पाक-चीन वायुसेना से निपटने के लिए भारत ने बनाया नई रणनीति, अब दुश्मन नहीं खोज पाएगा भारत के फाइटर प्लेन

वायुसेना ब्लास्ट पेन एयर बेस

PC : newsstate

भारत सरकार हमारी सेना को लगातार उन्नत और घातक तो बना ही रही है साथ ही इसे दुश्मन के हमलों से बचाने के लिए भी लगातार नई योजनाओं पर काम कर रही है। अब एक नई रणनीति के अनुसार दुश्मन की मिसाइल और बमबारी से भारतीय एयर बेस को सुरक्षित किया जा सकेगा। सरकार ने भारतीय वायु सेना के लिए चीन और पाकिस्तान सीमा के नजदीक लगभग 110 सुरक्षात्मक कठोर बनाने की मंजूरी दे दी है। सरकारी सूत्रों ने न्यूज एजेंसी एनआई को बताया है कि केंद्र सरकार ने लगभग 110 ठिकानों के निर्माण के लिए एक परियोजना को मंजूरी दी है। ये ठिकाने हमारे फाइटर प्लेन्स को दुश्मन की मिसाइल और बॉमिंग से बचाएंगे। इन्हें ब्लास्ट पेन भी कहा जाता है।

एयर बेस पर बम विस्फोटों और मिसाइल हमलों में लड़ाकू जेटों को नष्ट होने से बचाने के लिए बनने वाले ये कठोर ब्लास्ट पेन अगली पीढ़ी के आधुनिक होंगे। इन्हें पाकिस्तान और चीन के साथ लगी सीमा के नजदीकी एयर बेस के पास बनाया जाएगा। ये ब्लास्ट पेन एयर बेस की तर्ज पर बनाए जाएंगे। न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार ज्यादातर कठोर ठिकानों में रूसी निर्मित सुखोई फाइटर जेट्स होंगे, जो भारतीय वायु सेना का मुख्य आधार हैं।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस प्रोजेक्ट पर 5000 करोड़ से ज्‍‍‍‍यादा का खर्च आएगा। इस कदम से वायुसेना अपने फ्रंटलाइन लड़ाकू विमानों को बिना जमीनी नुकसान की चिंता के फॉरवर्ड बेस पर तैनात कर सकेगी। अभी तक ब्लास्ट पेन की सुविधा के बिना वायुसेना ऑपरेशन के दौरान फ्रंटलाइन प्लेन्स को पाकिस्तान सीमा के पास कुछ चुनिंदा स्थानों पर ही तैनात कर पाती थी।

अभी भारतीय वायुसेना सुरक्षात्मक कठोर ठिकानों की कमी के कारण सीमा से काफी पीछे के स्थानों में SU-30MKI और अन्य लड़ाकू जेट रखती है। इसी खामी के कारण भारतीय वायुसेना को 27 फरवरी को पाकिस्तानी वायु सेना के हमले का जवाब देते समय अपने मिग -21 लड़ाकू विमान से हाथ धोना पड़ा था क्योंकि सुखोई लड़ाकू जेट्स तुरंत हमले से निपटने के लिए मौजूद नहीं थे। इससे पहले, 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान भी भारतीय वायुसेना ने अपने कई लड़ाकू जेट्स खो दिए थे, क्योंकि वे बिना सुरक्षात्मक आश्रयों के थे। तब से ही एयरक्राफ्ट की सुरक्षा के लिए भारतीय वायुसेना ब्लास्ट प्लेन बनाने की दिशा में अग्रसर है।

बता दें कि, इन 100 ठिकानों में मोटी कंक्रीट की दीवारें बनाई जाएंगी जिससे यह फाइटर प्लेन्स को दुश्मन के बड़े हमले से बचाएगी। इस रणनीति से भारतीय वायुसेना को पाकिस्तानी व चीनी वायुसेना के हमले से निपटने में आसानी होगी। वर्तमान हालात को देखते हुए यह एक बेहत महत्वपूर्ण कदम है।

सीमाई इलाकों में दुश्मन के हमले से बचने के लिए सरकार सीमावर्ती जिलों के नागिरकों के लिए भी तेजी से बंकरों का निर्माण कर रही है। गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर सीमा पर करीब 14 लाख बंकर बनाए जा रहे हैं। सीमा पार से भारी गोलीबारी के कारण आए दिन इस समय स्थानीय इलाकों में जान-माल की भारी हानि हो जाती है। बंकर बनने से इस हानि को कम किया जा सकेगा। ये दोनों योजनाएं ही वर्तमान समय को देखते हुए बहुत जरूरी हैं। इस तरह अब एक ओर तो दुश्मन देश की मिसाइल और बमबारी भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों को नुकसान नहीं पहुंचा पाएगी व दूसरी तरफ सीमा पार की गोलीबारी से सीमा के पास के इलाके जनहानि से बच जाएंगें।

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