शिक्षक पसोपेश में हैं। स्टूडेंट्स कंफ्यूज हो रहे हैं। पिछली क्लास में जो पढ़ाया गया था, नई किताबों में ठीक उसके उल्टी बात बताई जाएगी। शिक्षा व्यवस्था के साथ यह भद्दा मजाक राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में हो रहा है। इन तीनों राज्यों में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस पार्टी सत्ता में आई है।
यह इस देश और यहां के बच्चों का दुर्भाग्य ही है कि यहां की किताबों में वह छपता है जो सरकारें चाहती हैं। पाठ्यपुस्तकों में सबसे ज्यादा छेड़छाड़ इतिहास के साथ की गई है। सत्ता में रही सरकारों ने हर बार अपने मनचाहे ढंग से पाठ्यपुस्तकों के साथ छेड़छाड़ की और अपने मनमाने ढंग से पाठ्यपुस्तकों में इतिहास परोसा। देश में सालों तक कांग्रेस का राज रहा और इस दौरान इस पार्टी ने अपनी विचारधारा के हिसाब से पाठ्यपुस्तकों में इतिहास पढ़ाया। यही कारण था कि आक्रमणकारी होने के बावजूद भी पाठ्यपुस्तकें मुगलों और उनके शासन के महिमामंडन से भरी पड़ी हैं और भारत को विश्वगुरू बनाने वाली वैदिक संस्कृति कहीं नजर नहीं आती। कांग्रेस पार्टी का अपने मनमाने ढंग से पाठ्य सामग्री बदलने का सिललिला आज भी चल रहा है। बीजेपी सरकार ने अपने सत्ता में रहते पाठ्यपुस्तकों में कुछ सुधार किया था लेकिन यह अब कांग्रेस को रास नहीं आ रहा है। यही कारण हैं कि इन तीनों राज्यों की नवनिर्वाचित सरकारें स्कूली किताबों में वापस से मुगल महिमामंडन करने की ओर अग्रसर है और जो भी तथ्य हिंदुत्व विचारधारा के समर्थन में हैं उन्हें चुन-चुन कर हटाने में लगी हैं। तीनों ही राज्यों की सरकारें धीरे-धीरे इस दिशा में प्रयास कर रही हैं।
भूपेश बघेल शासित छत्तीसगढ़ इस मामले में सबसे तेज गति से काम कर रहा है। बघेल ने अपने शिक्षामंत्री प्रेमसाई सिंह टीकम से बिल्कुल साफ शब्दों में कह दिया है कि, जल्द से जल्द उन पाठ्यपुस्तकों से छुटकारा दिलाया जाए जिसमें हिंदुत्व से जुड़े टॉपिक का उल्लेख है या हिंदूवादी दृष्टिकोण से लिखा गया है। फर्स्टपोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीबीसी वर्ल्ड सर्विस से जुड़े पूर्व पत्रकार और मुख्यमंत्री बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री एक समीति बना रहे हैं। उनके अनुसार यह समिति टेक्स्टबुक, सिलेबस और कुरिकुलम का पुनरावलोकन व समीक्षा करेगी। रिपोर्ट के अनुसार वर्मा का कहना है कि, रमन सिंह सरकार में पाठ्यपुस्तकों का भगवाकरण हुआ, साथ ही 15 सालों के शासन में स्कूली कुरिकुलम में कईं बड़ी गलती और विसंगतियां पैदा हो गई हैं।
विद्या भारती के स्कूल्स हैं निशाने पर
भूपेश बघेल और उनके शिक्षा मंत्री विनोद वर्मा के अनुसार उनके लिए सबसे बड़ी परेशानी आरएसएस के सांगिक संगठन विद्या भारती के स्कूल्स हैं। उनका कहना है कि यहां मामला बड़ा पेचीदा है क्योंकि विद्या भारती के निजी स्कूलों का अपना निजी कुरिकुलम (पाठ्यचर्या) है। इनका कहना है कि इस पेचीदा मामले से निपटने के लिए कोई तरीका ढूंढ़ना होगा। यह बताता है कि विद्या भारती के स्कूल्स कांग्रेस के निशाने पर हैं। बता दें कि, विद्या भारती का कुरिकुलम भी राज्य सरकार के कुरिकुलम जैसा ही होता है। फ़र्क सिर्फ इतना है कि वहां नैतिक शिक्षा, संस्कृति ज्ञान और वैदिक गणित जैसे अतिरिक्त विषय भी पढ़ाए जाते हैं। कांग्रेस को शायद इन्हीं विषयों से सबसे ज्यादा तकलीफ है। ऐसा लगता है कि वह नहीं चाहती कि बच्चे भारतीय संस्कृति को जानें।
राजस्थान में गांधी-नेहरू की भूमिका बढ़ाने पर जोर
उधर राजस्थान में कांग्रेस सरकार पाठ्यपुस्तकों को गांधी-नेहरू के महिमामंडन से भर रही है। राजस्थान के नये स्कूल शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कह दिया है कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा पाठ्यपुस्तकों व अन्य संदर्भ सामग्री में किए गए बदलावों की समीक्षा की जाएगी। डोटासरा ने बताया कि राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (एसआइईआरटी) पाठ्यचर्या (कुरिकुलम) का पुनर्संयोजन (रि-स्ट्रक्चरिंग) कर रहा है और पाठ्यपुस्तकों का पुनरावलोकन इसी का हिस्सा है। उन्होंने कहा है कि महात्मा गांधी व जवाहरलाल नेहरू जैसी राष्ट्रीय विभूतियों की भूमिका को पाठ्यपुस्तकों में पर्याप्त जगह मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार उन पाठ्यपुस्तकों व अन्य संदर्भ सामग्री की समीक्षा करेगी जिनमें गत भाजपा सरकार ने बदलाव किए थे।’’ बता दें कि, डोटासरा ने अपने मंत्रालय का कार्यभार संभालते ही अधिकारियों को निर्देश दे दिया था कि पाठ्यपुस्तकों में संशोधन पर एक स्थिति रपट तैयार की जाए। बता दें कि राजस्थान में बीजेपी सरकार ने महाराणा प्रताप जैसे राजस्थानी इतिहास के वीर योद्दाओं को पाठ्यपुस्तकों में उचित स्थान दिलाने का काम किया था। कांग्रेस सरकार आने के बाद उम्मीद की जा रही है कि बीजेपी द्वारा किये गए संसोधनों को हटाया जाएगा और फिर से राजस्थान के बच्चों को अकबर महान वाले अध्याय पढ़ने पड़ेंगे।
अब मध्यप्रदेश की बात करें तो वहां के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्य के मुख्य सचिव एस आर मोहंती से पाठ्यपुस्तकों और पाठ्यक्रम के पुनरावलोकन की ‘बुनियाद’ तैयार करने की बात कही है। उन्होंने नए सत्र से पाठ्यपुस्तकों में बदलाव को लागू करने की बात कही है। हालांकि, राज्य में कांग्रेस की नाजुक हालात को देखते हुए कमलनाथ आम चुनाव तक इस मामले में कोई जल्दीबाजी नहीं करना चाहते। राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी ने कहा है कि मामले में सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहा, “स्कूली पाठ्यचर्या में कुछ बड़ी विसंगतियां पैदा हो गई हैं और इन्हें सुधारने की जरूरत है।” स्कूली शिक्षा मंत्री द्वारा जिस विसंगति की बात की जा रही हैं शायद वह पाठ्यक्रम में भारतीय संस्कृति से जुड़े टॉपिक्स ही हैं।
प्रसिद्ध शिक्षाविद् अनिल सदगोपाल का कहना है कि, पाठ्यपुस्तकों में बार-बार बदलाव से स्टूडेंट्स बहुत परेशान होते हैं और असमंजस में पड़ते हैं। प्रोफेसर सदगोपाल केंद्र सरकार के सेंट्रल एडवायजरी बोर्ड ऑफ एजुकेशन के सदस्य रह चुके हैं। इन तीनों राज्यों के स्टूडेंट्स और टीचर्स के सामने अब यही बड़ी समस्या आने वाली हैं कि वे किस तथ्य को सही माने और किसे गलत। टीचर्स का कहना है कि पुरानी पाठ्यपुस्तक में जो बात कही गई थी, ठीक उसके उलट बात नई पाठ्यपुस्तक में बताई जाएगी। इससे टीचर्स को तो पाठ्यपुस्तकों में हुए बदलावों को समझा पाने में परेशानी का सामना करना ही पड़ता हैं स्टूडेंट्स भी कंफ्यूज हो जाते हैं। लेकिन टीचर्स और स्टूडेंट्स की इस परेशानी से कांग्रेस को कोई फ़र्क नहीं पड़ता। उसे तो किसी भी तरह उसकी विचारधारा को थोपना है जो कि बेहद निंदनीय है।