जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों के खिलाफ सरकार व्यापक कार्रवाई करने के संकेत पहले ही दे चुकी है। अब कश्मीर में अलगाववादी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को मायसूमा स्थित आवास से गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक को नजरबंद कर दिया गया है। दरअसल, सरकार द्वारा इस तरह का कदम उठाये जाने के पीछे अलगाववादी विरोध प्रदर्शन की अगुवाई करने से रोकने के लिए उठाया गया है। ये कार्रवाई अनुच्छेद 35-ए पर सुनवाई से पहले हुई है।
सोमवार को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली संविधान की अनुच्छेद 35-ए पर सुनवाई है। इस अनुच्छेद के मुताबिक जम्मू-कश्मीर के बाहर का व्यक्ति राज्य में अचल संपत्ति नहीं खरीद सकता। इसके अलावा दूसरे राज्य का कोई भी व्यक्ति यहां का नागरिक नहीं बन सकता। यहां का नागरिक केवल वो ही माना जाएगा जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या उससे पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो या इससे पहले या इस दौरान यहां पहले ही संपत्ति हासिल कर रखी हो।
बता दें कि पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद से जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य को दर्जा और इसके स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार प्रदान करने वाले अनुछेद 370 और 35ए को हटाया जाने की मांग तेज हो गयी है। इसके लिये कोर्ट में याचिका भी दायर की गई है जिसके खिलाफ अलगाववादियों ने दो दिन की हड़ताल का आह्वान किया। इस हड़ताल का नेतृत्व अलगाववादी संगठनों के मुखिया करने वाले थे। उससे पहले ही अलगाववादी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक गिरफ्तार कर लिये गये हैं। इसके साथ ही घाटी के कानून व्यवस्था बिगड़े उससे पहले ही जम्मू से सीआरपीएफ की 100 कंपनियां भेजी गयी हैं जिसमें सीआरपीएफ की 45, बीएसएफ की 35, एसएसबी की 10 और आईटीबीपी की 10 कंपनियां शामिल हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले जम्मू-कश्मीर सरकार ने 18 अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली थी। सिर्फ उन्हीं को सुरक्षा व्यवस्था दी गयी है जिन्हें वास्तव में जरूरत है। राज्य में जिन प्रमुख हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा वापस ली गई है उनमें एसएएस गिलानी, अगा सैयद मौसवी, मौलवी अब्बास अंसारी, यासीन मलिक, सलीम गिलानी, शाहिद उल इस्लाम, जफर अकबर भट, नईम अहमद खान, फारुख अहमद किचलू, मसरूर अब्बास अंसारी, अगा सैयद अब्दुल हुसैन, मोहम्मद मुसादिक भट और मुख्तार अहमद वजा, अब्दुल गनी शाहबिलाल लोन, हाशिम कुरैशी और शबीर शाह शामिल हैं।
कश्मीर के अलगाववादी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक की बात करें तो ये पाकिस्तानी नेताओं से गुपचुप तरीके से मिलने की खबरें सामने आती रही हैं। 1963 में कश्मीर में जन्मे यासीन मलिक ने पाकिस्तानी बाला मशाल हुसैन मलिक से निकाह किया है। मशाल के पिता प्रोफ़ेसर हुसैन मलिक हैं और मशाल की मां पाकिस्तान की मुस्लिम लीग से जुड़ी हुई है। इन दोनों का ही पाकिस्तान की राजनीति में अच्छी पकड़ है। कश्मीर में अलगाव और पत्थरबाजों को समर्थन देने में यासीन की भूमिका भी अहम है। यासीन ने 1987 में 4 भारतीय सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी थी जिसके लिए उन्हें सजा भी मिली थी। यासीन पर आतंकियों के साथ संबंध रखने के आरोप भी लगते रहते हैं। यही नहीं 1990 के दशक में कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और हत्याओं की कई घटनाओं में यासीन मलिक जैसे नेताओं की भूमिका पर भी कई सवाल उठते रहे हैं। एक बार फिर से कश्मीर में तनाव की स्थिति है। वहीं अनुच्छेद 35-ए की सुनवाई भी सोमवार को होनी है। अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला इन नेताओं के पक्ष में न हुआ तो राज्य में स्थिति बिगड़ने की आशंका जटिया जा रही है। ऐसे में स्थिति और बिगड़े जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।