किसानों का आरोप- पानी में नहीं घुल रहा यूरिया, आधी से भी कम रह जाएगी पैदावार

यूरिया खाद मुरैना किसान

PC: Dainik Bhaskar

रबी की फसल की बुआई हो चुकी है। किसानों को यूरिया की बेहद जरूरत है, लेकिन यूरिया की किल्लत से उठी परेशानी थमने का नाम ही नहीं ले रही है। यूरिया के बिना फसल की पैदावार कमजोर होने के डर से किसान खेत छोड़कर सुबह-सुबह ही पेस्टिसाइड की दुकानों पर पहुंच जाते हैं। वे पूरे दिन यूरिया खाद लेने के लिए कतार में लगे रहते हैं और जब उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है, तो उनके चेहरे पर उदासी छा जाती है। कांग्रेस शासित राजस्थान और मध्यप्रदेश के कई जिलों में अभी भी किसानों के यही हालात हैं। इस बीच जो यूरिया मिल रहा है उसके बारे में भी किसान नकली होने की शिकायत कर रहे हैं। मध्य प्रदेश के मुरैना से इस तरह की खबरें सामने आई हैं। यहां कृषि मंडी में खराब यूरिया बांटने के विरोध में किसान नारेबाजी भी कर रहे हैं।

मध्य प्रदेश के मुरैना में किसानों ने आरोप लगाया है कि, राज्य सरकार उन्हें नई यूरिया की रैक में से खाद देने की बजाय पुराना घटिया यूरिया दे रही है। किसानों ने बताया कि, हाल ही में नए यूरिया की रैक आई है। राज्य सरकार ने 1100 बोरी यूरिया गोदाम में बंद कर रखा है लेकिन फिर भी कमलनाथ सरकार द्वारा उन्हें पुराना यूरिया बांटा जा रहा है। किसानों के अनुसार उन्हें जो यूरिया दिया जा रहा है, वो फसल के लिए बिल्कुल मुफीद नहीं है। किसानों ने बताया कि, यह यूरिया मिट्टी में नहीं घुल रहा है इसलिए उनके किसी काम का नहीं है।

किसानों को जो यूरिया मुरैना में दिया जा रहा है, उससे वे कतई खुश नहीं है बल्कि किसानों का कहना है कि, इस यूरिया से फसल उत्पादन में 60 फीसदी तक नुकसान हो जाएगा। दैनिक भास्कर की एक खबर के मुताबिक, यहां स्थानीय गल्ला मंडी में हांसई निवासी ईश्वरचंद्र शर्मा ने कट्टे से यूरिया निकालकर पानी से भरी शीशी में यूरिया  खाद के दानों को मसलकर दिखाया, लेकिन यूरिया पानी में नहीं घुला। किसानों ने करीब आधे घंटे तक यूरिया को पानी में डालकर रखा लेकिन इसका एक भी दाना नहीं घुला। अकेले ईश्वरचंद्र ही नहीं बल्कि किसान आशुतोष, मोहित, दिलीप गुर्जर, जीभाराम, दौजीराम, घनपाल, संजय और रामगणेश सहित कई किसानों ने भी यूरिया घटिया होने की बात कही है।

बता दें कि, असली यूरिया के दाने सफेद और चमकदार होते हैं। ये लगभग समान आकार के कड़े दाने होते हैं। असली यूरिया पानी में पूरी तरह से घुल जाती है व इसके घोल को छूने पर यह ठंडा लगता है। अगर हम यूरिया खाद को तवे पर गर्म करें तो इसके दाने पिघल कर कोई भी अवशेष नहीं बचाते।

उधर राजस्थान के भी कई जिले यूरिया की कमी से जूझ रहे हैं। यहां यूरिया की किल्लत थमने का नाम ही नहीं ले रही हो और जैसे-जैसे समय गुजर रहा है किसानों की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। पंचायत समिति के लोग कलेक्टर को पत्र लिख रह हैं लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो रहा। बीकानेर में यूरिया के लिए लगी लंबी कतारें प्रशासन से एक ही बात पूछ रही है कि ये कतारें आखिर कब खत्म होगी।

यूरिया की कमी तो थी ही अब घटिया यूरिया का वितरण एक गंभीर समस्या है। लगता है कांग्रेस सरकार किसानों के हित की केवल बातें ही करती हैं उन पर अमल नहीं करती। कर्जमाफी के वादे के बावजूद इन दोनों राज्यों में किसान राज्य सरकार से खुश नहीं हैं।

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