कांग्रेसी सांसद का सनसनीखेज खुलासा- ‘बूथ लूटा करते थे कांग्रेसी कार्यकर्ता इसलिए जीतते थे चुनाव’

कीर्ति आजाद कांग्रेस बूथ कैप्चरिंग

PC : Dainik Bhaskar

झूठ के कितने भी पहरे क्यों ना हों लेकिन सच एक न एक दिन बाहर आ ही जाता है। ऐसा ही कुछ कांग्रेस पार्टी के साथ हुआ है। ईवीएम का पुरजोर विरोध करने वाली इस पार्टी की असली चेहरा बेनकाब हो चुका है और यह काम किसी विपक्षी की तरफ से नहीं बल्कि कांग्रेस के ही एक नेता ने देश की इस सबसे पुरानी पार्टी की पोल खोली है। 2014 में मोदी सरकार आने के बाद से ही कांग्रेस चुनावों में अपनी विफलता का ठीकरा ईवीएम मशीनों पर फोड़ती आई है। बैलेट पेपर से चुनाव कराने के लिए इस पार्टी ने चुनाव आयोग से कई बार मिन्नतें की, और तो और, ईवीएम को बदनाम करने के लिए इस पार्टी ने सुनियोजित तरीके से लंदन में हैकाथॉन तक आयोजित करवा दी। लेकिन अब इस पार्टी का पूरा काला चिट्ठा जनता के सामने आ गया है। दरभंगा से सांसद और नए-नए कांग्रेसी नेता कीर्ति झा आजाद के एक ताजातरीन बयान ने कांग्रेस के इवीएम के वीरोध के पीछे का सारा राज खोलकर रख दिया है।

क्रिकेट के मैदान से राजनीति का रुख करने वाले सांसद कीर्ति झा आजाद दरभंगा में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने दावा किया कि उन्होंने 1999 का लोकसभा चुनाव कांग्रेसी कार्यकर्ताओं द्वारा बूथ कैप्चरिंग की मदद से जीता था। कीर्ति आजाद ने बताया कि, कांग्रेस के लोग उनके दिवंगत पिता के लिए चुनाव के दौरान बूथ लूटा करते थे।

कांग्रेस सांसद कीर्ति आजाद ने कहा, ‘कांग्रेस परिवार के सदस्य बूथ लूटा करते थे बाबा (नरेंद्र झा) और डाक्टर साहेब (जग्गनाथ मिश्रा) के लिए। इसे आज मानने में कोई गड़बड़ी नहीं है। पिता जी के लिए और 1999 में हमारे लिए भी (बूथ) लूटा था क्योंकि उस समय इवीएम (इलेक्ट्रनिक वोटिंग मशीन) नहीं आयी थी।’ आजाद का कहना था कि उस समय बूथ लूटना मुमकिन था और उन्होंने इसी तरह 1999 का लोकसभा चुनाव भी जीता था पर आज ईवीएम के चलते बूथ कैप्चरिंग संभव नहीं है।

कांग्रेसी नेता किर्ती आजाद के चेहरे पर यह बयान देते समय गर्व और अफसोस दोनों ही भाव थे। गर्व इसलिए क्योंकि कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ता पार्टी के लिए बूथ लूटते थे जिससे पार्टी को चुनावों में जीत और सत्ता मिलती थी। साथ ही अफसोस इस बात का था कि, ईवीएम के आने के बाद अब बूथ कैप्चरिंग मुमकिन नहीं हैं। इस बात का उन्हें बड़ा मलाल है। कीर्ति ने कहा कि हमारा खाटी परिवार रहा है पुराना। इसका मतलब तो यह हुआ कि जो बूथ लूटे वही सच्चा कांग्रेसी है और उसी की पार्टी में बड़ी इज्जत होती है!

बता दें कि कीर्ती आजाद पूर्व कांग्रेसी नेता भागवत झा आजाद के बेटे हैं जो कि बिहार के आखिरी कांग्रेसी मुख्यमंत्री रहे थे। कांग्रेसी नेता के इस सनसनीखेज खुलासे के बाद इस बात को और बल मिल जाता है कि, आज के दौर में ईवीएम से चुनाव करवाना कितना जरूरी है।

गौरतलब है कि आजाद खुद दरभंगा से तीन बार सांसद रहे हैं। उन्होंने सोमवार को ही राहुल गांधी से मुलाकात कर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है। पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद का पुत्र होने के नाते कीर्ति झा के परिवार का कांग्रेस से पुराना नाता रहा है। उन्हें 2015 में बीजेपी से निलंबित कर दिया गया था। पिछले कुछ समय से उनके कांग्रेस पार्टी में शामिल होने की अटकलें चल रही थीं। कीर्ति आजाद पहले ही कह चुके थे कि वे संसद का बजट सत्र खत्म होते ही नई पारी का एलान कर देंगे। देश की सबसे पुरानी पार्टी में शामिल होने के बाद उन्होंने इसे घर वापसी बताया था।

कीर्ति के सनसनिखेज खुलासे के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधा है। भाजपा ने कहा कि अब कांग्रेस की पोल खुल रही है। बिहार भाजपा के अध्यक्ष नित्यानंद राय कीर्ति के बयान को लेकर मीडिया से कहा, “कीर्ति ने स्वीकार किया है कि बूथ कैप्चरिंग कांग्रेस संस्कृति का एक हिस्सा है। भाजपा के साथ रहते हुए कभी भी ऐसी चुनावी परंपराओं का सहारा नहीं लिया गया।”

वहीं बीजेपी विधायक संजय सरावगी ने कहा, ‘कांग्रेस और उनके समर्थित लोग हमेशा ईवीएम पर सवाल उठाते हैं। अब समझ में आ गया कि वह ईवीएम पर सवाल क्यूं उठाते हैं। कांग्रेस ने खुद खुलासा किया है कि वह बूथ छापते थे और ईवीएम जब से आया तब से निष्पक्ष चुनाव होने लगा। इसलिए कीर्ति आजाद ने कांग्रेस में आते ही सार्वजनिक तौर पर कहा कि ‘जब वह 1999 में कांग्रेस में थे तो बूथ छापते थे, कांग्रेस उनके लिए बूथ छापते थे। साथ ही यह भी कहा कि बड़े-बड़े नेताओं के लिए कांग्रेस में बूथ छाप कर चुनाव जीतते थे।’

विवाद जब बढ़ने लगा तो कीर्ति ने स्पष्टीकरण जारी किया। उन्होंने कहा, “मेरे कहने का मतलब यह नहीं था कि उनके पिता के लिए बूथ कैप्चर किए गए। जब मैंने बूथ लूट के बारे में बोला था, मैं उस समर्पण की बात कर रहा था जिसके साथ पार्टी कार्यकर्ता मेरे पिता के लिए बूथ प्रबंधन करते थे।” कीर्ति ने अपने इस स्पष्टीकरण में सफाई देने की कोशिश तो की लेकिन वे अपने कहे को बदल नहीं पाए। उधर बिहार विधान परिषद में कांग्रेस सदस्य प्रेमचंद मिश्र ने कीर्ति के बयान पर कहा कि उनके कहने का अभिप्राय यह था कि वे कांग्रेस की पृष्ठभूमि के ही हैं और पार्टी कार्यकर्ताओं के समर्थन से ही चुनाव लडे और जीते। उन्होंने कहा कि अपनी पुरानी पार्टी में वापस आने के उत्साह में कीर्ति ऐसा बोल गए। यह तो तय है कि, कीर्ति ने पुरानी पार्टी में वापस आने के उत्साह में ही यह सनसनीखेज खुलासा किया लेकिन उनके इस खुलासे ने अब कांग्रेस पार्टी की रातों की नींद उड़ा दी है।

कीर्ती के इस खुलासे ने कांग्रेस के ईवीएम विरोध की धज्जियां उड़ा कर रख दी है। कांग्रेस चुनावों के दौरान ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप लगाती रही है और मतदान के लिए मतपत्र की पुरानी व्यवस्था को फिर से लागू करने की मांग करती रही है। पार्टी ने अपने 84 वें महाधिवेशन के दौरान भी चुनाव आयोग से बैलेट पेपर से मतदान करवाने की मांग की थी।

कांग्रेस पार्टी यहीं नहीं रुकी, उसने ईवीएम को बदनाम करने के लिए लंदन में ईवीएम हैकाथॉन आयोजित करवा दिया था। इसी हैकाथॉन में एक कथित साइबर विशेषज्ञ ने 2014 आम चुनाव में ईवीएम को हैक करने का दावा किया था। इसके बाद देशभर में काफी विवाद भी हुआ। बाद में पता चला कि यह कार्यक्रम कांग्रेस द्वारा प्रायोजित था। कार्यक्रम का आयोजन ‘इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन’(आईजेए) ने किया था, जिसके अध्यक्ष आशीष रे खुद को प्रतिबद्ध कांग्रेसी कहते हैं।

इन सब घटनाओं से स्पष्ट है कि, कांग्रेस और बूथ कैप्चरिंग का पुराना नाता रहा है। ईवीएम के आने के बाद कांग्रेसी नेता बूथ कैप्चरिंग नहीं कर पा रहे हैं और यही कारण है कि यह पार्टी ईवीएम का विरोध कर रही है। कीर्ति के बयान के बाद अब इसमें कोई दो राय नहीं है।

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