भाजपा ने बनाया सपा-बसपा गठबंधन से निपटने का मेगा प्लान, सीधे पीएमओ से हो रही मॉनिटरिंग

बीजेपी सपा बसपा गठबंधन

PC: News Track Live

उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन से बीजेपी ने बड़ी रणनीति बनाई है। इसके लिए अब बीजेपी ने अपने महारथियों को जिम्मेदारी सौंपनी शुरू कर दी है। इसी संदर्भ में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने एक बैठक की है। राष्ट्रीय परिषद की इस बैठक में अमित शाह ने पार्टी के विस्तारकों और प्रदेश अध्यक्षों समेत तमाम पदाधिकारियों से चर्चा की है।

ऐसा माना जा रहा है कि इस बैठक में शाह ने अपने सेनापतियों को जो जिम्मेदारियां दी हैं, उनमें गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव दलित वोटों को हर हाल में बीजेपी के खेमें में बांधे रखने के निर्देश दिये गए हैं। दरअसल, गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव दलितों ने अभी तक बीजेपी पर अपना विश्वास दिखाया है। बीजेपी ने भी इनके लिए बहुत काम किए हैं। ऐसे में बीजेपी नहीं चाहती है कि ये वोट अहम समय में खिसकने पाएं।

माना जा रहा है कि अमित शाह ने इस बैठक में सभी पदाधिकारियों से हर हाल में 50 प्रतिशत वोट हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने की बात कही है। पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पार्टी की प्रचंड जीत में सवर्णों के साथ गैर यादव ओबीसी के बड़े तो गैर जाटव दलित के छोटे तबके ने मुख्य भूमिका निभाई थी। शाह की रणनीति के मुताबिक, सामान्य वर्ग 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने से अब और मजबूती से पार्टी के साथ आ गया है। 

सपा-बसपा गठबंधन से निपटने के लिए अमित शाह ने केन्द्र की तमाम विकास की योजनाओं को तेज गति से जनता तक पहुंचाने का निर्णय लिया है। यही नहीं, पार्टी प्रदेश के 2.44 करोड़ किसानों को भी अपने पक्ष में लाने के लिए योजनाएं तैयार कर रही है। सूत्रों की मानें तो इस पूरे अभियान की देखरेख सीधे पीएमओ से की जाएगी।

अमित शाह इस बात पर पूरा जोर दे रहे हैं कि किसी भी तरह से पार्टी के पक्ष में खड़ा हुआ गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव दलित वोट बैंक में कहीं सेंध न लगने पाए। यहां तक कि इससे बचने के लिए पार्टी यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि सपा-बसपा का गठबंधन पिछड़ा-दलित गठबंधन नहीं बल्कि यादव-जाटव गठबंधन है। इस तरह बीजेपी जातिवाद पर टिके इस गठबंधन के जातीय समीकरण को तोड़ने की रणनीति बना रही है। यही नहीं, इसके साथ ही पार्टी इन दोनों दलों में गठबंधन से नाराज वर्ग को भी साधने की योजना बना रही है। अमित शाह इस वर्ग को साधे रखने के साथ ही पार्टी के मिशन 50 फीसदी का लक्ष्य हर हाल में पाने की जुगत में हैं।

इसके अलावा ऐसा भी माना जा है कि इस बैठक में हाल ही में हुए चुनाव में तीन राज्यों में पार्टी की हार के बाद तेवर दिखा रहे ‘अपना दल’ और ‘सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी’ को जोड़े रखने के साथ-साथ छोटे-छोटे जातिगत समूहों को को भी साथ लाने की कोशिश की जा रही है।
सूत्रों की मानें तो इस बैठक में शाह ने विस्तारकों, प्रदेश अध्यक्ष और संगठन मंत्री से सूबे की सभी 80 सीटों की सीटवार रिपोर्टिंग ली। इस बैठक के दौरान कई चुनिंदा सीटों पर व्यापक विचार विमर्श भी किया गया। इसके अलावा सभी सीटों पर बूथ प्रबंधन के साथ-साथ इस बात पर भी विमर्श हुए कि किस सांसद को टिकट मिलेगा और किस सांसद को नहीं, यह इसी रिपोर्ट के आधार पर तय होगा।

दरअसल, पिछले विधानसभा चुनावों के नतीजों के मुताबिक देखा जाए तो सपा-बसपा को मिले वोटों का योग भाजपा को मिले 42 फीसदी वोटों के बराबर है। वहीं इनके समर्थक मतदाता माने जाने वाले मुसलमान, दलित और यादवों की जनसंख्या लगभग 20 सीटों पर 50 फीसदी से भी ज्यादा है। यही कारण है कि अमित शाह किसी भी मोर्चे पर किसी भी तरह की लापरवाही नहीं छोड़ना चाहते हैं।

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