भारतीय सेना में जल्द ही ‘देसी बोफोर्स’ के नाम से मशहूर स्वदेशी ‘धनुष’ तोपें शामिल की जाने वाली हैं जिससे भारतीय सेना की स्थिति पहले से और ज़्यादा मजबूत होगी। इन धनुष तोपों में से 6 तोपों की पहली खेप सेना को 26 मार्च तक सौंपी जा सकती है जिन्हें भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात किया जाएगा। पुलवामा हमले के बाद रक्षा मंत्रालय ने आर्डिनेंस फैक्ट्री जबलपुर को 114 तोपें बनाने का लक्ष्य दिया था, जिनमें से इस वर्ष के अंत तक 18 तोपें भारतीय सेना को सौंपी जाएंगी।
तकनीकी तौर पर बेहतर होने के साथ-साथ ये तोंपे पूर्णतः स्वदेशी भी हैं। इन तोपों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले 81% पुर्जे भारत में बने हैं और इस वर्ष के आखिर तक यह आंकड़ा 90 प्रतिशत तक पहुँचाने का लक्ष्य है। बोफोर्स की तरह ही 155×45mm कैलिबर वाली धनुष तोपों की गोले दागने की क्षमता एवं मारक क्षमता पुरानी तोपों के मुकाबले बेहतरीन है। तेज दर से गोले दागने वाली धनुष तोपें 38 किलोमीटर तक दूर बैठे अपने दुश्मनों को निशाना बना सकती है। इसके अलावा धनुष, नेविगेशन-आधारित दृष्टि प्रणाली, ऑटो-बिछाने की सुविधा, ऑन-बोर्ड बैलिस्टिक कम्प्यूटेशन और एक उन्नत डे एंड नाइट डायरेक्ट फायरिंग सिस्टम से लैस है। धनुष को बॉर्डर एरिया में अलग-अलग हालात और मौसम में फायरिंग कर टेस्ट किया गया है। धनुष सभी परीक्षण में सफल रही हैं। सियाचीन के ठंडे इलाकों से लेकर राजस्थान के गर्म इलाके में इसका परीक्षण सफल रहा है। इन तोपों का निर्माण भारतीय सेना की गोलीबारी करने की क्षमता को बढ़ाने के लिए किया गया है।
रक्षा मंत्रालय भारत सरकार की मुहीम ‘मेक इन इंडिया’ के अंतर्गत पिछले कुछ वर्षों में हथियारों का उत्पादन भारत में करवाने में सफल रहा है, जिससे एक तरफ तो भारत की सैन्य शक्ति में इजाफा हुआ है तो वहीँ दूसरी तरफ इससे रोज़गार के अवसर भी बढे हैं। धनुष तोपों के अलावा ब्रह्मोस मिसाइल भी इसका एक जीता जागता उदाहरण है, जिसे भारत तथा रूस ने मिलकर विकसित किया है और इसका निर्माण भारत में ही हुआ है। आकाश मिसाइल, अग्नि 5 मिसाइल, अर्जुन टैंक एवं तेजस लड़ाकू विमान जैसे अनेकों उदाहरण हमारे सामने है जिसमें दुनिया भारत के हथियारों के दमखम के साथ-साथ भारत की विश्व-स्तरीय तकनीक से भी भली-भांति परिचित हो रही है।
मोदी सरकार के आने के बाद से सरकार द्वारा देश की सेना को सशक्त करने की ओर पहले से ज़्यादा जोर दिया गया है। बुलेट प्रूफ जैकेट का 9 साल से इंतज़ार कर रही सेना को 1 लाख 86 हजार जैकेट्स पिछले वर्ष ही मुहैया करवाई गयी थी। वहीँ इस सरकार द्वारा सेना को स्वेच्छा से कार्रवाई करने की भी पूरी आज़ादी दी गई है, जिसके नतीजे में हमें भारतीय सेना का पहले से ज्यादा आक्रामक रूप दिखा है। डोकलाम में चीन की बाजू मरोड़ना हो, या पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों का सफाया करना हो, हर क्षेत्र में भारतीय सेना पहले से ज्यादा आत्मविश्वास के साथ दुश्मनों का मुकाबला करती दिखी है, जिसके लिए मोदी सरकार बधाई की पात्र है।