हमारे देश के न जाने कितने ही जवानों ने देश की रक्षा के लिए बलिदान दिया है लेकिन उन्हें वो सम्मान आजादी के 72 सालों बाद भी नहीं मिल सका। अब भारत सरकार ने देश के लिए त्याग और तप करने वाले हमारे शहीदों के लिए राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) का निर्माण किया है। इस स्मारक का आज प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन करेंगे। ये राष्ट्रीय युद्ध स्मारक इंडिया गेट के पास बना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को दिल्ली में पत्थर में बने स्तंभ के नीचे ज्योति प्रज्जवलित कर 40 एकड़ में फैले युद्ध स्मारक को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इस दौरान रक्षा मंत्री, सेना, नौसेना और वायु सेना के प्रमुख समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहेंगे। यही नहीं पीएम मोदी देश के सैनिकों को भी संबोधित करेंगे।
ये स्मारक उन शहीदों को श्रद्धांजलि देता है जिन्होंने आजादी के बाद 1947-48, 1962 में भारत-चीन से युद्ध, 1965 में भारत-पाक युद्ध, 1971 में बांग्लादेश निर्माण, 1999 में कारगिल और अन्य ऑपरेशन में देश के लिए बड़ा बलिदान दिया था। इस स्मारक के जरिये श्रद्धांजलि उन जवानों को जिन्होंने अपनी जान पर खेलकर भी देश की एकता और अखंडता को बनाए रखा। इसमें तीनों सेनाओं के जवान को श्रद्धांजलि दी गई है। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस स्मारक को बनाने में कुल लागत 176 करोड़ रुपए आये हैं और इसकी डिजाइन एक वैश्विक प्रतिस्पर्धा के माध्यम से चुनी गयी है। यही नहीं स्मारक में पत्थरों आजादी के बाद शहीद हुए 25,942 भारतीय सैनिकों के नाम लिखे गये हैं। इस स्मारक निर्माण की स्वीकृति पीएम मोदी ने साल 2015 में दी थी और बहुत ही कम समय में इसे पूरा भी कर लिया गया है। इस स्मारक का निर्माण पूरा होने के साथ ही पीएम मोदी का वो वादा भी पूरा हो गया है जो उन्होंने साल 2014 के आम चुनाव में की थी। उस समय पीएम मोदी ने कहा था कि ‘मुझे आश्चर्य होता है और पीड़ा भी होती है कि हमारे देश में कोई राष्ट्रीय युद्ध स्मारक नहीं है जहां राष्ट्र सुरक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीर जवानों की शौर्य-गाथाओं को संजो कर रखा जा सके। मैंने निश्चय किया है कि एक ऐसा स्मारक देश में एक ऐसा स्मारक जरुर होना चाहिए।’
स्मारक की ख़ास बात ये है कि इस स्मारक को चक्रव्यूह की संरचना से प्रेरणा लेते हुए बनाया गया है जिनमें 4 वृत्ताकार परिसर होंगे और एक ऊंचा स्मृति स्तंभ भी होगा जिसके तले में अखंड ज्योति दीप्तमान रहेगी। दरअसल, छह भुजाओं (हेक्सागोन) वाले आकार में बने मेमोरियल के केंद्र में 15 मीटर ऊंचा स्मारक स्तंभ बना है जो चार चक्रों (अमर चक्र, वीरता चक्र, त्याग चक्र, रक्षक चक्र) के रूप में है और प्रत्येक चक्र सशस्त्र बलों के विभिन्न मूल्यों को दर्शाता है। सशस्त्र बलों के भविष्य के समारोहों के लिए भी स्मारक जगह के रूप में काम करेगा। आर्टिफिशियल लाइटिंग और वॉकिंग प्लाजा है। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक परिसर में प्रवेश सभी के लिए नि: शुल्क है। मुख्य क्षेत्र और परम योदा स्टाल में समय की पाबंदी होगी। यही नहीं हर शाम रिट्रीट सेरेमनी भी हुआ करेगी।
बता दें कि पहली बार 1960 में नेशनल वॉर मेमोरियल बनाने का प्रस्ताव सेना की ओर से दिया गया था लेकिन किसी भी सरकार ने इसकी सुध नहीं ली है। इस स्मारक को बनाने की मांग उठती रही है। यहां तक कि कन्फेडरेशन ऑफ एनसीआर रेजिडेंट्स एसोसिएशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी इसकी मांग की थी। फिर भी किसी भी सरकार ने इस मांग को पूरा नहीं किया। साल 2015 में इसे प्रधानमंत्री मोदी द्वारा न सिर्फ स्वीकृति मिली बल्कि बा ये बनकर भी तैयार हो गया है। सालों बाद देश के लिए अपनी जान न्योछावर करने वाले शहीदों को बड़ा सम्मान मिला है जो उन्हें बहुत पहले ही मिल जाना चाहिए था।