अभिनंदन की वापसी पर सागरिका घोष और राजदीप सरदेसाई ने इमरान खान को ‘शांति का मसीहा’ बताया

राजदीप सरदेसाई सागरिका घोष इमरान खान

PC: प्रभात खबर

28 फरवरी को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारतीय विंग कमांडर अभिनंदन को अपनी हिरासत से छोड़ने का फैसला लिया । यह खबर वाकई सभी देशवासियों को खुश करने वाली थी। इमरान खान ने पाक संसद में कहा कि हमारा यह कदम हमारी कमज़ोरी को नहीं बल्कि हमारी उदारता को दर्शाता है।

वहीं, जैसे ही पाकिस्तान द्वारा अभिनंदन को रिहा करने की खबर आई, उसके तुरंत बाद भारत की लुटियंस मीडिया ने पाकिस्तान के प्रति अपना प्यार जाहिर करना शुरू कर दिया।  सागरिका घोष हो या राजदीप सरदेसाई इन लोगों को इमरान खान ‘शांति के मसीहा’ नजर आ रहे थे। ये वही लोग हैं जिन्हें भारत सरकार की कार्रवाई के लिए सबूत चाहिए होता है जबकि इमरान खान के कहे शब्द इनके लिए किसी सबूत के मोहताज नहीं है।

इस कड़ी में सबसे पहला ट्वीट सागरिका घोष द्वारा किया गया। सागरिका घोष ने इसे न सिर्फ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की कूटनीतिक जीत बताया बल्कि इसे नैतिकता और शांति की ओर एक कदम बताया। सागरिका ने लिखा

राजदीप सरदेसाई भी कहां पीछे रहने वाले थे, उन्होंने भी एक ट्वीट जड़ते हुए लिखा  ‘भारत में हमें ये बात शायद बुरी लगे लेकिन अपनी नैतिकता के दम पर आज का दिन प्रधानमंत्री इमरान खान अपने नाम करने जा रहे हैं। हम आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान से जीत सकते हैं लेकिन फ़िलहाल कुछ नेता वोट बंटोरने की राजनीती कर रहे हैं’।

राजदीप का ये ट्वीट देखकर ये लग ही नहीं रहा कि ये भारतीय पत्रकार हैं। हालांकि, इन दोनों पत्रकारों को सोशल मीडिया पर यूजर्स ने खूब लताड़ा।

कुछ इसी तरह का ट्वीट राणा अय्यूब की तरफ से आया:

 

अब सवाल यह उठता है कि क्या इन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि जिनेवा संधि के मुताबिक सभी देशों को एक दूसरे के युद्धबंदियों के साथ मानवीय व्यवहार करने के साथ-साथ उन्हें सीमित समय में रिहा भी करना होता है। पाकिस्तान ने अभिनंदन  को छोड़कर भारत पर कोई अहसान या बड़प्पन नहीं दिखाया है अपितु यह उसकी मज़बूरी थी। यहां ये लोग भारत सरकार के उन सभी प्रयासों को भूल गए जो उसने अभिनंदन को वापस लाने के लिए थे। पाकिस्तान की अंधभक्ति में डूबे इन पत्रकारों को यूज़र्स ने जमकर ट्रोल किया । जैसे एक यूज़र ने लिखा ‘शांति स्थापित करने के लिए हमें राजदीप सरदेसाई को पाकिस्तान के हवाले कर देना चाहिए’

परेश रावल ने भी इन लोगों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा कि ‘अभिनंदन को रिहा करने में पाकिस्तान ने क्या नैतिकता दिखाई? क्या आपने जिनेवा संधि के बारे में सुना है?

भारतीय मीडिया का यह हिस्सा हमेशा पाकिस्तान की भक्ति में डूबा रहता है। ये लोग हमेशा पाकिस्तान को एक शांति पसंद देश के तौर पर दुनिया के सामने पेश करने की कोशिश में रहते हैं लेकिन, कभी पाकिस्तान से अपने आतंकवादियों को खत्म करने को नहीं कहते। ये लोग कभी यह सवाल नहीं उठाते की क्यों भारत के मोस्ट-वॉन्टेड आतंकी मसूद अज़हर और हाफिज सईद पाकिस्तान में खुले घूमने दिए जाते हैं? भारत सरकार की हर बात को संदेह की नज़रों से देखने वाले यह पत्रकार आखिर पाकिस्तानी सरकार के दावों पर इतनी जल्दी विश्वास कैसे कर लेते हैं ?

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