विज्ञापन नहीं देने के सरकार के फैसले के विरोध में कश्मीर के कई अखबारों ने पहला पेज़ छोड़ा खाली

कश्मीर अखबार

PC: Jammukashmirnow

पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद से केंद्र सरकार आतंकवादियों के लिए आये दिन आतंकवादियों और उनके संगठन को समर्थन करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है। इसी क्रम में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने घाटी के उन अखबारों को सरकारी विज्ञापन न देने का फैसला लिया जो अलगाववादियों और आतंकवादियों के पक्ष में खबरें प्रकाशित करते हैं। इस कदम से गुस्साए कश्मीर घाटी में छपने वाले अधिकतर अख़बारों एन रविवार को अखबार का पहला पन्ना खाली रखा।

दरअसल, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने घाटी के दो बड़े अख़बार ग्रेटर कश्मीर और रीडर कश्मीर को सरकारी विज्ञापन न देने का फैसला किया। ये वो अखबार हैं जो अलगाववादियों और आतंकवादियों के पक्ष में खबरों को प्रकाशित करते हैं। प्रशासन के इस फैसले से इन अखबारों की करोड़ो की आमदनी पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। आगे भी इस तरह के फैसले उन अखबारों के खिलाफ लिए जा सकते हैं जो हाशिये पर जा चुके अलगाववादियों के पक्ष में खबरें प्रकाशित करते हैं और पाकिस्तान की भाषा बोलते हैं। इससे डरे कश्मीर एडिटर्स गिल्ड ने प्रशासन के फैसले का विरोध जताया और 10 मार्च को कई ग्रेजी और उर्दू के काश्मरी अख़बारों ने पहले पेज को छोड़ खाली छोड़ दिया। पहले पन्ने पर सिर्फ केईजी का संदेश छापा था जिसमें लिखा था, ‘‘ सरकार द्वारा बिना स्पष्ट कारण बताए ग्रेटर कश्मीर और कश्मीर रीडर को विज्ञापन देने से मना करने के विरोध में।’’ केईजी के एक प्रवक्ता ने सरकार के कदम को कश्मीर में मीडिया को ‘बर्बाद’ करने का कदम बताया। प्रवक्ता ने कहा कि गिल्ड और कश्मीर एडिटर्स फोरम ने कश्मीर में मीडिया को ‘बर्बाद’ करने के सरकार के इस कदम के खिलाफ पहला पन्ना खाली प्रकाशित करने का निर्णय लिया।

ग्रेटर कश्मीर ग्रुप के अखबार अंग्रेजी और उर्दू में छपते हैं जिनमें इंग्लिश डेली, ग्रेटर कश्मीर, इंग्लिश वीकली कश्मीर इंक और उर्दू में छपने वाला कश्मीर उज़्मा नाम के अखबार शामिल है। इन सभी को साल में करोड़ों के सरकारी विज्ञापन दिये जाते हैं जो कश्मीर को दिए जाने वाले विज्ञापनों का लगभग 40 फीसदी है। अब सरकारी विज्ञापन बंद होने से इन अखबारों की आमदनी को बड़ा झटका लगा है।

बता दें पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद से घाटी में आतंकियों के खिलाफ सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा घाटी में सर्च अभियान चलाया जा रहा है। इसके साथ ही सुरक्षाबलों द्वारा लगातार अलगावादियों के ठिकानों पर छापेमारी भी की जा रही है। यही नहीं देश में रहकर देश विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले इन अलगावादियों के खिलाफ भी केंद्र सरकार सख्त कार्रवाई कर रही है। पहले इनकी सुरक्षा वापस ले ली गयी और सबूतों के आधार पर आतंकी गतिविधियों में लिप्त अलगाववादियों को गिरफ्तार भी किया गया। इसके बाद अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने घाटी में भारत-पाकिस्तान के मुद्दे पर घाटी के जो अखबार पाकिस्तान के पक्ष में खबरें प्रकाशित करते हैं और अलगावादियों का समर्थन करते हैं उन्हें दी जाने वाले सरकारी विज्ञापन पर रोक लगा दी गयी। अब इसे तिलमिलाए कई अखबार सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।

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