पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद से दोनों देशों के बीच काफी तनाव है और इस तनाव का असर अन्य क्षेत्रों में भी नजर आया। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान ने तो पाकिस्तान से हर तरह का खेल रिश्ता तोड़ने तक की बात कही। टीम इंडिया के सीनियर ऑफ स्पिन गेंदबाज हरभजन सिंह ने विश्व कप में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट न खेलने की बात कही थी और सौरव गांगुली ने भी इसका समर्थन किया था। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर और राजद नेता तेजस्वी यादव ने पाकिस्तान के साथ वर्ल्ड कप में मैच खेलने के समर्थन की बात कही है। ऐसे संवेदनशील मौके पर विपक्षी नेताओं की ये प्रतिक्रिया दर्शाती है कि अभी भी ये दोनों नेता पाक के समर्थन में हैं। इनके लिए जवानों के बलिदान से ज्यादा एक खेल जरुरी है।
#WATCH Shashi Tharoor says, "In '1999 Kargil War, India played Pakistan in the cricket World Cup, & won. To forfeit the match this year would not just cost two points: it would be worse than a surrender, since it would be defeat without a fight." pic.twitter.com/yRIExUVJ4c
— ANI (@ANI) February 22, 2019
शशि थरूर ने अपने बयान में कहा, ‘1999 में कारगिल युद्ध के समय भी भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट वर्ल्ड कप खेला गया था और भारत ने जीत हासिल की थी। यदि इस साल मैच नहीं खेला जाता तो ये केवल दो प्वाइंट का नुकसान नहीं होगा। ये आत्मसमर्पण से भी बदतर होगा चूंकि ये बिना लड़ाई वाली हार होगी।’ थरूर ने आगे कहा, ‘हमारी सरकार ने पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद राष्ट्रीय शोक भी घोषित नहीं किया, अब वो उस मैच को रद्द करना चाहते हैं जो तीन महीने बाद है। क्या 40 जिंदगियां जाने का यही गंभीर उत्तर है?’ शशि थरूर को भी ये पता है कि सरकार पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने के लिए योजना बना रही है। अचानक से कोई भी फैसले नहीं लिए जाते। बहुत आसान होता है कार्रवाई की मांग करना लेकिन एक सुन्योजित तरीके से उसे अंजाम देने का दबाव भी केंद्र सरकार पर है। पहले भारत सरकार ने पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीना, फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मुद्दे को उठाया और अभी भी सरकार एक बड़ी योजना पर काम कर रही है। फिर भी उनका ये बयान देना कि भारत को वर्ल्ड कप खेलना चाहिए क्योंकि अगर नहीं खेला तो ये आत्मसमपर्ण जैसा होगा। इस बेतुकी दलील की उम्मीद ही शशि थरूर से की जा सकती है। पूरी दुनिया जानती है कि भारतीय क्रिकेट टीम का स्कोर पाकिस्तान क्रिकेट टीम से कहीं ज्यादा। पाकिस्तान नहीं टिकता। वास्तव में कोई तुलना ही नहीं है। अगर भारत वर्ल्ड कप में एक मैच नहीं भी खेलता है तो इससे भारत से कहीं ज्यादा नुकसान पाक का होगा। फिर भी ये बेतुका बयान पाक के प्रति उनके झुकाव को दर्शाता है।
Tejashwi Yadav, RJD: Cricketers play with sportsman spirit. We strongly condemn Pulwama attack & we want a reply to be given, but it's not right if the countries can't play together because of it. pic.twitter.com/zWQVpwCDEI
— ANI (@ANI) February 22, 2019
वहीं तेजस्वी यादव ने कहा कि ‘क्रिकेट खिलाड़ी खेल भावना से खेलते हैं। हम पुलवामा हमले की कड़ी निंदा करते हैं और हम चाहते हैं कि इसका जवाब दिया जाए, लेकिन ये भी उचित नहीं है कि दो देश इसकी वजह से साथ नहीं खेल सकते।‘ जो देश बार बार जवानों पर हमले करे और भारत में आतंक का निर्यात करे उस देश के साथ भारत खेल भावना दिखाकर महानता दिखाए? ये वहीं तेजस्वी यादव हैं जो राजनीति नहीं बल्कि क्रिकेट के मैदान में कदम जमाना चाहते थे लेकिन वो एक नाकाम क्रिकेटर रहे हैं। क्रिकेट के क्षेत्र में बात नहीं बनी तो अपने पिता की विरासत संभालने लगे।
इन दोनों ही नेताओं के इस बयान से तो यही लगता है कि हमारे जवान देश की रक्षा के लिए बलिदान देते हैं और ये नेता एक खेल को उससे ऊपर रखते हैं। मतलब एक तरफ पाक देश का खून बहाने पर आतुर है और दूसरी तरफ हमारे देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने पर लगाये जाने वाले बैन का विरोध कर रहे हैं।
इससे पहले बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा था, ‘संवैधानिक या अनुबंध के जरिए पाकिस्तान को विश्व कप से बाहर करने का कोई तरीका नहीं है। आईसीसी का संविधान सदस्यों को क्वालीफाई करने की स्थिति में आईसीसी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने का अधिकार देता है।’