अबू धाबी की अदालतों में अब हिंदी भाषा में भी अधिकारिक फैसले लिए जायेंगे। यहां की अदालत में अब अरबी और अंग्रेजी के बाद हिंदी भाषा को भी अधिकारिक दर्जा मिल गया है। ये फैसला यहां न्याय का दायरा बढ़ाने के लिए किया है। शनिवार को अबू धाबी न्याय विभाग (एडीजेडी) ने कहा कि कामगारों से जुड़े मामलों में हमने अरबी और अंग्रेजी के अलावा हिंदी भाषा को भी शामिल करके अदालतों के समक्ष दावों के बयान के लिए भाषा के माध्यम का विस्तार कर दिया है। ये एक ऐतिहासिक फैसला है जिसका मतलब ये भी है कि एक मुस्लिम देश में हिंदी भाषा मान्यता मिल गयी है। इस फैसले से न सिर्फ यहां न्याय का दायरा बढ़ेगा बल्कि वहां रह रहे भारतीय नागरिकों के लिए भी अदालती कार्रवाई में आसानी होगी। इससे उन्हें मुकदमे की प्रक्रिया, अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में सीखने में मदद मिलेगी। अबू धाबी विभाग ने स्पष्ट शब्दों में कहा,‘हमारा लक्ष्य हिंदी भाषियों को मुकदमों की प्रक्रिया सीखने में मदद करना है। इसके साथ ही उन्हें अपने अधिकारों और कर्तव्यों को भाषाई अड़चनों के बिना समझना आसान होगा। भारत के बाहर हिंदी भाषा का विस्तार हो रहा है वहीं देश में शशि थरूर जैसे बड़े नेता हिंदी भाषा पर सवाल उठाने से नहीं चूकते हैं।
यही नहीं यूएई जैसे मुस्लिम देश में पहला हिंदू मंदिर भी बनाया जा रहा है और 2020 तक ये तैयार हो जाएगा। पीएम मोदी द्वारा अबू धाबी में हिंदु मंदिर के शिलान्यास के बाद अब हिंदी भाषा को यहां अधिकारिक दर्जा मिलना भारतीय लोगों के बढ़ते महत्व को दर्शाता है। अधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की कुल आबादी 90 लाख है और भारतीयों की संख्या 26 लाख और ये देश की कुल आबादी का 30% है। यही नहीं ये देश का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय भी है। हिंदी भाषा को अधिकारिक दर्जा मिलने पर अबू धाबी न्यायिक विभाग के अंडर सेक्रेटरी यूसुफ सईद अल ने कहा कि कई भाषाओं में याचिका और अपीलों को स्वीकार करने का मकसद वर्ष 2021 की भविष्य की योजना को देखते हुए न्याय व्यवस्था को प्रसारित करना है। इससे न्याय व्यवस्था और अधिक पारदर्शी बनेगी। यही नहीं हिंदी बोले वाले लोगों को अबू धाबी न्यायिक विभाग की अधिकारिक वेबसाईट के जरिये रजिस्ट्रेशन की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी। ऐसे में यूएई में रह रहे करीब 26 लाख भारतीयों के लिए अदालती कार्रवाई समझना आसान हो जायेगा। यूएई में जिस तरह से भारतीय नागरिकों का प्रभाव बढ़ रहा है उस हिसाब ये ऐतिहासिक फैसला सराहनीय है।
बता दें कि यूएई रहने वाले भारतीय बड़े व्यापारिक साझेदारों में से भी एक है। कच्चे तेल और ऊर्जा के क्षेत्र में यूएई भारत का महत्वपूर्ण सहयोगी है। पीएम मोदी अपनी विदेश नीति को मजबूत करने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अबूधाबी की साल 2015 में की गई यात्रा के दौरान संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी में मंदिर निर्माण की योजना को अपनी मंजूरी देना और फिर पीएम मोदी द्वारा ही मंदिर का शिलान्यास करना दोनों देशों के बीच के संबंधों की मजबूती को दर्शाता है। अब हिंदी भाषा को यहां न्यायिक व्यवस्था में अधिकारिक दर्जा मिलना भी वहां रह रहे भारतीयों के बढ़ रहे प्रभुत्व को दर्शाता है।
गौरतलब है कि पीएम मोदी के दौरे के बाद से यूएई और भारत का रिश्ता और मजबूत हुआ है। ये हम यूं ही नहीं कह रहे कुछ समय पहले जब देश में तेल की बढती कीमतों को लेकर हाहाकार मचा था। पीएम मोदी की यात्रा के बाद यूएई ने भारत आश्वस्त किया कि अब भारत को तेल आपूर्ति को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। यही वजह है कि देश में तेल के बढ़ते दामों से भारत को राहत मिली और आम जनता के चेहरे पर मुस्कराहट लौटी। यही नहीं पीएम मोदी के दौरे के बाद सऊदी अरब में भारतीयों के प्रति वहां के लोगों का नजरिया बदला है। सऊदी अरब में भारतीयों के लिए न सिर्फ सम्मान बढ़ा है बल्कि वो पीएम मोदी के भी मुरीद हुए हैं। इसके साथ ही भारतीय दूतावास की भी कायाकल्प हुई है। पहले वहां के लोग भारतीयों को घृणा की नजर से देखते थे लेकिन पीएम मोदी के दौरे के बाद से ये नजरिया बदल गया है। वहां अब हिंदी भाषा को भी महत्व देना इससे साफ़ दर्शाता है।