आम चुनाव नज़दीक है और सभी पार्टियाँ अपने चुनाव प्रचार में जोर-शोर से लगीं हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी में फिलहाल कुछ भी सामान्य नहीं चल रहा है। दरअसल पिछले कुछ समय से लगातार बड़े नेताओं के द्वारा पार्टी से किनारा करने की वजह से कांग्रेस पार्टी की हालत पहले से काफी कमज़ोर हो चुकी है। देशभर के बड़े नेता पार्टी के आलाकमान से असंतुष्ट होकर पार्टी का ‘हाथ’ छोड़ रहें हैं जिससे एक तरफ तो पार्टी का जनाधार कमज़ोर हुआ है वहीँ दूसरी ओर प्रचार अभियान को भी गहरा झटका पहुँचा है। देश के 6 राज्यों के अब तक लगभग 17 बड़े नेता देश की सबसे पुरानी पार्टी का दामन छोड़ चुके हैं, अब ऐसे में राहुल गांधी के नेतृत्व पर फिर सवाल उठाए जा रहें हैं।
कांग्रेस के इन बड़े नेताओं में पहला नाम टॉम वडक्कन का आता है। कभी केरल कांग्रेस की जीवन रेखा रहे वडक्कन अब केरल में भाजपा का कमल खिलाने के किये जद्दोजहद करेंगे। वडक्कन ने भाजपा में शामिल होने के वक्त कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर कुछ गंभीर सवाल भी खड़े किये। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस पार्टी द्वारा सेना को लेकर की गई बयानबाज़ी से वे आहात हैं। आपको बता दें कि वडक्कन यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेहद करीबी रह चुके हैं और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता का पदाभार भी संभाल चुके हैं। दक्षिण भारत में अपना वजूद तलाश रही भाजपा के लिए वडक्कन सुनहरा अवसर साबित होंगे।
मोदी-शाह का गढ़ कहे जाने वाले गुजरात में भी कई कांग्रेसी नेताओं ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। एक तरफ कांग्रेस गुजरात में हार्दिक पटेल को साथ लाकर लोकसभा चुनाव में बड़ा उलटफेर करने के प्रयास में जुटी है, दूसरी तरफ पार्टी के ही नेता लगातार उनका साथ छोड़कर जा रहे हैं। ऐसे ही एक नेता हैं जामनगर के विधायक वल्लभ धारविया जो कि कांग्रेस छोड़कर BJP में शामिल हुए थे। आपको बता दें कि जनवरी से अब तक पांच कांग्रेस विधायक गुजरात में कांग्रेस का साथ छोड़ चुके हैं।
पश्चिम बंगाल और हरियाणा जैसे राज्यों से भी कांग्रेस के लिए कोई राहत की खबर नहीं है। एक तरफ पश्चिम बंगाल के बागदा से कांग्रेस विधायक दुलाल बर BJP में शामिल हो गए तो वहीँ दूसरी तरफ हरियाणा के करनाल से तीन बार सांसद रह चुके अरविन्द शर्मा ने भी भाजपा ज्वाइन कर ली। आपको बता दें कि अरविन्द शर्मा 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनावों से पहले बसपा में शामिल हो गए थे, लेकिन बाद में उन्होंने बसपा से भी नाता तोड़ लिया।
उत्तर महाराष्ट्र, जो सहकारिता आंदोलन का गढ़ और महाराष्ट्र की राजनीति में कांग्रेस का किला रहा है, वहां भी बीजेपी ने सेंध लगा दी है। महाराष्ट्र विधानसभा में नेता विपक्ष राधाकृष्ण विखेपाटील के बेटे डॉ. सुजय पाटील को बीजेपी में शामिल कर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन में अहमदनगर सीट एनसीपी के खाते में थी। कांग्रेस सुजय विखेपाटील के लिए सीट शरद पवार से मांग रही थी, लेकिन पवार ने कांग्रेस को सीट देने से इनकार कर दिया। परिणामस्वरूप सुजय बीजेपी में चले गए और कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन अपने गढ़ से हाथ धो बैठा।
कुछ ऐसी ही खबरें कर्नाटक तथा असम जैसे राज्यों से आ रही हैं। एक तरफ कर्नाटक कांग्रेस के नेता डॉ. उमेश जाधव BJP में शामिल हुए हैं, तो वहीँ दूसरी तरफ असम में कांग्रेस के पूर्व मंत्री रहे गौतम रॉय, कांग्रेस के पूर्व सांसद किरिप चालिहा, सिलचर से कांग्रेस विधायक रहे गौतम रॉय भी पार्टी से अलग होकर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। आपको बता दें कि पिछले 10 दिनों में तेलंगाना राज्य से भी 19 कांग्रेस विधायकों में से चार TRS में जा चुके हैं।
कांग्रेस द्वारा हाल ही में उनके सबसे आकर्षक चेहरे प्रियंका गांधी को भी पार्टी में लॉन्च किया गया था, लेकिन वे भी अब तक अपना नेतृत्व सक्षम रूप से निभाने में असफल साबित हुई हैं। कांग्रेस पार्टी अपना वोटबैंक बढ़ाने के लिए एक तरफ तो गठबंधन की तलाश में है, तो वहीँ दूसरी तरफ कांग्रेस के अपने ही नेता पार्टी से मुंह मोड़ रहे हैं, ऐसे में कांग्रेस आम चुनाव से पहले ही हारती हुई नजर आ रही है।