संडे गार्डियन की एक सनसनीखेज रिपोर्ट के अनुसार, यूपीए सरकार ने 2012 में आकस्मिक तख्तापलट की कोरी अफवाहें फैलाईं थी। अप्रैल 2012 में सेना द्वारा तख्तापलट की कोशिश की जो खबर अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी थी, वह उस समय की केंद्र सरकार द्वारा प्लांट करवाई गई थी। समाचार वेबसाइट ‘द संडे गार्डियन’ में यह दावा किया गया है। गार्डियन ने खूफिया एजेंसी के एक सूत्र के हवाले से यह रिपोर्ट छापी है। गार्डियन की इस रिपोर्ट के बाद बीजेपी ने राहुल गांधी से सवाल पूछे हैं। भाजपा का आरोप है कि इस साजिश के पीछे यूपीए सरकार के 4 बड़े मंत्रियों का हाथ था।
गार्डियन की रिपोर्ट में बताया गया है कि, उस समय सेना द्वारा तख्तापलट की कोशिश की खबर को इंटेलिजेंस ब्यूरो ने सिरे से नकार दिया था। इस बात की जानकारी इंटेलिजेंस ब्यूरो ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी दे दी थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि इसके बावजूद भी इस काल्पनिक कहानी को कुछ लोगों ने मीडिया में लीक कर दिया।
रिपोर्ट के अनुसार, इसके पीछे दो उद्देश्य थे। पहला तो जनरल वीके सिंह को बदनाम करना था, क्योंकि उस समय उनका रक्षा मंत्रालय के साथ उम्र विवाद चल रहा था। दूसरा यह कि उस समय यूपीए सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर रही थी और कांग्रेस की विश्वसनीयता सबसे निम्न स्तर पर थी। ऐसे में यूपीए सरकार ने देश की जनता का ध्यान भटकाने के लिए तख्तापलट की अफवाह को आगे बढ़ाया, ऐसा रिपोर्ट में दावा किया गया है।
तख्तापलट की पहली रिपोर्ट 4 अप्रैल, 2012 को इंडियन एक्सप्रेस में सामने आई थी। इंडियन एक्सप्रेस के प्रधान संपादक शेखर गुप्ता द्वारा लिखे गए इस आर्टिकल ने सबको चौंका दिया था। उसके बाद यह खबर सभी मीडिया हाउसेज ने प्रकाशित की थी।
गुप्ता की इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि, जनवरी में दो “बड़ी सेना इकाइयां” रायसीना हिल्स की ओर बढ़ गई थीं। इस रिपोर्ट ने आगे दावा किया कि, “इस दौरान सेना की एक बड़ी इकाई द्वारा आंदोलन की पुष्टि हुई थी। यह मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री की एक पूरी इकाई के रूप में दिख रहा था, इसमें रूसी-निर्मित आर्म्ड फाइटिंग व्हीकल्स (एएफवी) के साथ, 48 टैंक ट्रांसपोर्टर्स भी थे। आंदोलन राजधानी की ओर था।” इस काल्पनिक कहानी ने आगे दावा किया कि ‘तख्तापलट के इस प्रयास’ में आगरा स्थित 50 पैरा ब्रिगेड की एक बड़ी इकाई शामिल थी।”
इसके अलावा, इस कहानी में दावा किया गया कि दिल्ली में जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर जानबूझकर ट्रैफिक जाम करने जैसे उपचारात्मक कदम उठाए गए ताकी सेना की आवाजाही को धीमा किया जा सके। यह भी दावा किया गया कि रक्षा सचिव को अपनी विदेश यात्रा को कम करने के लिए कहा गया था।
अब नए खुलासे के बाद, ऐसा लगता है कि यह रिपोर्ट एक प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान द्वारा बेहद सुनियोजित तरीके से की गई सरकारी पीआर थी। गार्डियन की रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि एक लचर सरकार ने जानबूझकर भारतीय सेना को निशाना बनाने के लिए फर्जी खबरें फैलाईं, एक ईमानदार जनरल को बदनाम किया और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया। संडे गार्डियन की रिपोर्ट का दावा है कि काल्पनिक तख्तापलट वाली इस कहानी को ‘एक व्यक्ति द्वारा’ लीक किया गया था ‘जिसने अपने करियर में बाद में एक शीर्ष संवैधानिक पद पर कब्जा कर लिया था।’
यूपीए द्वारा अपनी सत्ता बचाने के लिए किये गए प्रयास हालांकि विफल रहे। न तो इसने जनरल वीके सिंह की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया, और न ही इससे जनता के बीच यूपीए के खिलाफ गुस्सा कम हुआ। जिस उद्देश्य के लिए काल्पनिक तख्तापलट की कहानी बनाई गई थी, वह उद्देश्य प्राप्त करने में कांग्रेस बिल्कुल विफल रही। लेकिन यह बताता है कि, सत्ता में बने रहने के लिए कांग्रेस किस हद तक गिर सकती है। आम चुनाव से पहले मतदाताओं को यह सबक याद रखना चाहिए।