बिहार में लालू पुत्रों के बीच एक बार फिर से वर्चस्व की जंग देखने को मिली। इस बार नया उदाहरण कर्पूरी ठाकुर जयंति समारोह में देखने को मिला। यहां लालू यादव के दोनों भाइयों ने मनमुटाव के बाद बड़े दिनों के बाद मंच साझा किया। जहां उनकी कुर्सी उनके ‘छोटे’ भाई तेजस्वी से नीचे लगाई गई। यही नहीं, पोस्टरों में उनकी मां राबड़ी देवी के साथ केवल तेजस्वी की फोटो ही देखने को मिलीं। वहीं इस मंच से तेजप्रताप ने भी फिल्मी डायलॉग्स के माध्यम से पार्टी में अपना दबदबा स्थापित करने की कोशिश भी की। उन्होंने खुद को कृष्ण और तेजस्वी को अर्जुन बताते हुए कह दिया कि बिना कृष्ण के अर्जुन युद्ध में विजय नहीं हो सकता है। उनके इस बयान से अब माना जा रहा है कि अब दोनों भाई पार्टी पर अपना एकाधिकार जमाने में लग गए हैं।
उनके इस बयान के बाद राजनैतिक जानकारों का अनुमान है कि पार्टी में सब ठीक नहीं चल रह है। अनुभवी लोगों का मानना है कि जल्द ही पार्टी में बड़ी बगावत या बड़ी फूट हो सकती है। कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि जल्द ही पार्टी समाजवादी पार्टी की तरह बिखर जाएगी।
हालांकि मंच पर जनता को दिखाने के लिए तेजस्वी यादव ने तेजप्रताप के पैर छुए। जबकि तेजप्रताप ने तेजस्वी का हाथ थामकर उन्हें अर्जुन और खुद को कृष्ण बताया। इन गतिविधियों पर राजनीतिक पंडितों का कहना है कि ये तो इनकी रोज की घटना बन चुकी है। मंच पर तो एक दूसरे को सम्मान विरोधी भी दिया करते हैं। जानकारों का मानना है कि दोनों भाइयों के बीच दूरियां दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं। हाथ मिल रहे हैं लेकिन दिल नहीं मिल पा रहे हैं।
बता दें कि कर्पूरी ठाकुर की जयंति समारोह के अवसर पर कार्यक्रम के दौरान सबसे पहले तेजप्रताप ने भाषण दिया। अपने भाषण के दौरान तेजप्रताप ने अपने एलपी (लालू प्रसाद) मूवमेंट की चर्चा की। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव के पटना में नहीं रहने के कारण ही उन्होंने अपना एलपी मूवमेंट स्थगित कर दिया था। अब तेजस्वी पटना आ चुके हैं तो उन्हें एलपी मूवमेंट की तारीख बतानी चाहिए। हालांकि भाषण के दौरान तेजस्वी ने तेजप्रताप के एलपी मूवमेंट शुरू करने की तारीख को लेकर अपने भाषण में कोई जिक्र तक नहीं किया।
दरअसल, एलपी मूवमेंट की बात तेजप्रताप यादव ने लालू प्रसाद को जेल से छुड़ाने के लिए की है। उनका मानना है कि इस मूवमेंट के तहत ‘जेल भरो आंदोलन’ होगा। इस मूवमेंट को सफल बनाने के लिए तेजप्रताप ने लोगों से हाथ उठाकर जेल भरने की अपील तो की लेकिन मजेदार बात यह है कि उनकी इस अपील में उन्हें तेजस्वी यादव का साथ नहीं मिला। महौल तब संवेदनशील हो गया, जब तेजप्रताप ने खुले मंच से ही तेजस्वी को टोकते हुए कहा कि आखिर वो उनके साथ जेल जाने के लिए तैयार क्यों नहीं हैं।
फिर क्या था, तेजप्रताप ने बातों ही बातों में तेजस्वी को अल्टीमेटम देते हुए कह दिया कि बिना कृष्ण के अर्जुन की युद्ध में जीत हासिल नहीं हो सकती है। हालांकि मौके की संवेदनशीलता के लिए उन्होंने बात सम्हालते हुए तेजप्रताप ने कहा कि वो तेजस्वी को हमेशा बोलते हैं कि संकट से घबराएं नहीं बल्कि कृष्ण को याद करते रहें। कृष्ण ही उनका बेड़ा पार लगाएंगे।
हालांकि बाद में भाषण देने पहुंचे तेजस्वी यादव ने भी जल्द ही आंदोलन करने की घोषणा की लेकिन उनका मुद्दा अलग रहेगा। उनके आंदोलन का मुद्दा पिछड़ो-दलितों के लिए आरक्षण की सीमा को बढ़ाना और युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना है। यही नहीं, तेजस्वी यादव ने निजी क्षेत्र में भी आरक्षण की मांग रखी। उनका कहना है कि वो इन्हीं मुद्दों पर अपनी लड़ाई को आगे बढ़ाने वाले हैं। अपने भाषण में तेजस्वी ने तेजप्रताप के एलपी मूवमेंट का एकबार भी जिक्र नहीं किया।
कुल मिलाकर पूरे कार्यक्रम के दौरान दोनों भाइयों के बीच भेदभाव, असहमति, तू बड़ा की मैं बड़ा, तू निर्णय लेने वाला या मैं निर्णय लेने वाला…जैसी स्थिति साफ-साफ नजर आई। यह भेदभाव छिपाए नहीं छिपा।
बता दें कि कार्यक्रम के मुख्य बैनर में तेजप्रताप यादव को जगह नहीं दी गई थी। वहीं दूसरी ओर लालू-राबड़ी के साथ बैनर में भी सिर्फ तेजस्वी की तस्वीर ही नजर आई। हद तो तब ह गई, जब तेजस्वी यादव के बैठने के लिए तेजप्रताप से ज्यादा उंची कुर्सी मुहैया कराई गई।
ये सब चीजें तेजप्रताप साफ-साफ देख रहे थे। लोक-लज्जा के डर से उन्होंने खुलकर इन चीजों पर तो कुछ नहीं कहा लेकिन भाषण के दौरान यह कहकर नाराजगी जता ही दी कि, बिना कृष्ण के अर्जुन अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएगा। ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों भाइयों के बीच की बढ़ती खाई कब तक बढ़ती है और कहां दर्रा बनकर फटती है।