनकी कुल 28,370 किलोवाट की क्षमता से चलाया जाता है। गर्मियों के दिनों में शिप्रा सुख जाती है जसिसे इसका पानी आचमन के लायक भी होता है। इसके बाद साधु-संतों ने प्रदेश सरकार से मांग की थी कि वो सिंहस्थ मेले के दौरान शिप्रा में स्वच्छ जल छोड़कर इसे प्रवाहमान बनाए ताकि देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालु इसमें अच्छी तरह स्नान कर सकें। दरअसल, शिप्रा नदी मध्य प्रदेश में बहने वाली एक प्रसिद्ध और ऐतिहासिक नदी है और इसे क्षिप्रा नदी के नाम से भी जाना जाता है। ये स्थान भगवान विष्णु के अवतार भगवान परशुराम का जन्म स्थान भी माना जाता है। इसके साथ ही इस नदी को मोक्ष देने वाली यानि जनम-मरण के बंधन से मुक्त करने वाली माना गया है। कहा जाता है कि उज्जैन की पुण्य भूमि पर शिप्रा नदी में कुंभ स्नान करने पर कोई भी व्यक्ति जनम-मरण के बंधन से छूट जाता है। यही वजह है की कुंभ के दौरान और विशेष अवसरों पर लोग दूर-दूर से स्नान करने आते हैं।

आम जनता की समस्या पर संज्ञान लेते हुए शिवराज सिंह चौहान एक नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने शिप्रा को फिर से प्रवाहमान बनाने के लिए काम किया। इसके साथ ही सफाई का भी ख़ास ध्यान रखा लेकिन कांग्रेस सरकार ने सिर्फ नर्मदा से जल छोड़कर खुद की तारीफ कर रही है। अभी कुछ दिन पहले जब शनिश्चरी अमावस्या पर लोगों को कीचड़ के पानी से स्नान करना पड़ा था तब कहां कमलनाथ सरकार की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया। फजीहत होने पर होश आया। वास्तव में शिप्रा नदी शिवराज के समय से ही साफ है लेकिन कांग्रेस ने यहां ढोंग करने का मौका नहीं छोड़ा। सालों से देश में शासन करने वाली कांग्रेस सरकार ने गंगा नदी की सफाई के लिए सिर्फ ढोंग किया और आज पांच दिन में सिर्फ पानी छोड़ा और बीजेपी पर ही तंज कस दिया। खैर, आम जनता ने खुद ही उन्हें सीख दे दी है अब शायद वो इस तरह के फिर से प्रचार करने से बचे तो अच्छा है।

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