चुनाव आयोग के इस नए फरमान से उड़ी दागी उम्मीद्वारों की नींद, भरे बाजार होगी बेइज्जती

चुनाव आयोग उम्मीद्वार दागी

PC : rajsatta express

दागी उम्मीद्वारों का चयन होना किसी भी लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन यह भी सच्चाई है कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र इससे अछूता नहीं है। भारत में दागी माननीयों का भारतीय संसद या किसी राज्य की विधानसभा तक पहुँचना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन समय-समय पर देश का सुप्रीम कोर्ट इस पर अपनी चिंताए व्यक्त करता आया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार टिपण्णी करते हुए कहा था कि भारतीय संसद को कुछ ऐसे नियम बनाने चाहिए जिससे कि दागी उम्मीद्वार संसद तक ना पहुँच पाएं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि वह अपने स्तर पर किसी दागी उम्मीद्वार को चुनाव लड़ने से अयोग्य करार नहीं दे सकती।

इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि सभी उम्मीद्वारों को अपने आपराधिक रिकार्ड्स को सार्वजनिक करना होगा ताकि वोटर्स अपने सभी विकल्पों में से सबसे श्रेष्ठ उम्मीद्वार को चुन सके। सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के मद्देनज़र चुनाव आयोग ने पिछले साल 10 अक्टूबर को एक आदेश जारी किया जिसके मुताबिक सभी उम्मीद्वारों को अपने चुनाव प्रचार के मध्य तीन अलग-अलग दिनों में स्थानीय लोकप्रिय अख़बार तथा टीवी चैनलों पर अपने आपराधिक रिकॉर्ड को प्रसारित करना होगा। आदेश के मुताबिक जिन उम्मीद्वारों का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, उन्हें इस बात का उल्लेख अपने निर्धारित प्रारूप में करना होगा। आपको बता दें कि पिछले साल दिसंबर में हुए तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में पहली बार इस आदेश की पालना की गई। वर्ष 2019 में होने वाले ये पहले लोकसभा चुनाव होंगे जिनमें इन नए नियमों की पालना की जाएगी।

हालाँकि, नए नियमों को लेकर अभी भी सभी पार्टियाँ असमंजस की स्थिति में हैं। अभी फ़िलहाल यह साफ नहीं है कि इन विज्ञापनों का खर्च कौन उठाएगा, पार्टी या उम्मीद्वार? हालांकि, इसको लेकर एक वरिष्ठ चुनाव अधिकारी ने यह कहा कि चूंकि यह खर्च उम्मीद्वार से जुड़ा है, इसलिए इस खर्च का वहन भी उम्मीद्वार को ही करना होगा। अभी नियमों के मुताबिक विधानसभा चुनाव उम्मीद्वार को अपने चुनाव प्रचार पर 28 लाख रूपये तक खर्च करने की अनुमति है जबकि एक लोकसभा उम्मीद्वार को 70 लाख रुपये। चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि इन नियमों का पालन नहीं करने वाले दलों की मान्यता रद्द कर दी जाएगी और उम्मीद्वारों को अयोग्य भी करार दिया जा सकता है। चुनाव आयोग के मुताबिक सभी राजनीतिक दलों को अपने सभी उम्मीद्वारों के बारे में जानकारी अपनी आधिकारिक वैबसाइट पर भी डालनी होगी।

नए नियमों को लेकर लगभग सभी राजनीतिक दलों ने अपनी चिंताओं को प्रकट किया है। इन राजनीतिक दलों का कहना है कि शहरी क्षेत्रों में विज्ञापनों के रेट्स बहुत ज़्यादा होते हैं लेकिन फिर भी नियमों में शहरी उम्मीद्वारों को किसी प्रकार की राहत नहीं दी गई है। दलों का यह भी कहना है कि टीवी चैनलों पर तथा अखबारों में इन विज्ञापनों के प्रसारण का समय निश्चित कर देना चाहिए ताकि उम्मीद्वारों के साथ साथ वोटर्स को भी सहूलियत हो सके।

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