कमलनाथ ने मध्य प्रदेश सचिवालय में वंदे मातरम के रिवाज़ को किया खत्म

शिवराज मध्य प्रदेश वन्दे मातरम लव जिहाद

PC: Indiatoday

 सत्ता में आते ही कांग्रेस ने फिर से अपनी गंदी राजनीति शुरू कर दी है। मध्यप्रदेश में कमलनाथ की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने एमपी के सचिवालय में 14 साल से चले आ रहे रिवाज़ को बंद कर दिया है। ये रिवाज़ कुछ और नहीं बल्कि सचिवालय में महीने की पहली तारीख को राष्ट्रीय गीत गाने की परंपरा है। इस बार महीने की पहली तारीख थी, उससे भी खास बात ये कि ये साल का पहला दिन था, लेकिन इस बार कांग्रेस की नवनिर्वाचित सरकार ने सचिवालय में राष्ट्रगीत गाए जाने की परंपरा ही बंद कर दी। इसको लेकर कमलनाथ ने खुद पुष्टि करते हुए कहा कि हर महीने की एक तारीख को मंत्रालय में वंदे मातरम गाने की अनिवार्यता को फिलहाल अभी बंद करने का निर्णय लिया गया है। वहीं दूसरी ओर कमलनाथ सरकार के ही एक मंत्री का कहना है कि इसे न गाने का कोई सवाल ही नहीं है। ये दर्शाता है कि कांग्रेस सरकार में आपस में ही मतभेद हैं। वहीं दूसरी ओर एमपी के पूर्व मुख्मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस लेकर कांग्रेस पर हमला बोला है।

शिवराज सिंह चौहान ने ट्विट करते हुए तंज भरे अंदाज में कहा, “अगर कांग्रेस को राष्ट्रगीत के शब्द नहीं आते हैं या राष्ट्रगीत के गायन में शर्म आती है तो मुझे बता दें। हर महीने की पहली तारीख को वल्लभ भवन के प्रांगण में जनता के साथ वंदे मातरम मैं गाऊंगा।” 

शिवराज सिंह चौहान ने एक और ट्विट करत हुए कहा, “वंदे मातरम सिर्फ हमारा राष्ट्रीय गीत ही नहीं बल्कि राष्ट्रभक्ति का पर्याय है। वन्दे मातरम ऐसा मंत्र है, जिसका उद्घोष करते हुए भारत माता के हजारों सपूत हंसते-हंसते फांसी पर झूल गए थे।”

शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट करना जारी रखा। उन्होंने आगे लिखा, “वन्दे मातरम ऐसा मंत्र है, जिसका उद्घोष करते हुए हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने सीने पर अंग्रेजों की गोलियां खाई थीं। इसी मंत्र को जपते-जपते लाखों लोगों ने देश को आजाद करने में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।”

वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है, हर महीने की 1 तारीख को मंत्रालय में वंदे मातरम गाने की अनिवार्यता को फिलहाल अभी बंद करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि हमें किसी को देशभक्ति दर्शाने की जरूरत नहीं है। ऐसे में शायद उनका कहना सही भी है। उन्हें देशभक्ति दर्शाने की जरूरत नहीं है लेकिन समय-समय पर देश विरोधी हरकत जरूर दर्शाते रहते हैं। इसलिए उनसे देशभक्ति दर्शाए जाने की आशा भी नहीं की जा सकती है।  

शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि “मध्य प्रदेश में वंदे मातरम का गान हर सप्ताह कैबिनेट मीटिंग से पहले सभी मंत्रियों द्वारा किया जाता था और हर महीने की पहली तारीख को वल्लभ भवन के प्रांगण में वंदे मातरम गान में सभी कर्मचारी और अधिकारीगण उपस्थित रहते थे। उन्होंने कहा, “वंदे मातरम के कारण लोगों के हृदय में प्रज्वलित देशभक्ति की भावनाओं में नई ऊर्जा का संचार होता था। अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस की सरकार ने ये परंपरा आज तोड़ दी। आज पहली तारीख को वंदे मातरम नहीं गाया गया।”

वहीं दूसरी ओर शिवराज सिंह चौहान ने कड़क लहजे में कहा, “कांग्रेस शायद ये भूल गई है कि सरकारें आती हैं, जाती हैं लेकिन देश और देशभक्ति से ऊपर कुछ नहीं है। मैं मांग करता हूं कि वंदे मातरम का गान हमेशा की तरह हर कैबिनेट की मीटिंग से पहले और हर महीने की पहली तारीख को हमेशा की तरह वल्लभ भवन के प्रांगण में हो।”  

इससे अब एक बात तो स्पष्ट है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी बदले की राजनीति कर रही है। कांग्रेस को पाकिस्तान से प्रेम दर्शाने में जरा भी संकोच नजर नहीं आता है। कांग्रेस के नेता पाकिस्तान में जाकर वहीं देश विरोधी गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं। उनके नेता अलगाववादियों और खालिस्तान समर्थकों के साथ गलबहियां करते नजर आते हैं। वहां जाकर आईएसआई और उसके सहयोगी आतंकियों संग फोटो खिंचाते हैं। उसमें कांग्रेस को कोई भी संकोच महसूस नहीं होता है लेकिन कांग्रेस को राष्ट्रगान या राष्ट्रीय गीत गाने में संकोच महसूस होता है। इन सारी गतिविधियों से एक बार फिर से कांग्रेस का चेहरा सामने आ गया है।

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