मुंबई सीरीयल ब्लास्ट के दो मोस्ट वांटेड आरोपियों को भारतीय एजेंसियों ने दुबई में धर दबोचा

मुंबई अबू बकर फ़िरोज़

PC: Aajtak.

भारतीय एजेंसियों को 1993 के मुम्बई में हुए सीरियल ब्लास्ट मामले में बड़ी कमायाबी मिली है। भारतीय एजेंसियों ने इस मामले में दो मोस्ट वांटेड आतंकियों को गिरफ्तार किया है। इन दोनों को सुरक्षा एजेंसियां ने दुबई से गिरफ्तार किया गया है। इनमें से एक की पहचान अबू बकर और दूसरे की पहचान फ़िरोज़ के तौर पर हुई है । अबू बकर पाक अधिकृत कश्मीर में ट्रेनिंग, आरडीएक्स लाने और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के साथ मुंबई हमले की साजिश में शामिल था।

सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, अबू बकर मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक था। वो पाकिस्तान और यूएई में रह रहा था जिसे खुफिया इनपुट के आधार पर पकड़ा गया है। अब सुरक्षा एजेंसियां दोनों मोस्ट वांटेड के प्रत्यर्पण के लिए कोशिशों में जुट गयी हैं।

मोस्ट वांटेड अबू बकर का पूरा नाम अबू बकर अब्दुल गफूर शेख है। ये मुहम्मद और मुस्तफा दौसा के साथ स्मगलिंग में भी शामिल था। अबू बकर ने सोना, कपड़े और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की खाड़ी देशों से मुंबई और आस-पास के लैंडिग प्वाइंट में स्मगलिंग कर आपूर्ति की थी। साल 1997 में बकर के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी हुआ था जिसके बाद से ही भारतीय एजेंसियां उसकी तलाश में जुट गयी थीं। सालों बाद सुरक्षा एजेंसियों को इस मामले में बड़ी सफलता हासिल हुई है।

सीबीआई के मुताबिक, अबू बकर के साथ मुंबई ब्लास्ट में दूसरा आरोपी फ़िरोज़ है। फ़िरोज़ रिटायर्ड नेवी अवसर का बेटा है जो 1993 में हुए मुंबई ब्लास्ट के बाद कथित तौर पर मध्य पूर्व में भाग गया था, लेकिन 2005 में एक फर्जी पासपोर्ट पर भारत वापस आ गया था। इसके बाद वो वापस खाड़ी देश भाग गया था। पुलिस ने दावा किया था कि फ़िरोज़ ने मध्य पूर्व और नवी मुंबई के बीच कई यात्राएं की। इसी बीच 3 फरवरी 2010 को जब वो ओमान में था तब पुलिस को उसकी असली पहचान के बारे में पता चला था। फ़िरोज़ के खिलाफ पुलिस के पास कई पुख्ता सबूत भी हैं।

पुलिस के पास मौजूद सबूतों के अनुसार, बेरोजगार फ़िरोज़ अबू बकर से 1989 में मिला था। दोनों आरोपियों पर मुंबई के लेमिंगटन रोड पर टीवी सेट, रेफ्रिजरेटर, वीसीआर जैसे तस्करी का सामान खरीदने और दुकानों पर बेचने का आरोप है।

अपने एक कॉन्फेशन में फ़िरोज़ ने कहा भी है कि वो कराची में 1996-97 और 1999 में दाऊद इब्राहिम से मिला था। वो साल 2005 में भारत वापस आया और अपनी पहचान को छुपाया था। फिलहाल, फिरोज सुरक्षा एजेंसियों के गिरफ्त में है और अबू बकर के साथ उसकी प्रत्यर्पण की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। भारत सरकार देश के दुश्मनों को पकड़ने के लिए कोशिशें कर रही है। यही वजह है कि एक के बाद एक सुरक्षा एजेंसियों को कामयाबी मिल रही है।

बता दें कि मुंबई में 12 मार्च 1993 में कई जगहों पर एक के बाद एक बम ब्लास्ट हुए थे जिसमें 257 लोग मारे गये थे जबकि 713 लोग घायल हुए थे। महज दो घंटे में कुल 13 बम धमाके हुए थे जोकि बॉम्बे स्टॉक एक्चेंज, नरसी नाथ स्ट्रीट, शिव सेना भवन, सेंचुरी बाजार, माहिम, झावेरी बाजार, सी रॉक होटल, प्लाजा सिनेमा, जूहू सेंटूर होटल, सहार हवाई अड्डा और एयरपोर्ट सेंटूर होटल के आस-पास हुए थे। इस धमाके में 27 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ था।

इसके बाद इस मामले में पुलिस ने 4 नवंबर 1993 को 10000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल थी जिसमें 189 लोगों को आरोपी थे। इस बम धमाके का मुख्य आरोपी दाऊद इब्राहिम है लेकिन अभी तक वो कानून के शिकंजे से दूर है। साल 2006 में मुंबई की अदालत ने दाऊद के अलावा टाईगर मेमन, याकूब मेमन, यूसुफ मेमन को मामले में आरोपी पाया था। इसमें से एक दोषी मुस्तफा दौसा की साल 2017 में मुंबई के एक अस्पताल में मौत हो चुकी है जबकि याकूब मेमन को फांसी हो चुकी है। इस मामले में अब अबू बकर और फ़िरोज़ की गिरफ्तार सुरक्षा एजेंदीयों के लिए एक बड़ी कामयाबी है।

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