मोदी सरकार ने पाकिस्तान में जाने वाले सिंधु जल के हिस्से को रोक दिया है

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(PC: The Conversation)

पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद से ही पाकिस्तान के प्रति भारत का कड़ा रुख है। पहले तो भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक की गई जिसमें बड़ी संख्या में आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया गया। उसके बाद पाकिस्तान पर अपने आतंक के ठिकानों पर कार्रवाई करने के लिए कूटनीतिक दबाव भी बनाया गया, जिसके बाद पाकिस्तान ने आतंकियों पर कार्रवाई करने का कम से कम ‘दिखावा‘ तो किया!

इन सबके बाद केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए एक और तरकीब निकाली थी। केंद्रीय मंत्री ने घोषणा की थी कि भारत सिंधु नदी जल समझौते के तहत मिलने वाले अपने हिस्से के पानी का पूर्ण इस्तेमाल करेगा, और इसे अब भारत में ही सिंचाई तथा अन्य प्रयोग में लाया जायेगा।

मोदी सरकार ने अब उन घोषणाओं को पूरा करने का काम किया है जो उनहोंने आम जनता से किया था। केंद्रीय जल संसाधन और गंगा विकास राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि भारत की तरफ से पाकिस्तान जाने वाला ब्यास नदी का पानी अब रोक लिया गया है और इसे संरक्षित कर लिया गया है। उनके मुताबिक भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड ने उन्हें यह जानकारी दी है कि लगभग पांच लाख तीस हजार एकड़ फीट पानी को भारत ने रोक लिया है जो कि पहले पाक के हिस्से में जा रहा था। आपको बता दें कि ऐसा करके भारत ने किसी भी जल-समझौते का उल्लंघन नहीं किया है। राज्य मंत्री ने यह भी कहा कि भविष्य में जैसे-जैसे भारत की संरक्षित करने की सीमा बढ़ती जाएगी, वैसे-वैसे और ज़्यादा पानी को भारत में रोककर अन्य प्रयोग में लाया जाएगा।

भारत और पाकिस्तान के द्वारा वर्ष 1960 में सिंधु जल समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था, जिसके तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों के पानी के इस्तेमाल की इजाज़त दी गई जिनमें ब्यास नदी,रावी और सतलुज शामिल हैं। वहीं पाकिस्तान को चेनाब, सिंधु और झेलम के पानी के प्रयोग की अनुमति दी गई थी। भारत को पाकिस्तान के हिस्से वाली तीन नदियों पर बिजली उत्पादन के लिए प्रोजेक्ट्स बनाने की छूट भी दी गई, और इसके साथ ही भारत को सिमित सिंचाई, मछलीपालन और घरेलू इस्तेमाल के लिए भी इन नदियों के पानी का प्रयोग करने की इजाज़त दी गई थी।

अपने हिस्से के पानी का पूर्ण इस्तेमाल करने में भारत कभी सक्षम नहीं रहा, लेकिन मौजूदा मोदी सरकार ने ब्यास नदी का पानी रोककर पहले से पानी को तरसते पाकिस्तान पर कड़ा प्रहार करने का काम किया है। मोदी सरकार का रुख साफ है कि बॉर्डर-पार से आतंकवाद को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और ऐसा होने पर पाक को कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा,जिसका उदाहरण हमने अब बखूबी देखा है।

पाक पर दबाव बनाने के लिए एक तरफ तो भारत अपनी ओर से सभी विकल्पों पर काम कर रहा है वहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाने के लिए भी भारत द्वारा सभी पहलुओं पर विचार जारी है। अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड जैसे देश पुलवामा हमले के बाद खुलकर भारत के समर्थन में आये और पाकिस्तान को आतंकियों का सफाया करने के लिए कहा। संयुक्त राष्ट्र द्वारा भी पुलवामा हमले की निंदा की गई और आतंकी मसूद अज़हर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा आतंकी घोषित करवाने की कवायदें भी तेज की गई जिसमें भारत को अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे स्थायी सदस्यों का भरपूर साथ मिला। जाहिर है, भारत पर हमले पहले भी होते आये हैं, लेकिन भारत द्वारा पाकिस्तान को ऐसा जवाब बेशक अभूतपूर्व है।

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