बिहार की राजनीति में उठापठक लगातार जारी है। कांग्रेस और राजद गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर अभी किसी सहमति पर नहीं पहुँच पाएं हैं। वहीँ इनके अलावा लेफ्ट, रालोसपा और जीतनराम मांझी की पार्टी ‘हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा’ की भी अपनी महत्वकांक्षाएं हैं। इन सब कारणों से अब बिहार में महागठबंधन टूटने के कगार पर आ गया है। ये पार्टियां भी गठबंधन में सम्मानजनक सीटों को लेकर राजद पर दबाव बनाने का काम कर रही हैं। वहीं इसी बीच राजद नेता तेजस्वी यादव ने एक ऐसा ट्वीट किया जो कांग्रेस पार्टी को बिल्कुल नहीं भाया। कांग्रेस द्वारा लगातार ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ के बाद तेजस्वी ने लिखा ”संविधान और देश पर अभूतपूर्व संकट है। अगर अबकी बार विपक्ष से कोई रणनीतिक चुक हुई तो फिर देश में आम चुनाव होंगे या नहीं, कोई नहीं जानता? अगर अपनी चंद सीटें बढ़ाने और सहयोगियों की घटाने के लिए अहंकार नहीं छोड़ा तो संविधान में आस्था रखने वाले न्यायप्रिय देशवासी माफ़ नहीं करेंगे।”
संविधान और देश पर अभूतपूर्व संकट है। अगर अबकी बार विपक्ष से कोई रणनीतिक चुक हुई तो फिर देश में आम चुनाव होंगे या नहीं, कोई नहीं जानता? अगर अपनी चंद सीटें बढ़ाने और सहयोगियों की घटाने के लिए अहंकार नहीं छोड़ा तो संविधान में आस्था रखने वाले न्यायप्रिय देशवासी माफ़ नहीं करेंगे।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) March 16, 2019
आपको बता दें कि कांग्रेस गठबंधन कम से कम 11 सीटें लेने के लिए अड़ी है जबकि राजद उसे 8 सीटों से ज्यादा सीट देने पर सहमत नहीं है। ऐसे ही जीतनराम मांझी भी अपनी पार्टी के लिए कम से कम 5 सीटें चाहती है लेकिन राजद की तरफ से अभी तक सिर्फ 3 से 4 सीटों पर ही बात बन पाई है। ऐसे ही लेफ्ट भी राजद के द्वारा दिए 1 सीट के ऑफर से असंतुष्ट है। उपेंद्र कुशवाहा भी अपनी पार्टी रालोसपा के लिए 7 सीटों की मांग पर अड़े हैं।
सीटों के बंटवारे पर बात करने के लिए हफ्ते भर से दिल्ली में बैठे राजद नेता तेजस्वी यादव की कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात का भी कोई नतीजा नहीं निकल सका। वहीँ तेजस्वी यादव के कांग्रेस के लिए ट्वीट के बाद कांग्रेस काफी नाराज़ है, कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने भी राजद को धमकी दी है कि अगर राजद कांग्रेस एवं अन्य घटक दलों को सम्मानजनक सीटें नहीं देती है तो वह रालोसपा, लेफ्ट एवं मांझी को अपने साथ लेकर एक अलग मोर्चे का गठन कर सकती है।
सूत्रों का दावा है कि हाल ही के दिनों में गांधी मैदान में कांग्रेस की रैली की सफलता और प्रियंका गांधी के पार्टी में प्रवेश को लेकर राजद सशंकित है। उधर राजद बिहार में कांग्रेस की महत्वाकांक्षा को लेकर आशंकित है, और उसे पूरी तरह नकारने में असक्षम है।
अब मौजूदा परिस्थितियों को देखकर ऐसा कहा जा सकता है कि कांग्रेस अगर राजद से अलग होकर एक अलग मोर्चे का गठन करती है तो वह केवल राजद की वोट काटने का ही काम करेगी। लेफ्ट पहले ही अपने मज़बूत जनाधार वाली सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करने की धमकी दे चुका है। जाहिर है कि किसी भी राज्य में बनने वाले ऐसे समीकरण भाजपा को फायदा पहुंचाते हैं। यह भाजपा के लिए तो अच्छी खबर है ही कि उसके सामने एक बहुमुखी विपक्ष बनने जा रहा है, वहीँ यह राजद के लिए भी एक खतरे की घंटी है, क्योंकि कांग्रेस और कुछ नहीं तो उसके वोट तो काट ही सकती है।