मेक इन इंडिया के तहत भारतीय सेना के लिए लार्सन एंड टर्बो द्वारा के-9 वज्र-टी 155 एमएम सेल्फ-प्रोपेल्ड होवित्जर बनाई गई। 10 के-9 वज्र पहले से ही सेना को दे दी गईं हैं और 90 अगले 22 महीनों में दी जायेंगी। कुछ हफ्ते पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने लार्सन एंड टर्बो के गुजरात के हाज़िरा में स्तिथ आर्मर्ड सिस्टम कॉम्प्लेक्स (ASC) का उद्घाटन किया। ASC एक अत्याधुनिक परिसर है जहाँ के 9 होवित्जर, इन्फेंट्री के लिए लड़ाकू वाहन, युद्ध टैंक जैसे हथियार बनाने के काम आएगा।
बता दें कि पाकिस्तान को अमेरिका से 115 M109A5 होवित्जर 2009 में ही मिल गई थी, जबकि कांग्रेस सरकार को कई बार बोलने पर भी सरकार ने सेना की इस ज़रूरत को पूरा करने के बारे में नहीं सोचा। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की सरकार आने के बाद भारत की सेना को यह बंदूकें दिलाने की प्रक्रिया तेज़ कर दी गई थी। अमेरिका में बनी M777 हॉवित्जर इस साल मार्च से आर्मी को मिलनी शुरू हो जाएगी। ऐसी 145 M-777 हॉवित्जर तोपों के लिए भारत और अमेरिका के बीच नवंबर 2016 में करार हुआ था जिसमें से पहली पांच तोपें प्रशिक्षण के लिए पहले ही भारत आ चुकी हैं। ऐसी पहली पच्चीस हॉवित्जर रेडी-टू-यूज़ आयेंगी और बाकि भारत में ही महिंद्रा डिफेन्स में जोड़ कर तैयार की जायेंगी। यह तीन दशकों में भारतीय सेना में शामिल की जाने वाली पहली फील्ड बंदूके हैं। इन बंदूकों को लेने का प्रस्ताव 2010 में आया था पर कांग्रेस सरकार के लचर रवैये की वजह से यह प्रस्ताव ठन्डे बस्ते चला गया था। मई 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद इन बंदूकों को लाने की प्रक्रिया फिर से शुरू की गई थी पर UPA के समय हुई ढील की वजह से इन बंदूकों की कीमत बढ़ चुकी थी। इस सौदे पर मोदी सरकार ने फिर से काम किया और मेक इन इंडिया के तहत इन में से अधिकतर बंदूकों को भारत में जोड़ने का प्रावधान रखा गया। सिर्फ इतना ही नहीं इन बंदूकों में भारत में बना बारूद प्रयोग किया जायेगा । इन बंदूकों का इस्तेमाल भारत चीन की सीमा पर किया जायेगा और इन्हें बोइंग CH-47 चिनूक हैवी लिफ्ट हेलिकॉप्टर द्वारा लाया जायेगा। ऐसे 15 चिनूक और 12 बोइंग AH-64 अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर का सौदा पिछले वर्ष जुलाई में किया गया था। इस साल मार्च से यह भारतीय सेना को मिलने शुरू भी हो जायेंगे। यह हेलिकॉप्टर भारतीय सेना के लिए गेम चेंजर साबित होंगे जिसे अभी तक पुराने रशियन Mi-17 मध्यम लिफ्ट हेलिकॉप्टर और Mi-26 हेलिकॉप्टर पर निर्भर रहना पड़ता है।
फिलहाल भारत के पास अब तक अटैक हेलिकॉप्टर के नाम पर सिर्फ Mi-35 हेलिकॉप्टर ही थे ।इन हेलिकॉप्टर के तीन अरब डॉलर के सौदे में ऑफसेट का प्रावधान भी है जो भारत के रक्षा क्षेत्र में एक अरब का व्यापार लेकर आएगा। बोइंग के इस सौदे को भी UPA ने आठ साल तक खींच कर 2013 में ठप्प कर दिया था, यह जानने के बावजूद कि भारतीय सेना को इनकी कितनी ज़रुरत थी। अंततः मोदी सरकार ने इस सौदे को अंजाम दिया। साथ ही सेना के अनुरोध पर छः अधिक अपाचे AH-64E अटैक हेलिकॉप्टर भी खरीदे गये। इन सब के साथ ही भारत को 22 Apache AH 64D Longbow हेलिकॉप्टर भी मिलने वाले हैं जो एडवांस्ड मल्टी-रोल कॉम्बैट हेलिकॉप्टर हैं । इनके ज्यादातर पुर्जे भारत की कंपनियां ही बनाएंगी। मोदी सरकार की वजह से कई सालों के इंतजार के बाद अब एडवांस्ड मध्यम रेंज सरफेस-टू-एयर (MRSAM) मिसाइल भी मिलने वाले हैं। पिछले वर्ष जनवरी में ही भारत ने इजराइल के साथ इन मिसाइल का सौदा किया था। यह मिसाइल बैलिस्टिक मिसाइल, फाइटर जेट, ड्रोन, सर्वेलन्स एयरक्राफ्ट इत्यादि को मार गिराने में सक्षम हैं। मई 2015 में भारत में बनी सुपरसोनिक सरफेस-टू-एयर मिसाइल आकाश भारतीय सेना में शामिल करी गईं। यह मिसाइल दुश्मनों के हेलिकॉप्टर, एयरक्राफ्ट आदि को 25 किलोमीटर की रेंज से निशाना बनाने में सक्षम हैं।
पिछले वर्ष मोदी सरकार ने भारतीय नौसेना के लिए लॉन्ग रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (LRSAM) और एयर एंड मिसाइल डिफेन्स सिस्टम्स भारत में बनाने के लिए इजराइल के साथ 777 मिलियन डॉलर का सौदा भी किया। यह LRSAM बराक 8 का ही एक हिस्सा है जिसे पहले ही भारतीय सेना में शामिल किया जा चुका है। यह LRSAM DRDO इजराइल के साथ साझेदारी में बना रहा है। यह प्रधानमंत्री मोदी के मेक इन इंडिया अभियान की सफलता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
इसके अलावा अमेरिका द्वारा प्रतिबंधों की चिंता ना करते हुए भी कुछ महीनों पहले भारत ने S-400 ट्रिउम्फ मिसाइल सिस्टम के लिए समझौता किया। हार मान कर अमेरिका को भी भारत को छूट देनी पड़ी। यह खतरा मोदी सरकार ने सिर्फ इसलिए मोल लिया ताकि भारतीय वायु सेना की घटती स्क्वाड्रन क्षमता को बढ़ाया जा सके।
इस बात को समझना ज़रूरी है की यूपीए सरकार के दौरान ना सिर्फ वायु सेना की गिरती स्क्वाड्रन क्षमता पर कोई भी ध्यान दिया गया बल्कि भारत की कमज़ोर राडार नेटवर्क रेंज को भी नज़रअंदाज़ किया गया। पर अब मोदी सरकार के तमाम हेलिकॉप्टर, मिसाइल, और एयर डिफेन्स सिस्टम की खरीद की वजह से भारतीय सैन्य क्षमता में यूपीए सरकार के दौरान आ गई खामियों को भी जल्द ही हटा दिया जायेगा। यूपीए सरकार ने भारत की वायु सेना के अथक अनुरोध के बाद भी बोइंग P-8 पोसेइदॉन सबमरीन विरोधी सर्विलांस एयरक्राफ्ट नहीं खरीदे थे जबकि मोदी सरकार ने 2016 में ही ऐसे चार एयरक्राफ्ट के अर्जेंट खरीद का आर्डर दे दिया। यह एयरक्राफ्ट भारतीय वायु सेना के लिए बहुत कारागार साबित होंगे।
मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल की शुरुआत में ही सात स्टेल्थ फ़्रिजेट और छः न्यूक्लियर चालित सबमरीन के निर्माण को हरी झंडी दिखा दी थी। इससे हिन्द महासागर क्षेत्र में भारत की सैन्य क्षमता और प्रबल होगी। पिछले साल अक्टूबर में ही भारत ने रूस के साथ एक करार किया जिसके चलते भारत को दो क्रिवक III-class स्टेल्थ फ़्रिजेट मिलेंगे। अक्टूबर 2016 में भी भारत और रूस के बीच ऐसी चार फ़्रिजेट के लिए एक करार साइन हुआ था जिसके टेक्नोलॉजी ट्रांसफर प्रावधान के चलते इनमे से दो फ़्रिजेट भारत में ही बनेंगे । इसके अलावा मोदी सरकार ने सितम्बर 2016 में फ्रांस के साथ राफेल समझौता किया। यह समझौता UPA के कार्यकाल में दस साल तक लटका रहा और फिर उन्होंने यह कह के डील पूरी नहीं की ‘की विमानों के लिए पैसे नहीं हैं’। पर मोदी सरकार ने भारतीय वायुसेना की ज़रूरत को समझा और तुरंत 36 राफेल विमानों का आर्डर दिया। अब मोदी सरकार ने मिलिट्री के आवागमन के लिए भी तुरंत C-130J ‘सुपर हरक्युलस’ और C-17 ग्लोबमास्टर III विमानों को सेना में शामिल करने की प्रक्रिया तेज़ कर दी है।
नौ साल के बेहद लम्बे इंतज़ार के बाद भारतीय सेना को बुलेट-प्रूफ जैकेट भी मिलने शुरू हो गए हैं। इन 1.86 लाख जैकेटों के लिए सरकार ने पिछले साल ही एक प्राइवेट कंपनी SMPP प्राइवेट लिमिटेड से 639 करोड़ रुपये की डील साइन करी थी। दो दशकों के इंतज़ार के बाद अब आर्मी को मोदी सरकार के प्रयासों के कारण बुलेटप्रूफ हेलमेट भी मिलने लगें हैं। यह हेलमेट भी भारत में ही कानपूर की एक प्राइवेट कंपनी बना रही है। यूपीए की सरकार ने सेना की काफी अनुरोध के बाद भी यह हेलमेट और जैकेट मुहैय्या करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया था। मोदी सरकार भारतीय सेना को 72,000 सिग सौर सिग-716 राइफल दिलाने के प्रयासों में लगी हुई है। हर बार की तरह ही यूपीए सरकार ने सेना की इस मांग को भी खारिज कर दिया था।
इन सब यंत्रों और हथियारों के अलावा भी मोदी सरकार ने भारतीय कंपनियों के साथ सेना के लिए अत्यधिक बर्फीले मौसम के लिए अनुकूल कपड़े बनवाने की डील साइन की है। साथ ही सेना को विषम परिस्तिथि में रखने के लिए पुख्ता इंतज़ाम और सेना के लिए पौष्टिक भोजन सामग्री तैयार करने की ज़िम्मेदारी मोदी सरकार ने DRDO को दी है। मोदी सरकार भारतीय सेना को इटली की 338 लापुआ मैग्नम स्कॉर्पियो तगत और अमेरिका की .50 कैलिबर M95 बंदूकें भी दिला रही है। जल्द ही सेना को भारत में बानी हुई ‘धनुष’ आर्टिलरी बंदूकें भी मिलने वाली हैं। हाल ही में सरकार ने मेक इन इंडिया के अंतर्गत छः प्रोजेक्ट 75 (I) सबमरीन भारत में बनाने का फैसला लिया है। साथ ही यह फैसला भी लिया है की भारतीय सेना के लिए तकरीबन 5000 मिलान एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें मंगाईं जाएँगी।