भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस पर एक ब्लॉग लिखकर निशाना साधा है। अमित शाह ने मसूद अजहर की रिहाई को लेकर कांग्रेस को घेरा है। इस पार्टी के अध्यक्ष पर जनता को गुमराह करने के लिए उन्हें इतिहास में झांकने की सलाह दी है।
आतंकवाद पर असंवेदनशील बयान देने से पहले राहुल गांधी को कांग्रेस का इतिहास देखना चाहिए।
Read my blog: https://t.co/OsaoUMklTR— Amit Shah (Modi Ka Parivar) (@AmitShah) March 15, 2019
दरअसल, राहुल गांधी पुलवामा हमले के बाद से जैश सरगना को लेकर अक्सर सवाल पूछते नजर आ रहे हैं कि मसूद अजहर को अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार ने मसूद अजहर को क्यों छोड़ा था। इस सवा के जवाब में बीजेपी अध्यक्ष अमित शह ने ब्लॉग लिखकर कहा, “क्या वाकई यह ऐसा सवाल है, जो अबतक अनुत्तरित है। क्या कांग्रेस को नहीं पता कि जब विमान अपहरण की वह आतंकी वारदात हुई तब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस विषय पर चर्चा के लिए एक ‘सर्वदलीय बैठक’ बुलाई थी ? उस बैठक में कांग्रेस की तरफ स्वयं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह मौजूद रहे थे। देश के मानस को स्वीकारते हुए तथा विमान में फंसे लोगों के जीवन की रक्षा को प्राथमिकता मानते हुए सभी राजनीतिक दलों की सहमति के बाद यह निर्णय लिया गया कि उन सभी लोगों की जिंदगी हमारे लिए अधिक महत्वपूर्ण है, जो विमान में फंसे हैं। अंत: सभी दलों ने सर्वसम्मति से मसूद अजहर को सौंपने तथा अपने लोगों को वापस लाने का प्रस्ताव स्वीकार किया। यह देश के मानस की मांग थी, यह जोखिम में फंसे लोगों को निकलने की हमारी प्राथमिकता थी, हमने वही किया, जो तब एकमात्र संभव रास्ता था। यह कदम कोई ‘गुडविल जेस्चर’ में नहीं उठाया गया था। यहां तक कि उस समय के विदेश मंत्री जसवंत सिंह, जिनके पुत्र अब कांग्रेस में हैं, ने 2009 में दिए गए एक साक्षात्कार में कहा था कि सर्वदलीय बैठक में सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह की सहमति थी। आज कांग्रेस और राहुल गांधी उस घटना पर सवाल उठाकर न सिर्फ असंवेदनशीलता का परिचय दे रहे हैं बल्कि अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के विवेक पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं।“
इसके बाद अमित शाह ने कांग्रेस के शासनकाल की घटनाओं पर प्रकाश डाला और इस पार्टी को घेरा। उन्होंने कहा, “इस गैर-जरूरी मुद्दे को उठाकार कांग्रेस ने इतिहास में हुई ऐसी रिहाइयों पर बहस छेड़ दी है, जो खुद कांग्रेस के ऊपर सवाल खड़े करने वाले हैं। यह बहस मसूद अजहर की रिहाई से न तो शुरू होती है और न ही समाप्त होती है। यह सूची बड़ी है, जिसपर चर्चा हो तो कांग्रेस का दामन दागदार नजर आएगा। कांधार विमान अपहरण की घटना से दस साल पहले देश के तत्कालीन गृहमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबैया सईद का कश्मीर के घाटी क्षेत्र में आतंकियों ने अपहरण कर लिया। इसके बदले उन्होंने 10 आतंकियों को छोड़ने की मांग की थी। सरकार ने उस मांग को स्वीकार किया और आतंकियों की रिहाई की गई। यह भी गुडविल जेस्चर नहीं था।
अमित शाह ने इस पुरानी पार्टी से सवाल करते हुए आगे लिखा, “कांग्रेस पार्टी को यह बताना चाहिए कि 2010 में जब कांग्रेस की सरकार थी, तब 28 मई को 25 दुर्दांत आतंकियों को क्यों छोड़ा गया ?उस समय न तो कोई ऐसी परिस्थिति थी और न ही ऐसा कोई दबाव, लेकिन पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने के नाम पर कांग्रेस की संप्रग-2 सरकार ने 25 आतंकियों को रिहा कर दिया। जानना जरूरी है कि इन 25 आतंकियों में एक आतंकी ऐसा भी था, जिसको 1999 में भी नहीं छोड़ा गया था। ये सभी 25 दुर्दांत आतंकी जैश-ए-मोहम्मद और लश्करे-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े हैं। इन छोड़े गए आतंकवादियों में से एक शाहिद लतीफ़ आगे चल कर पठानकोट आतंकी हमले का मुख्य हैंडलर बना। आज अपनी राजनीति के लिए एक अत्यंत संवेदनशील स्थिति में लिए गए सर्वसम्मति के निर्णय पर सवाल उठाने वाली कांग्रेस क्या जवाब देगी कि इन आतंकियों की रिहाई क्यों की गई थी ?”
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस गंदी राजनीति पर हमला किया और उसके दोहरे रुख को सामने रखा। इस दौरान उन्होंने दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की वरिष्ठ नेता शीला दीक्षित के बयान का भी जिक्र किया। उन्होंने तीखा प्रहार करते हुए कहा, “दरअसल कांग्रेस की नीति हमेशा आतंकवाद, अलगाववाद और नक्सलवाद को लेकर ढुलमुल रही है। खुद कांग्रेस की वरिष्ठ नेता शीला दीक्षित ने यह स्वीकार किया है कि मनमोहन सिंह की आतंकवाद पर नीति मोदी सरकार की सख्त नीतियों की तुलना में ढीली थी। शीला दीक्षित ने एक स्वाभाविक बयान दिया है। इसमें कोई संदेह नहीं कि जब कांग्रेस की सरकार देश में दस साल तक थी, तब मुंबई, दिल्ली, जयपुर सहित देश के अलग-अलग हिस्सों में आतंकी वारदातें आम थीं। किन्तु, 2014 में मोदी सरकार आने के बाद पिछले पांच साल में आतंकियों को हमने सीमा के इर्दगिर्द ही समेट कर रखने में सफलता हासिल की है। देश की आंतरिक सुरक्षा में आतंकियों द्वारा सेंध लगा पाना अब असंभव जैसा हो गया है।देश की सीमा पर भी मोदी सरकार की नीति आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टोलरेंस’ की है। आज अगर कोई आतंकी आने की कोशिश करता है अथवा कोई आतंकी वारदात होती है, तो भारत के वीर जवान उसका मुंह तोड़ जवाब उनके मूल तक जा कर देते हैं।
उन्होंने कांग्रेस के आतंक के प्रति प्रेम का भी उजागर किया और कहा आतंकवाद पर ढुलमुल नीति अपनाने वाली कांग्रेस ने विपक्ष में रहकर आतंकवाद, अलगाववाद और नक्सलवाद की पीठ सहलाने का कोई मौका नहीं छोड़ती।“ उन्होंने ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ के साथ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के समर्थन का उदाहरण भी दिया। अमित शाह एन सवाल किया कि “क्या कांग्रेस पार्टी जवाब देगी कि 2008 में हुए बटला हाउस एनकाउंटर में आतंकवादियों के मारे जाने पर सोनिया गांधी फूट-फूट कर क्यों रोई थीं ? मोदी सरकार में इन सब पर नकेल कसने की कवायदें हुईं तो इनका बौखलाना तो स्वाभाविक था, कांग्रेस की बौखलाहट भी खुलकर आने लगी।“
अमित शाह ने चीन से पीएम मोदी डरते हैं जैसी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की टिप्पणी का करारा जवाब दिया। साथ ही इस पुरानी पार्टी के देश के दुश्मन का साथ देने को लेकर भी कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने राहुल गांधी के परदादा और देश एक पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा देशहित को किनारे कर चीन को तवज्जों देने को लेकर भी हमला किया। उन्होंने कहा, “जवाहरलाल नेहरू द्वारा मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र से पता चलता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का विषय आया तब पंडित नेहरू ने ‘पहले चीन’ की नीति पर चलते हुए यह अवसर चीन के हाथों में दे दिया। इस घटना का जिक्र कांग्रेस के पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने अपनी पुस्तक में भी किया है। आज वही चीन इसी अधिकार का उपयोग करके बार-बार आतंकी मसूद अजहर को बचाने का काम कर रहा है । साथ ही कश्मीर की समस्या को संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच पर ले जाने की चूक भी नेहरू ने की थी। आतंकवाद पर असंवेदनशील टिप्पणी करने से पहले राहुल गांधी को अपनी पार्टी और नेहरू की इन दो गलतियों पर भी एकबार जरूर गौर करना चाहिए। ये दोनों ही गलतियां देश के लिए नासूर बनी हुई हैं।“
वास्तव में अपने इस ब्लॉग से बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस के शासनकाल में हुई उन बड़ी गलतियों को उजागर किया है जिसे कांग्रेस छुपाती रही है और आम जनता को गुमराह करने का प्रयास करती रही है। देशहित और देश की जनता के प्रति इस पार्टी का झुकाव रहा ही नहीं है बस इस पार्टी ने देश को लूटा है और आम जनता को गुमराह कर शासन करती आई है। आज जब भारतीय जनता पार्टी देश में सत्ता में है और आम जनता के लिए उचित कदम उठा रही है तो इस पार्टी को जरा भी रास नहीं आ रहा है।