योगेंद्र यादव ने ‘महागठबंधन’ पर किया सबसे शानदार विश्लेषण, बेनकाब कर दिये विपक्षी पार्टियों के चेहरे

महागठबंधन योगेंद्र यादव

PC: Zee News

प्रधानमंत्री मोदी के विरोध में एकजुट हुई विपक्षी पार्टियों के महागठबंधन का एजेंडा इतना खोखला और स्तरहीन है कि विपक्ष के कुछ चंद नेताओं के अलावा हर कोई इसकी मुखालफत कर रहा है। स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने तो इस महागठबंधन को एक बड़ा मजाक बता दिया है साथ ही उन्होंने कहा कि यह विचारधाराहीन खोखले लोगों से भरा हुआ है। विपक्षी पार्टियों के एजेंडे पर सवाल खड़े करते हुए रविवार को उन्होंने कहा कि महागठबंधन के सभी नेता लोकतंत्र वरोधी और भ्रष्ट हैं। कभी आम आदमी पार्टी के बड़े नेता रहे योगेद्र यादव के मुंह से यह बात अचंभित जरूर करती है लेकिन लगता है कि उन्हें भी अब सच नजर आने लगा है।

यादव ने कहा, “कोलकाता में एक बड़ी रैली हुई, लेकिन विचारधारा कहां है? आपका एजेंडा क्या है? उस पर कोई चर्चा नहीं हुई, किसानों की समस्या पर कोई बात नहीं हुई और न ही बेरोजगारी पर। मेरा मानना है कि इस गठबंधन के पास कोई दिशा दृष्टि नहीं है।” बता दें कि, हाल ही में कोलकता में ममता बनर्जी ने महागठबंधन की एक रैली आयोजित की थी, उसी रैली का हवाला देते हुए योगेंद्र यादव यह बात कह रहे थे। यही नहीं, योगेन्द्र यादव ने ममता बनर्जी को एक तरह से तानाशाह नेता करार कर देते हुए कहा कि, वे लोग कह रहे हैं कि मोदी लोकतंत्र विरोधी हैं लेकिन ममता बनर्जी क्या हैं? उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से पंचायत चुनाव नहीं होने दिया। यादव ने कहा कि, उन्होंने (ममता) विपक्ष को कोई रैली नहीं करने दी। यादव ने इसे पश्चिम बंगाल में ममता की दबंगई करार दिया।

यादव ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि, किस आधार पर शरद पवार (राकांपा), अखिलेश यादव (सपा प्रमुख) और मायावती (बसपा प्रमुख), देश को भ्रष्टाचार से बचाने का दावा कर रहे हैं। यादव ने महागठबंधन को खोखले लोगों का गठबंधन बताते हुए कहा कि, महागठबंधन सिर्फ विपक्ष है, केंद्र की मोदी सरकार का विकल्प नहीं है। यादव ने कहा कि ‘महागठबंधन’ के ये नेता पांच साल उस समय कहां थे जब किसान आत्महत्या कर रहे थे और बेरोजगार युवाओं का आंदोलन चल रहा था।

योगेंद्र यादव की इस बात में कोई दोराय नजर नहीं आती। दरअसल, पीएम मोदी के विरोध में खड़े हुए इन नेताओं में खुद में एक राय नहीं है। महागठबंधन से लोग क्या उम्मीद करें, यह लोगों की भी समझ से परे है। कोलकता की रैली इसका सबसे सटीक उदाहरण है, जिसमें लोग बीच में ही उठकर जा रहे थे। लोगों को असल में समझ ही नहीं आ रहा था कि, इन नेताओं का लक्ष्य क्या है और जो कुछ समझ आ रहा था उससे शायद वे समर्थन नहीं करते थे। कुल मिलाकर योगेंद्र यादव का यह बयान महागठबंधन को आईना दिखा रहा है लेकिन विपक्षी पार्टियों का यह गठबंधन यादव की बात पर गौर करेगा इसकी कोई गुंजाइश नहीं है।

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