गंदी राजनीति के लिए कुख्यात ध्रुव राठी ने इस बार नागा साधुओं और सनातन धर्म को बनाया निशाना

ध्रुव राठी नागा साधु

ऐसा लगता है कि कुछ लेफ्ट-लिबरल तथाकथित बुद्दिजीवी लोगों को पीएम मोदी, बीजेपी या हिंदू संस्कृति के खिलाफ बिना कुछ कहे चैन नहीं आता। इनमें से कुछ लोग तो पीएम मोदी का इस तरह से विरोध करते हैं कि, जैसे कुछ दिनों बाद अरविंद केजरीवाल ही बन जाएंगे। इसी तरह के लोगों में से एक ध्रुव राठी भी हैं, जो आम आदमी पार्टी की कठपुतली माने जाते हैं। हाल ही में उन्होंने सोशल मीडिया में यह पोस्ट करके सुर्खियां बटोरने की असफल कोशिश की है: –

हाल ही में, कुछ एनएसएसओ अधिकारियों के इस्तीफे के बाद, लेफ्ट-लिबरल्स ने अफवाहें फैलाना शुरू कर दी थी कि, भारत में बेरोजगारी सबसे ऊंचे स्तर पर है। हालांकि, केंद्र सरकार ने एक से अधिक बार स्पष्ट किया कि ऐसी कोई भी रिपोर्ट जारी नहीं की गई है, इसके बावजूद लेफ्ट-लिबरल पत्रकारों दुष्प्रचार फैलाने से बाज नहीं आए। 

अब जनता इन लेफ्ट-लिबरल्स के प्रोपागंडा को पूरी तरह पहचान चुकी है यही कारण है कि वे बौखलाए हुए हैं। न सिर्फ बहुप्रतीक्षित फिल्म  उरी-द सर्जिकल स्ट्राइक के खिलाफ उनका दुष्प्रचार फिल्म की सफलता को रोकने में विफल रहा बल्कि प्रयागराज में आयोजित हो रहे कुंभ मेला भी पिछले कुंभ मेलों की अपेक्षा बहुत अधित लोकप्रियता पा रहा है। 

इस तरह, जब ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने कुंभ मेले में भाग ले रहे नागा साधुओं की विविधताओं पर स्टोरी की, तो ध्रुव राठी ने इसे पीएम मोदी की एनडीए सरकार पर तंज कसने के लिए इस्तेमाल किया। राठी ने नागा साधुओं की दिलचस्प परंपराओं वाली इस स्टोरी का मजाक बनाया। राठी ने इन साधुओं को बेरोजगार लोगों के रूप में पेश किया। राठी के अनुसार, इन साधुओं के पास नागा साधु बनने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।

पीएम मोदी के लिए नफरत से भरे ध्रुव राठी ने नागा साधुओं को बहुत कम आंक लिया। वह जो दावा करता है, उसके विपरीत नागा साधु बनना कोई बच्चों का खेल नहीं है। यह एक स्वैच्छिक अभ्यास है, और एक के बाद कठिन प्रशिक्षण और तपस्ता से गुजरने के बाद कोई नागा साधु बन पाता है। नागा साधुओं को बेरोजगार कहना उनका सबसे बड़ा अपमान है, जो कि ध्रुव राठी ने किया है।

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब ध्रुव राठी ने सोशल मीडिया पर इस तरह की हरकत की हो। स्व-घोषित AAP समर्थक, ध्रुव आदतन इस तरह की हरकतें करता है, उसके पास अनंत अफवाहें हैं, जिनका मुख्य टारगेट सिर्फ भाजपा है। ध्रुव राठी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की आर्थिक व्यवहार्यता को भी आंकने की धृष्टता की थी। कुख्यात लेफ्ट-लिबरल पोर्टल द वायर द्वारा प्रकाशित एक आर्टिकल में, उसने घोषणा की थी कि स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी के नफा-नुकसान की स्थिति तक आने में ही 120 साल लग जाएंगे, मुनाफा कमाना तो भूल ही जाओ।

इतना ही नहीं, बल्कि उन पर असहमति व्यक्त करने वाले लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट्स को साइबरस्टॉक करने और बेतुके झूठ बोलने के भी आरोप है। ऐसे ही एक व्यक्ति, विकास पांडे, जो की सिर्फ एक स्वैच्छिक मोदी समर्थक है, लेकिन ध्रुव ने उन पर भाजपा आईटी सेल के सदस्य के रूप में लोगों को रिश्वत देने का आरोप लगाया था।

इस तरह के बेतुके और झूठे आरोपों के बाद विकास ने ध्रुव राठी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा भी दायर किया था, जिसके बाद, वह यूरोप में एक अज्ञात स्थान पर स्टडी करने के लिए चला गया और अभी तक कोई प्रतिक्रिया भी नहीं दी। वह अदालत के सामने पेश होना भी भूल गया। इस प्रकार, इल्जाम लगाकर भाग जाने वाली राजनीति करना इस लड़के के लिए रोजमर्रा का काम बन गया है। अब सवाल सिर्फ एक है, जिसका जवाब दिया जाना चाहिए: आखिर कब तक?

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