जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए फिदायिन हमले में चौंकाने वाला खुलासा हो रहा है। जानकारी के मुताबिक, इस आतंकी हमले में आरडीएक्स का इस्तेमाल नहीं किया गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि, इस आतंकी हमले में कीलें, लोहे के टुकड़े और उद्योगों में इस्तेमाल होने वाली सामग्री का इस्तेमाल किया गया था। इन वस्तुओं से इस तरह का हथियार बनाया गया था जिससे ज्यादा से ज्यादा नुकसान हो सके। घटनास्थन के निरीक्षण के बाद यह बात सामने आ रही है।
जिस तरह की सामग्री और केमिकल्स का उपयोग हमले में हुआ, उसे इसलिए नहीं पकड़ा जा सका क्योंकि इस सामग्री का उपयोग सामान्यतया उद्योगों और खेती के कामों में किया जाता है। अगर विस्फोटक सामग्री में आरडीएक्स होता तो वह नाके पर रोककर व चेकिंग के दौरान पुलिस द्वारा पकड़ लिया जाता। बताया जा रहा है कि आतंकी हमले में 200 किलो से ज्यादा की विस्फोटक सामग्री का उपयोग किया गया था। अगर इस सामग्री में आरडीएक्स होता तो इसके पकड़े जाने की पूरी-पूरी संभावना थी। यही कारण है कि आतंकियों ने हमले के लिए सामन्य केमिकल्स का सहारा लिया।
इस सामग्री को आतंकियों ने बाजार से धीरे-धीरे खरीदकर इकट्ठा किया होगा। एक अधिकारी के अनुसार, आतंकियों द्वारा इस्तेमाल की गई यह सामग्री कश्मीर, हरियाणा और पंजाब के डीलर्स से उपलब्ध हो जाती हैं।
फिदायिन हमले में हमलावर की लाश पर हुए असर और घटनास्थल पर बिखरी सामग्री के प्रारंभिक परीक्षण के बाद इस तरह की बात निकलकर सामने आई है। जी न्यूज की एक खबर के अनुसार एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया है कि, इसमें कोई संशय नहीं है कि, हमले में आरडीएक्स का इस्तेमाल नहीं किया गया था। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा हालांकि अभी लगातार परीक्षण किये जा रहे हैं।
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए इस हमले में आतंकियों ने बेहद कायराना तरीके से विस्फोटक से भरी गाड़ी को सेना के वाहन पर दे मारा था। इस हमले में इस्तेमाल किया गया विस्फोटक इतना शक्तिशाली था कि उसकी आवाज 10-12 किलोमीटर दूर तक सुनाई दी थी। यहां तक कि पुलवामा से जुड़े श्रीनगर के कुछ इलाकों तक भी यह धमाका सुनाई दिया। तबाही का ऐसा खौफनाक मंजर देख स्थानीय निवासियों का दिल दहल गया था।
गौरतलब है कि, पिछले कई दिन से जम्मू-कश्मीर हाईवे पर गाड़ियों की आवाजाही बंद थी। बड़ी संख्या में सेना और सीआरपीएफ के जवान कश्मीर जाने के लिए रास्ता खुलने का इतंजार कर रहे थे। गुरुवार को जैसे ही रास्ता खुला वैसे ही सीआरपीएफ की गाड़ियों का काफिला जम्मू से रवाना हो गया। काफिले के साथ-साथ ही आम गाड़ियां भी आ-जा रही थीं। इसी बीच में हमलावर ने अपनी गाड़ी भी शामिल कर दी। आतंकी ने हमले के लिए शुरुआत की 3-4 गाड़ियों के बाद की गाड़ियों को चुना गया ताकी सीआरपीएफ के काफिले के आगे चलने वाली क्विक रिएक्शन टीम की कम जवानों वाली गाड़ियों के बजाए ज्यादा जवानों वाली गाड़ियों को निशाना बनाया जा सके। इस भीषण फिदायिन हमले में कुल 44 जवान शहिद हुए हैं। इनमें से 12 जवान तो उत्तरप्रदेश के ही हैं। शहीद जवानों में बिहार के दो और राजस्थान के तीन सपूत शामिल हैं।
आतंकियों ने जिस तरह से इस हमले में आरडीएक्स की बजाए कीलें, लोहे के टुकड़े और उद्योगों में शामिल होने वाली सामग्री का उपयोग किया है, उससे सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है। यह अब सुरक्षाबलों के सामने एक नई चुनौती बनकर उभरा है।