ममता की तानाशाही, फिल्म के रिलीज के एक दिन बाद रोकी गयी स्क्रीनिंग

ममता बनर्जी अनिक दत्ता

ममता बनर्जी की एक और गंदी राजनीति सामने आई है। अभिव्यक्ति की आजादी को खत्म करने की बात कहने वाली ममता ने खुद ही इसपर हमला किया है। फिल्म निर्देशक अनिक दत्ता की फिल्म ‘भोविष्योतर भूत’ को 15 फरवरी को रिलीज़ हुई थी लेकिन इस फिल्म पर एक दिन बाद ही रोक लगा दी गयी। ये फिल्म एक राजनीतिक व्यंग्य है जिसमें लेफ्ट, राईट विंग और अन्य सभी दलों पर तंज कसता है। फिल्म के निर्देशक ने आरोप लगाया कि इस फिल्म को थिएटर में न दिखाया जाये इसके लिए थिएटर के मालिकों पर ऊपर से दबाव बनाया जा रहा है। ये फिल्म जब शुक्रवार को रिलीज़ हुई थी तब उसके शो हाउसफुल थे।

ऐसा लगता है कि फिल्म निर्देशक अनिक दत्ता की फिल्म ‘भोविष्योतर भूत’ में टीएमसी पर जो व्यंग्य कसा गया है वो ममता बनर्जी को रास नहीं आया। अब जो ममता दीदी को नहीं पसंद भला वो उन्हीं के शासित राज्य में कैसे ज्यादा देर टिक सकता है। फिल्म के प्रदर्शन पर ही रोक लगा दी गयी और इसके पीछे के क्या कारण हैं वो कोई भी खुलकर नहीं बोलना चाहता। हालांकि, कुछ लोग इस रोक के पीछे राजनीतिक कारण बता रहे हैं।

जब इस फिल्म पर लगी रोक को लेकर फिल्म के निर्देशक अनिक दत्ता से बात की गयी तो उन्होंने कहा, “तीन दिन पहले कुछ वर्गों से फिल्म के कंटेंट के बारे में कुछ सवाल पूछे गए थे, लेकिन मैंने उन्हें बताया कि फिल्म को सेंसर बोर्ड से मंजूरी मिल गई है इसलिए उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है।” उन्होंने कहा, “मेरे ख्याल से सिनेमाघरों के मालिकों पर कुछ धड़ों से किसी तरह का दबाव बनाया जा रहा है। सभी पहलुओं पर चर्चा करने के बाद हम उचित कार्रवाई करेंगे।” साल 2012 में अनिक दत्ता अपनी पहली फिल्म ‘भूतर भबिषत’के लिए काफी सराहना मिली थी। वहीं उनकी दूसरी फिल्म ‘भोविष्योतर भूत’ एक कॉमेडी है जो आज के राजनीतिक परिदृश्य को दर्शाता है। इस फिल्म को लेकर भी उन्हें काफी उम्मीदें थीं लेकिन ममता बनर्जी की गंदी राजनीति ने अब कला पर भी हमला शुरू कर दिया है। फिल्मकारों को ये समझ नहीं आ रहा कि फिल्म पर रोक क्यों लगायी गयी है जबकि इस फिल्म को सेंसर बोर्ड द्वारा मंजूरी मिल गयी है।

ये वही ममता बनर्जी हैं जिन्होंने संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत को लेकर देश भर में हो रहे विवाद के बीच स्वागत किया था। उस समय राज्य में इस फिल्म के खिलाफ खूब विरोध प्रदर्शन हुआ था। इस फिल्म पर राजपूत रानी पद्मावती को लेकर इतिहास से छेड़छाड़ करने का आरोप लगा था जबकि इस फिल्म के निर्माताओं ने इससे साफ़ इंकार किया था। उस विरोध के समय ममता ने पद्मावत फिल्म को लेकर हो रहे विरोध का अभिव्यक्ति की आजादी को खत्म करने के लिए ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ और ‘सुनियोजित’ प्रयास बताया था। यही नहीं फिल्म के प्रीमियर तथा रिलीज के लिए विशेष बंदोबस्त भी करने तक की बात कही थी। आज ममता बनर्जी ने राजनीतिक प्रतिशोध के तहत फिल्म के प्रदर्शन पर ही बैन लगा दिया है। अभिव्यक्ति की आजादी की बात करने वाली ममता वास्तव में इसे खत्म करने का प्रयास करती रही हैं। इसके कई और उदाहरण हैं। जैसे एक विशेष समुदाय को खुश करने लिए मोहर्रम पर दुर्गा मूर्ति विसर्जन पर रोक लगाना, सीबीआई अधिकारियों को जांच करने से रोकना, चुनाव प्रचार करने से अन्य दलों को रोकने का प्रयास जैसे तमाम उदाहरण हैं जो ममता के तानाशाही रवैये को दिखाता है। यही नहीं अब सिनेमा जगत भी इससे अछूता नहीं रहा है। वास्तव में ममता बनर्जी एक बार फिर से वही किया है जो वो हमेशा से करती आई हैं।

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