मूर्तियों के निर्माण पर खर्च किया गया जनता का पैसा लौटाएं मायावती : सुप्रीम कोर्ट

मायावती बसपा सुप्रीम कोर्ट

PC: Gaon Connection

लोकसभा चुनाव पास हैं और सभी राजनीतिक दल तैयारी में जुटे हैं लेकिन बहुजन समाज पार्टी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। एक तरफ स्मारक घोटाले में ईडी मायावती पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट से बसपा की मुखिया मायावती को इसी मामले में बड़ा झटका लगा है। शुक्रवार को कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मायावती ने अपने मुख्यमंत्री रहने के दौरान जो मूर्तियाँ और स्मारक बनवाए थे वो पैसे जनता के थे ऐसे में खर्च किया गया धन उन्हें लौटाना होगा।

साल 2009 में मायावती द्वारा लखनऊ और नोएडा में बनवाए गये स्मारक और मूर्तियों के खिलाफ एक वकील ने याचिका दायर की गयी थी। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मायावती को मूर्तियां और स्मारक के लिए खर्च की गयी राशि को लौटाने का आदेश दिया है। फिलहाल इस मामले की सुनवाई को 2 अप्रैल तक के लिए टाल दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, ‘प्रथम दृष्टया तो बसपा प्रमुख को मूर्तियों पर खर्च किया गया जनता का पैसा लौटाना होगा। उन्हें ये पैसा वापस लौटाना चाहिए।’ कोर्ट ने जब इसपर फैसला सुनाया तो मायावती के वकील ने इसपर सुनवाई के लिए मई तक का समय मांगा लेकिन कोर्ट ने सुनवाई 2 अप्रैल तक के लिए टाल दिया।

बता दें कि मायावती जब उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं (साल 2007 से 2011) उन्होंने यूपी के कई शहरों में हाथी और अपनी मूर्तियां बनवाई थीं। इस दौरान बसपा सुप्रीमों ने कांशीराम और बाबा साहेब आंबेडकर की भी मूर्तियां अपने कार्यालय में लगवाई थीं। उन्होंने लखनऊ और नोएडा में भी दो बड़े पार्क बनवाए थे इसमें हाथी और अपनी मुर्तियों के अलावा बसपा के संस्थापक कांशीराम की मूर्तियां बनवाई थीं। इनमें पत्थर और कांसे मूर्तियों पर 685 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। बसपा सुप्रीमों मायावती के कार्यकाल के दौरान लखनऊ और नोएडा में स्मारक निर्माण में करीब 1400 करोड़ रुपये का घोटाले का जब भंडाफोड़ हुआ तो ईडी ने मायावती पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। हाल ही में स्मारक घोटाले मामले में ईडी ने लखनऊ में 6 ठिकानों पर छापेमारी भी की थी।

बतातें चलें कि सतर्कता अधिष्ठान ने 1400 करोड़ के स्मारक घोटाले की शुरूआती जांच की थी। इसके बाद आगे की जांच के लिए विजिलेंस ने 7 इंस्पेक्टर की एक एसआईटी का गठन किया गया था। विजिलेंस द्वारा जांच की पूरी रिपोर्ट मिलने के बाद ही ईडी ने कार्रवाई शुरू की।  ये मामला काफी समय से ठंडे बसते में था लेकिन योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद बंद पड़े मामलों को एक सिरे से खोला गया। सभी अपराधियों और भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई शुरू की जा चुकी है। इससे पहले इस मामले की जांच में बसपा कार्यकाल में मंत्री रहे दो कद्दावर नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा समेत तीन दर्जन से अधिक इंजीनियरों और अन्य विभागों के अफसरों का नाम आना तय माना जा रहा है।

पहले ही ईडी के छापेमारी से मायावती परेशान थीं लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एक और बड़ा झटका दे दिया है। ऐसा न होता अगर मायावती ने अपने शासनकाल में जनता के पैसों का दुरुपयोग न किया होता। देर से ही सही घोटाले के जांच की आंच तो अब बसपा सुप्रीमों पर पड़नी तय है।

ऐसे में मायावती के लिए लोकसभा चुनाव से पहले ये बड़ा झटका है। जानबूझकर आम जनता को अपने शासनकाल में किये घोटालों को छुपाने का प्रयास करने वाली बसपा सुप्रीमों के प्रयासों पर भी पानी फिर गया है। इसका असर आगामी लोकसभा चुनाव पर पड़ना तय है।

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